रबि उल अल 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
कोई शख्स अगर किसी वक्त की नमाज भूल गया या उसे अदा करते वक्त सोता रह गया, तो उस नामज़ का कफ़्फ़ारा ये है कि जब उसे याद आए, वह उस नमाज़ को पढ़ ले।
-सहीह मुस्लिम
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया ईरानी सुप्रीम लीडर आयत अल्लाह अली खामनाई ने पीर को हिन्दोस्तान पर मुस्लमानों पर जुल्म ढाने का इल्ज़ाम लगाया जिस पर भारत ने सख़्त रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया है। हिन्दोस्तान की वज़ारत-ए-ख़ारजा (विदेश मंत्रालय) ने कहा कि हम ईरान के सुप्रीम लीडर के हिन्दोस्तान में अक़लीयतों के बारे में किए गए तबसरों की शदीद मुज़म्मत करते हैं। ये ग़लत मालूमात है और नाक़ाबिल-ए-क़बूल है।
अक़लीयतों पर तबसरा करने वाले ममालिक को मश्वरा दिया जाता है कि वो दूसरों के बारे में कोई तबसरा करने से पहले अपने रिकार्ड की जांच करें। खामनाई ने हिन्दोस्तान, ग़ज़ा और मियांमार में मुस्लमानों की हालत-ए-ज़ार को उठाया। ना सिर्फ ये, उन्होंने दुनिया-भर में कम्यूनिटी के अरकान के दरमयान यकजहती पर भी ज़ोर दिया। ईरानी रहनुमा ने सोशल प्लेटफार्म पर अपनी पोस्ट में कहा कि अगर हम मियांमार, ग़ज़ा, हिन्दोस्तान या किसी और जगह पर किसी मुस्लमान के साथ होने वाले मसाइब से बे-ख़बर हैं, तो हम ख़ुद को मुस्लमान नहीं समझ सकते।
खामनाई ने मज़ीद लिखा कि इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा हमें उम्मत इस्लामीया के मुशतर्का तशख़्ख़ुस से ला ताल्लुक़ रखने की कोशिश की है। ये पहला मौक़ा नहीं है कि किसी ईरानी रहनुमा ने ऐसी बात कही हो। इससे पहले भी ईरानी रहनुमा भारत में अकलीयतों के बारे में बात कर चुके हैं। साल 2019 में, उन्होंने जम्मू-ओ-कश्मीर में आर्टीकल 370 को मंसूख़ करने के नरेंद्र मोदी हुकूमत के फ़ैसले पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया था। उन्होंने कहा था कि हमें कश्मीर में मुस्लमानों की सूरत-ए-हाल पर तशवीश है। हमारे भारत के साथ अच्छे ताल्लुक़ात हैं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारती हुकूमत कश्मीर के अच्छे लोगों के लिए सही पालिसी अपनाएगी और खित्ते में मुस्लमानों पर होने वाले मज़ालिम को रोकेगी।
वज़ारत-ए-ख़ारजा के तर्जुमान रणधीर जयसवाल ने कहा कि हिन्दोस्तान में अक़लीयतों पर तबसरा करने वाले ममालिक को दूसरों के बारे में कोई तबसरा करने से पहले अपना रिकार्ड चैक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम ईरान के सुप्रीम लीडर के हिन्दोस्तान में अक़ल्लीयतों के बारे में किए गए तबसरों की शदीद मुज़म्मत (निंदा) करते हैं। ये ग़लत मालूमात पर मबनी हैं और नाक़ाबिल-ए-क़बूल है।
वज़ारत-ए-ख़ारजा के तर्जुमान रणधीर जयसवाल ने कहा कि हिन्दोस्तान में अक़लीयतों पर तबसरा करने वाले ममालिक को दूसरों के बारे में कोई तबसरा करने से पहले अपना रिकार्ड चैक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम ईरान के सुप्रीम लीडर के हिन्दोस्तान में अक़ल्लीयतों के बारे में किए गए तबसरों की शदीद मुज़म्मत (निंदा) करते हैं। ये ग़लत मालूमात पर मबनी हैं और नाक़ाबिल-ए-क़बूल है।
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