जामा मस्जिद, सेक्टर-6 के इमाम-ओ-खतीब मौलाना हैदर नहीं रहे, 45 साल तक दी अपनी खिदमत

निजी अस्पताल में ली आखिरी सांस
 खिराजे अकीदत पेश करने कसीर तादाद में लोग पहुंच रहे उनके दौलतकदे



✅ मुहम्मद जाकिर हुसैन : भिलाई
इस्पात नगरी की पहचान जामा मस्जिद, सेक्टर-6 में मुतवातिर 45 साल तक इमामत करने वाले पहले इमाम हाजी हाफिज अजमलुद्दीन हैदर (82) इस दारे फानी को अलविदा कह गए। गुजिश्ता कुछ दिनों से वे शहर के एक निजी अस्पताल में जेरे ईलाज थे जहां पीर की दोपहर उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके विसाल की खबर से इस्पात नगरी में गम का माहौल है। मरहूम मौलाना हैदर शहर के सभी तबके और हर मजाहिद के बीच एक जाना-पहचाना नाम था।

दुआएं लेने पहुंचते थे लोग

जामा मस्जिद, सेक्टर-6 के इमाम-ओ-खतीब मौलाना हैदर नहीं रहे, 45 साल तक दी अपनी खिदमत


मरहूम की नमाज-ए-जनाजा बाद नमाज ईशा, जामा मस्जिद, सेक्टर-6 के ईदगाह में अदा की जाएगी जिसके बाद उनकी कैम्प-1 के कब्रिस्तान, हैदरगंज में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा। इस दौरान उन्हें खिराजे अकीदत पेश करने दुर्ग-भिलाई समेत आसपास की तमाम मस्जिदों के इमामो-खतीब, मस्जिद कमेटियों के ओहदेदारान, मुख्तलिफ समाजी तंजीमों के अहलकार और दीगर लोगों का कसीर तादाद में उनके दौलतकदे पहुंचने का सिलसिला जारी है। 
    मरहूम हाफिज अजमलुद्दीन हैदर अपने पीछे अहलिया, तीन बेटे और दो बेटियों समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके इंतकाल की खबर मिलने के बाद गमगीन लोगों का उनके दौलतकदे, स्ट्रीट-24, क्वार्टर 7 बी, सेक्टर-2 पहुंचकर खिराजे अकीदत पेश करने का सिलसिला देर रात तक जारी रही। 

 22 साल की उम्र में बने हाफिज-ए-कुरआन, 1970 से सेक्टर-6 मस्जिद में कर रहे थे इमामत

जामा मस्जिद, सेक्टर-6 के इमाम-ओ-खतीब मौलाना हैदर नहीं रहे, 45 साल तक दी अपनी खिदमत


हाफिज अजमलुद्दीन हैदर की पैदाईश 29 दिसंबर 1942 को हुई थी। 1965 में 22 साल की उम्र में उन्होंने जामअ‍े अरबिया, इस्लामिया नागपुर से कुरआन हिफज किया और साथ ही आलिम का कोर्स पूरा किया। उसके बाद वे अपने वालिद हाजी हाफिज अफजलुद्दीन हैदर के पास आ गए, जो जामा मस्जिद, दुर्ग में पेश इमाम थे। कुछ दिनों बाद वे भिलाई की गौसिया मस्जिद कैम्प-1 में इमामत करने लगे। 
    उसी दौरान जामा मस्जिद, सेक्टर-6 की इंतेजामिया कमेटी की जानिब से उन्हें ईदुल फित्र व ईदुल अजहा की नमाज अदा कराने बुलाया जाने लगा। तब सेक्टर-6, मस्जिद में मुस्तकिल तौर पर कोई इमामत नहीं कर रहा था। 
    बाद के दौर में भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट सेक्टर-6 के बुलावे पर उन्होंने 11 जनवरी 1970 से यहां मुस्तकिल तौर पर इमामत शुरू की। सन 2000 में इमाम अजमलुद्दीन हैदर हज्जे बैतुल्लाह के लिए गए। वहां से लौटने के बाद भी मस्जिद में इमामत करते रहे लेकिन बाद में बाईपास सर्जरी की वजह से सेहत को लेकर दिक्कतें आने लगी।
    ऐसे में मस्जिद कमेटी को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया लेकिन कमेटी वालों ने उन्हें इमामत करते रहने के लिए कहा। जिस पर उन्होंने मस्जिद की खिदमत तो कुबूल कर ली लेकिन तनख्वाह लेने से इनकार कर दिया। दिसंबर 2015 से उन्होंने सेहत को देखते हुए मस्जिद से इमामत का ओहदा छोड़ दिया। और मस्जिद के पास ही सेक्टर-2 में रहते हुए खिदमते खल्क करते हुए जिंदगी बसर कर रहे थे। 

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