ताजमहल के दरवाजों पर लिखी कुरआनी आयातों के हुरूफ गायब, मर्कजी गुंबद पर उग आई झाड़ियां

ताजमहल के दरवाजों पर लिखी कुरआनी आयातों के हुरूफ गायब, मर्कजी गुंबद पर उग आई झाड़ियां

रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए। 

- सहीह बुखारी 

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✅आगरा : आईएनएस, इंडिया 

आगरा में हालिया शदीद बारिश के बाद ताजमहल की दीवारों, फ़र्श और दीगर हिस्सों को नुक़्सान पहुंचा है। टूरिस्ट गाईड फेडरेशन आफ़ इंडिया के नेशनल जनरल सेक्रेटरी शकील चौहान ने कहा है कि मर्कज़ी गुंबद के इर्द-गिर्द के दरवाज़ों पर अरबी में लिखी क़ुरआन की आयात के हुरूफ ख़राब हो चुके हैं। 
टाईम्स आफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पेट्रा डोरा की पेचीदा तकनीक का इस्तिमाल करते हुए दीवारों में लगाए गए क़ीमती पत्थरों को भी नुक़्सान पहुंचा है। इसके अलावा मग़रिबी सिम्त में शाही मस्जिद के सामने फ़र्श से पत्थर उखड़ गए हैं। मर्कज़ी मक़बरे के कुछ हिस्से और मशहूर गुंबद की दीवारों को भी नुक़्सान पहुंचा है। टूरिस्ट गाईड वेल्फेयर एसोसीएशन के सदर दीपक दान ने कहा कि आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया ने ये दावा करने के लिए किस किस्म का मुताला किया है कि यादगार के साथ कोई साखती मसाइल (संरचनात्मक समस्या) हैं।
ताजमहल के दरवाजों पर लिखी कुरआनी आयातों के हुरूफ गायब, मर्कजी गुंबद पर उग आई झाड़ियां


ताज-महल एक आलमी शोहरत याफ़ता यादगार है, और कोई भी मनफ़ी तशहीर तेज़ी से फैलती है जिससे मुल्क की इमेज ख़राब होती है। एएसआई ने दावा किया कि ताज-महल में कोई संगीन साखती मसाइल नहीं थे। ताज-महल की देख-भाल के लिए फ़ंडज़ में सुस्ती, बद उनवानी और बदइंतिज़ामी के इल्ज़ामात का जवाब देते हुए एएसआई ने कहा कि ताज-महल की देख-भाल पर ख़र्च किए गए फ़ंडज़ का वक़तन-फ- वक़तन ऑडिट किया जाता है। इसी बीच टाईम्स आफ़ इंडिया ने मक़बरे के मर्कज़ी गुंबद की दीवार पर पौधों के उगने की ख़बर दी थी। इसके अलावा बारिश का पानी एक जगह से टपक रहा था जिसके क़तरे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और उनकी अहलिया मुमताज़ महल के मक़बरों तक पहुंच रहे थे। उसके बाद एएसआई ने बयान में कहा था कि ये मुसलसल तेज़ बारिश की वजह से हुआ है। उसे ठीक किया जा रहा है। इसके अलावा कोई संगीन साखती मसला नहीं है।

आगरा शहर को वर्ल्ड कल्चर हेरिटेज क़रार देने से सुप्रीमकोर्ट का इंकार

नई दिल्ली : आगरा, उत्तरप्रदेश को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने आगरा शहर जिसमें ताज-महल समेत कई तारीख़ी यादगारें हैं, को आलमी सक़ाफ़्ती विरसा (वर्ल्ड कल्चर हेरिटेज) क़रार देने की दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया है। 
    बेंच ने दरख़ास्त पर नाराज़गी का इज़हार करते हुए कहा कि किसी एक शहर को आलमी सक़ाफ़्ती विरसा कैसे क़रार दिया जा सकता है। उनका मज़ीद कहना था कि आपको बताना होगा कि आलमी सक़ाफ़्ती विरसा क़रार देने का इंतिज़ाम कहाँ है, किसी शहर को आलमी सक़ाफ़्ती विरसा क़रार देने के क्या फ़वाइद हैं, क्या आलमी सक़ाफ़्ती विरसा क़रार दिए जाने के बाद शहर साफ़-सुथरा हो जाएगा, आपने हमें इस बारे में कुछ नहीं बताया कि इससे शहर को किस तरह मदद मिलेगी। 
    बेंच आगरा में ताज-महल के इर्द-गिर्द तरक़्क़ीयाती सरगर्मियों के लिए माहौलियाती मंज़ूरी से मुताल्लिक़ अर्ज़ियों के बीच में से एक दरख़ास्त पर ग़ौर कर रही थी। वकील ने आगरा को आलमी सक़ाफ़्ती विरसा क़रार देने की अर्ज़ी को दुरुस्त साबित करने के लिए वक़्त मांगा लेकिन अदालत-ए-उज़्मा ने दरख़ास्त मुस्तर्द कर दी। दूसरी तरफ़ सुप्रीमकोर्ट ने जुमा को कोलकाता मेट्रो रेल मंसूबे पर सख़्त समाअत की। अदालत ने हुक्म दिया कि अब मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए कोलकाता में विक्टोरिया मैमोरियल से मुत्तसिल (लगे हुए) मैदान के इलाक़े में कोई दरख़्त नहीं काटा जाएगा। यहां तक कि ट्रांसप्लांट ना करने की हिदायात भी दी गई हैं। बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 20 जून के फ़ैसले को चैलेंज करने वाली अर्ज़ी पर मग़रिबी बंगाल हुकूमत, रेल विकास निगम लिमिटेड और दीगर को नोटिस जारी किया। 
    आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने बड़ी तादाद में दरख़्तों की मुबय्यना कटाई और पैवंद कारी की वजह से मैदान के इलाक़े में तमाम तामीरात को रोकने की हिदायत देने की दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया था। अब सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अगली तारीख़ तक, हम हिदायत देते हैं कि कोई नया दरख़्त ना काटा जाए और ना ही उसकी पैवंदकारी की जाए। बेच ने आरवीएनएल की तरफ़ से पेश होने वाले वकील से कहा कि, आप काम जारी रखें हैं लेकिन आज से दरख़्त हरगिज़ ना काटे जाएं।


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