मोहर्रम उल हराम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा किसी और चीज़ के जरिये मुझ से इतना करीब नहीं होता, जितना फर्ज़ इबादत के जरिये होता है।"
- सहीह बुखारी
✅ बख्तावर अदब : भिलाई
गौसिया मस्जिद, कैम्प-1 में गुजिश्ता दिनों हजरत सिब्तैन रजा (एचएसआर) वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से तकरीब उर्स-ए-औलिया-ए-किराम मुनाकिद किया गया। मेहमान-ए-खुसूसी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान के पोते सूफ़ी मौलाना हम्माद रजा खां थे। तकरीब की शुरुआत इमाम गुलाम रसूल खां की तिलावते कुरआन से हुई।
इस दौरान नात शरीफ भी पेश की गई। ऑल इंडिया रज़वी सिब्तैन नेटवर्क मरकज-ए-अहले सुन्नत (बरेली शरीफ) के सदर हम्माद रजा खां ने अपनी तकरीर में वलियो से मुहब्बत और अमन का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि हमारा हिंदुस्तान एक खूबसूरत गुलदस्ते की मानिंद है, जिसमें हर किस्म के फूल महकते हैं। उन्होंने औलिया-ए-कराम का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे की गई मुहब्बत दुनिया ही नहीं आखिरत में में भी काम आने वाली है।
उन्होंने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान के मानने वाले बरेलवी लोग हमेशा ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट के वफादार रहे हैं और इंशा अल्लाह उस दरबारे पाक के लिए हमेशा हाज़िर रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुल्क की हर दरगाह और खानकाह हमारी विरासत का हिस्सा है। आखिर में दुआए खैर की गई।
इस मौके पर लंगर का इंतजाम किया गया था, जिसमें सभी मजाहिब के लोगों ने हजारों की तादाद में हिस्सा लिया। उर्स को कामयाब बनाने में हजरत सिब्तैन रजा (एचएसआर) वेलफेयर सोसाइटी के सदर मिर्जा अनवर बेग, सेक्रेटरी मोहम्मद जफर खान, खजांची मोहम्मद अरमान खान, अराकीन हाजी कमरूद्दीन, इशरत खान, मोईनुद्दीन खान, फरहान खान, अफजल कुरैशी, आजाद खान, दिलशाद खान, आबिद कुरैशी, सद्दाम कुरैशी, इमरान खान, शमीम अंसारी, फैज खान, मिर्जा मोईन बेग, मिर्जा शहीम, मिर्जा तौसिफ बेग, मिर्जा फहीम बेग, इस्लाम कुरैशी, इजहार अली, वकील खान, शेर मोहम्मद खान, सुलेमान खान, मोहम्मद फैज अली, नबी कुरैशी, सगीर कुरैशी, शादाब खान, अमन कुरैशी, अनस कुरैशी, फिरोज अंसारी, इकराम अली, शौकत अली, महताब खान, शहजाद खान, अफजल मंसूरी, मेराज सिद्दीकी, शराफत खान, मिर्जा कामरान बेग, इजहार खान, जुबेर खान, सलमान खान, राजिक खान और कैफ खान समेत दीगर ने कलीदी किरदार अदा किया।
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