जामा मस्जिद, दिल्ली और उसके आसपास की जगह का सर्वे करने हाईकोर्ट ने एएसआई को दी हिदायत

 जमादी उल ऊला 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ 

कोई इंसान अच्छे अमल करता है और लोग उसकी तारीफ करते है तो ये गोया मोमिन के लिए दुनिया में ही जन्नत की बशारत है। 
- सहीह मुस्लिम 

महफ़ूज़ यादगार क़रार देने की दरख़ास्त पर 

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

जामा मस्जिद, दिल्ली और उसके आसपास की जगह का सर्वे करने हाईकोर्ट ने एएसआई को दी हिदायत

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

जामा मस्जिद को महफ़ूज़ यादगार क़रार देने का मुतालिबा करने वाली अर्ज़ी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया को जामा मस्जिद और उसके इर्द-गिर्द सर्वे करने की हिदायत दी है। अदालत ने सर्वे के मक़सद और जामा मस्जिद के इंतिज़ाम में वक़्फ़ बोर्ड के रोल पर भी वज़ाहत तलब की है। मुआमले की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। 
    हाईकोर्ट ने एएसआई से ये भी वाज़िह करने को कहा कि जामा मस्जिद अब तक एएसआई के मातहत क्यों नहीं है। एएसआई की जानिब से दाख़िल हलफ़नामा में कहा गया है कि जामा मस्जिद को महफ़ूज़ यादगार क़रार देने के कई अहम असरात मुरत्तिब होंगे। इस फ़ैसले के बाद 100 मीटर के अंदर तामीराती काम ममनू होगा जबकि 200 मीटर से ज़्यादा के इलाक़े में तामीरात पर सख़्त क़वानीन लागू होंगे। 


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    केस की समाअत के दौरान एएसआई ने अदालत को ये भी बताया कि उसे महफ़ूज़ यादगार क़रार दिए बग़ैर उन्होंने 1997 से 2021 के दरमयान जामा मस्जिद के तहफ़्फ़ुज़ और मुरम्मत पर तक़रीबन 61 लाख रुपय ख़र्च किए हैं। बेंच ने एएसआई से कहा कि वो जामा मस्जिद का कोई ख़ाका पेश करें और वज़ाहत करें कि मस्जिद के अहाते को किस मक़सद के लिए इस्तिमाल किया जा रहा है। 


    अदालत ने ये भी बताने को कहा है कि रेवेन्यू और अतयात का इस्तिमाल कैसे किया जा रहा है। साथ ही अदालत ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड से कहा है कि वो बताए कि जामा मस्जिद की इंतिज़ामी कमेटी के आईन में कोई तबदीली की गई है या नहीं। अदालत ने बोर्ड से जामा मस्जिद और उसके अतराफ़ के तहफ़्फ़ुज़ के लिए तजावीज़ पेश करने को भी कहा है।

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