जमादी उल ऊला 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कोई इंसान अच्छे अमल करता है और लोग उसकी तारीफ करते है तो ये गोया मोमिन के लिए दुनिया में ही जन्नत की बशारत है।
- सहीह मुस्लिम
दुनिया का सबसे बड़ा आलमी तब्लीग़ी इजतिमा 29 नवंबर से मध्य प्रदेश के दार-उल-हकूमत भोपाल में मुनाक़िद होने जा रहा है जिसमें मुल्क और बैरून-ए-मुमालिक से 30 हज़ार से ज़ाइद जमातें शिरकत करेंगें। इंतिज़ामी कमेटी के मुताबिक़ ये दुनिया में मुस्लमानों का सबसे बड़ा तब्लीग़ी इजतिमा है। एक अंदाज़े के मुताबिक़ 4 रोज़ तक जारी रहने वाले आलमी तब्लीग़ी इजतिमा में 10 से 12 लाख अफ़राद शिरकत करेंगे। हर बार की तरह इस बार भी ग्रीन एंड क्लीन के मौज़ू पर इजतिमा के इनइक़ाद की तैयारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी हैं। ख़्याल रहे कि हिन्दोस्तान में 1947 में भोपाल के तब्लीग़ी जमात के इजतिमा का आग़ाज़ हुआ था। सबसे पहले उसका एहतिमाम मस्जिद शकोल ख़ान में किया गया। उस वक़्त इजतिमा में सिर्फ 12 से 14 लोग शरीक थे। बादअज़ां 1971 में ताज अल मसाजिद में बड़े पैमाने पर इसका इनइक़ाद शुरू हुआ। आहिस्ता-आहिस्ता यहां आने वालों की तादाद भी बढ़ने लगी। साल 2015 में इसे बैरसिया रोड पर ईंट खेडी के क़रीब घासीपूरा मुंतक़िल किया गया था। तब से इजतिमा का इनइक़ाद इसी मुक़ाम पर होता आया है।
भोपाल में इसकी तैयारीयां दो माह पहले से की जाती हैं। प्रोग्राम में शरीक लोगों की बुनियादी ज़रूरीयात को पूरा करने के लिए इजतिमा गाह में हर तरह का इंतिज़ाम किया जाता है। दुनिया में सिर्फ 3 ममालिक ही आलमी तब्लीग़ी इजतिमा का एहतिमाम करते हैं। उनमें पहले भारत, दूसरा पाकिस्तान और तीसरे नंबर पर बंगला देश है। भोपाल में कोरोना के दौर में दो साल तक इस तक़रीब का एहतिमाम नहीं किया गया था।
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और इंतिज़ामी कमेटी के अरकान के साथ पुलिस और दीगर महिकमों के ओहदेदारों के साथ आलमी तब्लीग़ी इजतिमा के सिलसिले में एक मीटिंग भी की गई है जिसमें इजतिमा गाह में पानी, बिजली, सफ़ाई सुथराई के इंतिज़ामात पर बातचीत हुई। इसके साथ ही मेट्रो काम के दौरान भोपाल टॉकीज़ से करोंद तक रुकावटें हटाने के लिए मेट्रो कंपनी के आफ़िसरान को भी हिदायात दी गई हैं।
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और इंतिज़ामी कमेटी के अरकान के साथ पुलिस और दीगर महिकमों के ओहदेदारों के साथ आलमी तब्लीग़ी इजतिमा के सिलसिले में एक मीटिंग भी की गई है जिसमें इजतिमा गाह में पानी, बिजली, सफ़ाई सुथराई के इंतिज़ामात पर बातचीत हुई। इसके साथ ही मेट्रो काम के दौरान भोपाल टॉकीज़ से करोंद तक रुकावटें हटाने के लिए मेट्रो कंपनी के आफ़िसरान को भी हिदायात दी गई हैं।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के 29 वें आम इजलास में होगा वक्फ बिल पर तजकिरा
बैंगलोर : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का 29वां इजलास-ए-आम जल्द ही बैंगलोर में मुनाकिद होने जा रहा है। इजलास की तफ़सील और दीगर ज़रूरी बातों के ऐलान के सिलसिले में दार-उल-उलूम सबील अल रशाद प्रेस कान्फ्रेंस में ये जानकारी दी। मजलिस इस्तिक़बालिया बराए इजलास आम की जानिब से मुनाक़िद प्रेस कान्फ्रेंस से मौलाना मुहम्मद फ़ज़ल अल रहीम मुजद्ददी (जनरल सेक्रेटरी बोर्ड और मौलाना मुहम्मद अमरीन महफ़ूज़ रहमानी (सेक्रेटरी बोर्ड) ने ख़िताब किया। इस मौक़ा पर मजलिस इस्तिक़बालिया के चंद अहम अफ़राद और अमाइदीन शहर भी मौजूद थे। कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए ज़िम्मादारान बोर्ड ने फ़रमाया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (एआईएमपीएलबी) मिल्लत-ए-इस्लामीया हिंद के सभी मसालिक-ओ-मकातिब, फ़िक्र और तमाम तबक़ात का बा वक़ार मुत्तहदा-ओ-मुशतर्का प्लेटफार्म है, जो मुल्क में तहफ़्फ़ुज़ शरीयत इस्लामी-ओ-शाइर इस्लामी के लिए पिछले पच्चास सालों से मुसलसल, मुस्तैदी और कामयाबी के साथ जद्द-ओ-जहद में मसरूफ़ है।
बोर्ड शरई मुआमलात में मुस्लमानों के मुफ़ादात की नुमाइंदगी भी करता है, मुल्क में क़वानीन शरीयत इस्लामी-ओ-शाइर इस्लामी की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी भी निभाता है और मुस्लमानों में शरीयत इस्लामी की पाबंदी के सिलसिले में तहरीक भी चलाता है। जिम्मेदारान ने कहा, एक तरफ़ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड हिन्दोस्तान में शरीयत इस्लामी-ओ-शाइर इस्लामी पर सरकारी, अदालती और अवामी सतह पर होने वाले यलगारों का मुक़ाबला करता है तो दूसरी तरफ़ इस्लाह मुआशरा के उनवान से मुस्लमानों में इस्लामी शरीयत के तहफ़्फ़ुज़ और इस पर अमल करने के सिलसिले में तहरीकें चलाता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का कयाम 1973 में हिन्दोस्तान में मुस्लमानों के दरमियान शरई क़वानीन के तहफ़्फ़ुज़ और फ़रोग़ के मक़सद से अमल में आया था। बोर्ड अपने कयाम के अव्वल दिन से मुल्क में मुख़्तलिफ़ अहम मुआमलात और मुबाहिसों में शामिल रहा है, जिनमें मुस्लिम ख़वातीन (तलाक़ पर हुक़ूक़ तहफ़्फ़ुज़) क़ानून, शाह बानो मुक़द्दमा, यूनीफार्म सिविल कोड मआमला, बाबरी मस्जिद मुक़द्दमा की भरपूर पैरवी, वक़्फ़ (तरमीमी बिल 2014 और तलाक़ सलासा) का मसला वग़ैरा शामिल हैं।
बोर्ड ने मुस्लिम पर्सनल ला के तहफ़्फ़ुज़ की वकालत करने और हिन्दोस्तान में यकसाँ सिविल कोड नफ़ाज़ की कोशिशों की मुज़ाहमत करने में भरपूर किरदार अदा किया है। ख़्याल रहे कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का ये इजलास एक ऐसे वक़्त में मुनाक़िद हो रहा है, जबकि मुल्क में औक़ाफ़ के तहफ़्फ़ुज़ की जंग छड़ी हुई है। जेपीसी को ई-मेल कर बोर्ड की एक आवाज़ पर पौने चार करोड़ मुस्लमानों ने हुकूमत वक़्त की तरफ़ से वक़्फ़ से मुताल्लिक़ लाए गए नए क़ानून की मुख़ालिफ़त में एक तारीख़ी रिकार्ड क़ायम किया है। मुल्क के करोड़ों मुस्लमानों ने मुल्क में तमाम शरई क़वानीन के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिला में बोर्ड की जानिब उम्मीदभरी नज़रों से देख रहे हैं। इस सूरत-ए-हाल के पेश-ए-नज़र उम्मीद है कि बैंगलौर में मुनाक़िद होने वाला ये इजलास तारीख़ी ही नहीं बल्कि तारीख़ साज़ भी होगा।
बोर्ड शरई मुआमलात में मुस्लमानों के मुफ़ादात की नुमाइंदगी भी करता है, मुल्क में क़वानीन शरीयत इस्लामी-ओ-शाइर इस्लामी की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी भी निभाता है और मुस्लमानों में शरीयत इस्लामी की पाबंदी के सिलसिले में तहरीक भी चलाता है। जिम्मेदारान ने कहा, एक तरफ़ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड हिन्दोस्तान में शरीयत इस्लामी-ओ-शाइर इस्लामी पर सरकारी, अदालती और अवामी सतह पर होने वाले यलगारों का मुक़ाबला करता है तो दूसरी तरफ़ इस्लाह मुआशरा के उनवान से मुस्लमानों में इस्लामी शरीयत के तहफ़्फ़ुज़ और इस पर अमल करने के सिलसिले में तहरीकें चलाता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का कयाम 1973 में हिन्दोस्तान में मुस्लमानों के दरमियान शरई क़वानीन के तहफ़्फ़ुज़ और फ़रोग़ के मक़सद से अमल में आया था। बोर्ड अपने कयाम के अव्वल दिन से मुल्क में मुख़्तलिफ़ अहम मुआमलात और मुबाहिसों में शामिल रहा है, जिनमें मुस्लिम ख़वातीन (तलाक़ पर हुक़ूक़ तहफ़्फ़ुज़) क़ानून, शाह बानो मुक़द्दमा, यूनीफार्म सिविल कोड मआमला, बाबरी मस्जिद मुक़द्दमा की भरपूर पैरवी, वक़्फ़ (तरमीमी बिल 2014 और तलाक़ सलासा) का मसला वग़ैरा शामिल हैं।
बोर्ड ने मुस्लिम पर्सनल ला के तहफ़्फ़ुज़ की वकालत करने और हिन्दोस्तान में यकसाँ सिविल कोड नफ़ाज़ की कोशिशों की मुज़ाहमत करने में भरपूर किरदार अदा किया है। ख़्याल रहे कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का ये इजलास एक ऐसे वक़्त में मुनाक़िद हो रहा है, जबकि मुल्क में औक़ाफ़ के तहफ़्फ़ुज़ की जंग छड़ी हुई है। जेपीसी को ई-मेल कर बोर्ड की एक आवाज़ पर पौने चार करोड़ मुस्लमानों ने हुकूमत वक़्त की तरफ़ से वक़्फ़ से मुताल्लिक़ लाए गए नए क़ानून की मुख़ालिफ़त में एक तारीख़ी रिकार्ड क़ायम किया है। मुल्क के करोड़ों मुस्लमानों ने मुल्क में तमाम शरई क़वानीन के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिला में बोर्ड की जानिब उम्मीदभरी नज़रों से देख रहे हैं। इस सूरत-ए-हाल के पेश-ए-नज़र उम्मीद है कि बैंगलौर में मुनाक़िद होने वाला ये इजलास तारीख़ी ही नहीं बल्कि तारीख़ साज़ भी होगा।
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