बीदर के तारीखी किले पर वक़्फ़ बोर्ड ने किया दावा

beedar ka kila, karnatak, bakhtawar adab
जमादी उल ऊला 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ

नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत 
------------------------

✅ बीदर : आईएनएस, इंडिया 

वक़्फ़ बोर्ड ने तारीख़ी बीदर किले की मिल्कियत का दावा किया है। किला 70 साल से ज़ाइद अर्से से आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया की तहवील में एक महफ़ूज़ यादगार है। वक्फ बोर्ड के दावे से बीदर ताल्लुक़ा के एएसआई आफ़िसरान, जिले के डिप्टी कमिशनर और मुक़ामी मुंतख़ब नुमाइंदे हैरान हैं। 

beedar ka kila, karnatak, bakhtawar adab
Image Google


दिलचस्प बात ये है कि 1427 में बह्मानी सल्तनत के जरिये तामीर-कर्दा किलो की 2005 में वक़्फ़ बोर्ड से ताल्लुक़ रखने वाले के तौर पर दर्जाबंदी की गई थी। इसकी देखभाल की जिम्मेदारी एएसआई पर है। किले को एशिया का सबसे बड़ा क़िला क़रार दिया गया है। इसे 29 नवंबर 1951 को गज़्ट आफ़ इंडिया में एक महफ़ूज़ यादगार क़रार दिया गया था। हालांकि 17 अगस्त 2005 को जारी एक नोटीफ़िकेशन में किले के इलाक़े को वक़्फ़ जायदाद के तौर पर दावा किया गया था। वक़्फ़ ने जिन इलाक़ों का दावा किया है, उनमें सोला कुंभ या 16 सतूनों की यादगार, इश्तोर के 15 में से 14 गुंबद और बारिद शाही पार्क में अमीर बारीद के मक़बरे भी शामिल हैं। 

beedar ka kila, karnatak, bakhtawar adab
  (Bahmani Kila)    Image Google


अगरचे वज़ीर-ए-आला ने पिछले पंद्रह दिन में मुआमले पर कई वज़ाहतें और किसी भी टेक ओवर नोटिस को कुलअदम करने का हुक्म-जारी किया है, लेकिन किसान और शहरी अब भी परेशान हैं। महिकमा आसारे-ए-क़दीमा के अस्सिटेंट ने दावा किया कि उन्हें सरकारी नोटीफ़िकेशन का कोई इल्म नहीं है जिसमें 2005 से इस महफ़ूज़ जगह को वक़्फ़ जायदाद के तौर पर दर्जा बंदी की गई है। मुताल्लिक़ा महिकमे का रिकार्ड हेड ऑफ़िस में है जहां इस पर मज़ीद रोशनी डाली जा सकती है। 


डिप्टी कमिशनर शिल्पा शर्मा ने भी दावा किया कि वो बीदर किले को वक़्फ़ बोर्ड की जायदाद के तौर पर नामज़द किए जाने से ला इल्म हैं। उन्होंने मुताल्लिक़ा महिकमे से मालूमात हासिल करने की बात कही। इसी तरह बीदर ताल्लुक़ा के धरम पूर और चटनाली गावं का दावा वक़्फ़ बोर्ड ने किया है। ज़राइआ ने बताया कि धरम पूर गाव के सर्वे नंबर 87 के तहत कुल 26 एकड़ को निशान ज़द किया गया है। वक़्फ़ की मिल्कियत, जो 2001 तक अराज़ी के रिकार्ड से ग़ायब थी, 2013 के बाद शामिल की गई थी। 


चटागपा ताल्लुक़ा के इडबल गांव में किसान कृष्णा मूर्ती की तक़रीबन 19 एकड़ अराज़ी वक़्फ़ बोर्ड को सौंपी गई है। तक़रीबन 30 साल पहले कृष्णा मूर्ती अपने खेत के एक कोने में एक मुस्लमान शख़्स को दफ़न करने पर राज़ी हो गए थे। 2013 में वक़्फ़ बोर्ड ने चटनाली गांव में 960 एकड़ अराज़ी को बाज़ाबता तौर पर तस्लीम किया। उसके बारे में फ़िक्रमंद गांव के किसानों ने एमएलए की क़ियादत में हाल ही में वज़ीर-ए-आला से मुलाक़ात की, और इसका हल तलाश करने पर ज़ोर दिया।

बीदर सल्तनत के बानी 

कर्नाटक रियासत के बीदर के बानी (संस्थापक) कासिम बारिद को बताया जाता है। कासिम बारिद शाही वंश (1492-1619) के बानी और पहले वजीरे आजम थे। बहमनी राजवंश (1347) के कयाम के साथ ही बीदर पर सुल्तान अलाउददीन बहमन शाह बहमनी का कब्ज़ा हो गया था। अहमद शाह (1422-1486) के शासन के दौरान, बीदर को बहमनी सल्तनत की राजधानी बनाया गया। पुराने किले का रेनोवेशन किया गया और मदरसे, मस्जिद, महल और बाग बनाए गए।
    शहर की सबसे खूबसूरत और सबसे अहम जगह है, बीदर किला। 15वीं सदी में बना ये किला शहर का गौरव है। किले को बहमनी सल्तनत के सुल्तान अहम शाह वली ने बनवाया था। पहले इसकी राजधानी गुलबर्ग थी जिसे 1430 में बदलकर बीदर कर दिया गया। 1.25 किमी. लंबा और 0.25 किमी. चौड़ा ये किला फारसी आर्किटेक्चर का शानदार नमूना है। किले के अंदर तकरीबन 30 स्मारक हैं। इनमें सबसे खूबसूरत गगन महल, रंगीन महल और तारक महल हैं। 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ