जमादी उल ऊला 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।
- कंजुल इमान
मर्कज़ी वज़ारात-ए-तलीम ने आईआईटी पटना को सौंपी जिम्मेदारी
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
अंग्रेज़ी से हिन्दी या दीगर ग़ैर मुल्की ज़बानों का तर्जुमा अब 17 मुक़ामी ज़बानों में भी मेअयारी और सही तरीक़ा से कर पाना मुम्किन हो सकेगा। कई मुक़ामी ज़बानों में मशीनी तर्जुमे का अमल जारी भी है, लेकिन इसमें तकनीकी तौर पर कई तरह की ख़ामियाँ देखने को मिलती हैं। इसी को पेश-ए-नज़र रखते हुए मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से एक बेहतरीन पेशक़दमी की गई है।इसके साथ ही मुल्क के 17 मुक़ामी ज़बानों में मेअयारी तर्जुमे की सहूलत फ़राहम करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इन ज़बानों में 'उर्दू भी शामिल है। तर्जुमा के मेअयार से मुताल्लिक़ मर्कज़ी वज़ारात-ए-तलीम ने मुख़्तलिफ़ इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ टेक्नोलोजी (आईआईटी) और दीगर मर्कज़ी इदारों का एक कंसोर्टियम बनाया है। आईआईटी पटना को इसका नोडल ऑफीसर बनाया गया है।
बताया जा रहा है कि सबसे पहले बिहार के अहम मुक़ामी ज़बान मैथिली में तर्जुमा के लिए टूल्ज़ डेवलप किए जाएंगे। उसके बाद मर्कज़ी हुकूमत के आठवें शेडयूल में शामिल दीगर इलाक़ाई ज़बानों को भी तर्जुमा करने की सहूलत फ़राहम करने की कोशिश होगी जिसकी निगरानी वज़ारात-ए-तलीम करेगी।
तर्जुमा के लिए बनाए गए फॉर्मेट के तहत सॉफ्टवेअर को बेहतर तरीक़े से चलाने के लिए मीडिया इदारों से डैटा भी लिया जाएगा। उसके तहत मीडीया हाऊस की ख़बरों के हिन्दी ज़बान का डैटा बैक तैयार किया जाएगा। इस में खासतौर पर क़ानून, इंतिज़ामीया, ज़राअत, सेहत, तालीम, साईंस, टेक्नोलोजी और मौसमियाती शोबों का डैटा शामिल होगा। उसके तहत साईंस और टेक्नोलोजी, सेहत की देख-भाल, ज़राअत, आब-ओ-हवा, सयाहत और अदलिया से मुताल्लिक़ 50 फ़ीसद मवाद होंगे।
ये सॉफ्टवेअर हिन्दी ज़बान को मर्कज़ी ज़बान मान कर काम करेगी। ये स्पेक्ट्रम में आसान तर्जुमे की सहूलत फ़राहम करेगी। उसीकी बुनियाद पर इसमें प्रोग्रामिंग की जाएगी। जिन 17 ज़बानों को तर्जुमा के लिए मुख़तस किया गया है, उनमें उर्दू समत आसामी, बंगला, गुजराती, कश्मीरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, सिंधी, कोंकणी, मनीपूरी, नेपाली, बोड़ो, डोगरी, मैथिली और संथाली शामिल है।
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