जमादी उल ऊला 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।
- कंजुल इमान
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दौर-ए-हाज़िर में अफ़रातफ़री के माहौल के पेश-ए-नज़र क़ुरआन-ओ-हदीस के अहकामात पर तवज्जा दिलाने की ग़रज़ से ऐवान ग़ालिब, नई दिल्ली में क़ुरआन एकेडमी की जानिब से एक रोज़ा क़ुरआन कान्फ्रेंस का इनइक़ाद किया गया। ज़ाकिर हुसैन कॉलेज, दिल्ली यूनीवर्सिटी के रिटायर्ड प्रिंसिपल और क़ुरआन एकेडमी के बानी डाक्टर असलम परवेज़ ने बताया कि क़ुरआन एकेडमी गुजिश्ता पंद्रह बरस से क़ुरआन कान्फ्रेंस मुनाक़िद करने में कामयाब है।
कान्फ्रेंस का मक़सद क़ुरआन-ओ-हदीस की रोशनी में नेक रास्ते की तरफ़ राग़िब करना है। इस मौक़ा पर डाक्टर नौरीना परवीन (इलाहाबाद) ने इन्सानी ज़िंदगी के उसूल उनवान के तहत अपनी तक़रीर के दौरान कहा कि क़ुरआन एक ऐसा हिदायतनामा है, जिस पर अमल करने वालों पर किसी किस्म का ख़ौफ़-ओ-मलाल तारी नहीं होता। अल्लाह की तख़लीक़ करदा तमाम मख़लूक़ात में बनी नौ इन्सान को तमाम जानदारों पर फ़ौक़ियत हासिल है। इन्सानियत की सतह पर सबको एक मादह से तख़लीक़ किया गया है लेकिन हम ख़ुद मुख़्तलिफ़ तबक़ात में मुनक़सिम हो गए हैं। औरत-ओ-मर्द में तफ़रीक़, अमीर-ओ-ग़रीब में फ़र्क़ हर तरफ़ नज़र आता है। जबकि क़ुरआन-ए-मजीद में इसकी गुंजाइश नहीं। डाक्टर नौरीन ने कहा कि कोई मुआशरा या मुल्क बग़ैर अदल-ओ-इन्साफ़ के तरक़्क़ी नहीं कर सकता।
रामपूर के मारूफ़ मुहक़्क़िक़ सय्यद अबदुल्लाह तारिक़ ने तनाव भरी ज़िंदगी में क़ुरआन का हिस्सा उनवान पर कहा कि अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ जिंदगी गुज़ारने वाले अफ़राद के दिल से ख़ौफ़ व दहशत निकलने के बाद तनाव लाज़िमी तौर पर ख़त्म हो सकता है। तनाव को दूर करने के लिए हर हाल में अल्लाह की शुक्रगुज़ारी ज़रूरी है। दूसरों की बुराई को दरगुजर करने से भी ज़हनी सुकून हासिल करने में मदद मिल सकती है। नमाज़ अदा करते वक़्त दिल में सिर्फ अल्लाह का ख़्याल रखना चाहिए।
अबदुल्लाह तारिक़ ने पाँच मिनट के लिए मुराक़बा करने के लिए हाज़िरीन को आँखें बंद करने के साथ क़ुरआन की सूरा अलज़ही को सुनने के लिए कहा। अबदुल्लाह तारिक़ ने दावा कि इससे तनाव दूर किया जा सकता है।
चेन्नई के सनअतकार मुहम्मद मुश्ताक़ ने क़ुरआन से कामयाबी मौज़ू पर तबादला-ए-ख़्याल करते हुए कहा कि क़ुरआन-ए-करीम का खुले ज़हन से मुताला करना अशद ज़रूरी है, मौजूदा दौर में आसमानी सहीफ़ों को हम ताज़ीम की नज़र से तो देखते हैं, लेकिन उनकी तालीमात पर ग़ौरो फ़िक्र नहीं करते। उन्होंने कहा, कुरान मजीद को सर्च इंजन की तरह इस्तिमाल करने से हर सवाल का जवाब हासिल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि वो गुजिश्ता बीस बरस से क़ुरान-ए-पाक का दरस दे रहे हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीक़े से तालिब-इल्म फ़ैज़याब हो रहे हैं।
आख़िरी ख़ुतबा में डाक्टर असलम परवेज़ ने कहा कि क़ुरआन-ए-करीम पूरी इन्सानियत के लिए राह हिदायत है। ये सिर्फ़ मुस्लमानों की किताब नहीं है। क़ुरआन-ए-मजीद में फ़र्द साज़ी को मुफ़स्सिल तरीक़े से वाज़िह किया गया है। अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ ज़िंदगी बसर करने वाला, ही मुत्तक़ी है। प्रोग्राम की निजामत के फराइज डाक्टर असलम परवेज़ ने दिए, जबकि क़ारी नसीम की तिलावत कलाम पाक से कान्फ्रेंस का आग़ाज़ हुआ। कसीर तादाद में शायक़ीन और तलबा-ए-ओ- तालिबात ने शिरकत की।
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