बंगला देश : 40 साल बाद समुंद्री रास्ते से मक्का पहुंचेंगे आज़मीन-ए-हज्ज

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जमादी उल आखिर 1446 हिजरी


फरमाने रसूल ﷺ

तुम्हें नमाज़े इशा की बदौलत पहली उम्मतों पर फज़ीलत दी गईए तुम से पहले ये नमाज किसी उम्मत ने नहीं पढ़ी।
- अबु दाऊद

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✅ ढाका : आईएनएस, इंडिया 

बंगला देशी हुक्काम आज़मीन-ए-हज को दुबारा समुंद्री रास्ते से भेजने की तैयारी कर रहे हैं, जिसका मक़सद अगले साल शुरू होने वाले सफ़री अख़राजात में नुमायां कमी लाना है। गौरतलब है कि कोविड 19 वबाई अमराज़ के बाद बैन-उल-अक़वामी हवाई किरायों में इज़ाफे़ के बाद से चूँकि बहुत कम लोग हज के मुतहम्मिल हो सके हैं, तो सबसे ज़्यादा आबादी वाला मुस्लिम अक्सरीयती मुल्क बंगला देश गुजिशता चंद सालों से अपना हज कोटा पूरा करने के लिए जद्द-ओ-जहद कर रहा है। 

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गुजिशता माह जददा में बंगला देश के मुशीर बराए मज़हबी उमूर ख़ालिद हुसैन की सऊदी वज़ीर-ए-हज-ओ-उमरा डाक्टर तौफ़ीक़ अलरबीअह से मुलाक़ात हुई जिसके दौरान समुंद्री रास्ते से सफ़र-ए-हज के इमकानात पर तबादला-ए-ख़्याल किया गया। सऊदी ममलकत में ढाका के एलची ब्रीगेडीयर जनरल एसएम रक़ीब अल्लाह ने जुमेरात को अरब न्यूज़ को बताया कि सफ़री मुआमलात पर पहला सेशन अगले हफ़्ते होना था। उन्होंने कहा कि हमें सऊदी अथार्टी से हुज्जाज के समुंद्री सफ़र के हवाले से तसदीक़ मौसूल हुई है। मआमले पर राबिता कारी इजलास तीन दिसंबर को जददा में हुआ। अगले साल का हज सीज़न चार से नौ जून के दरमयान होगा। इस दौरान समुंद्र के रास्ते आज़मीन को भेजना शुरू करने का हदफ़ मुक़र्रर करते हुए बंगला देशी हुक्काम हज पैकेज के अख़राजात कम करने का मन्सूबा बना रहे हैं।
    मौजूदा 2025 पैकेज की क़ीमत तक़रीबन 4,000 डालर है। वज़ारत-ए-मज़हबी उमूर के एडीशनल सेक्रेटरी मुतीअ उल इस्लाम ने अरब न्यूज़ को बताया कि हम इन आज़मीन के लिए नए हज पैकेज का ऐलान करेंगे, जो समुंद्री रास्ता इख़तियार करने में दिलचस्पी रखते हैं। ये नया समुंद्री रास्ता हज कोटा पूरा करने में हमारी मदद करेगा। हमारी तफ़वीज़ करदा शिपिंग कंपनी बहरी जहाज़ हासिल करने पर काम कर रही है। अगर हमें बरवक़्त जहाज़ मिल जाए तो हमारी तरफ़ से कोई और मसला नहीं है। 
    बंगला देशी हुकूमत की तरफ़ से सफ़र के लिए मुंतख़ब करदा बहरी जहाज़ कंपनी को तवक़्क़ो है कि नक़ल-ओ-हमल के नए तरीक़े से मौजूदा हज पैकेज के अख़राजात में 20 फ़ीसद से ज़्यादा कमी हो जाएगी। गुजिशता साल सऊदी अरब ने बंगला देश को 1, 27,000 आज़मीन-ए-हज्ज का कोटा दिया था लेकिन ज़्यादा महंगाई के बाइस सिर्फ 85،000 ही इस रुहानी सफ़र पर जा सके थे।



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