रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
लोगों को अपने शर से महफूज़ कर दो, उन्हें तकलीफ ना पहुंचाओ के ये भी एक सदका है, जिसे आप खुद अपने आप पर करोगे।
-सहीह बुखारी
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जबकि सऊदी फ़िल्म अथार्टी की जानिब से तसव्वुराती और जराइम पर मबनी फिल्में भी तैयार और पेश की गई थीं। 'मंदूब अललील (शब का नुमाइंदा) के उनवान से बनाई गई फ़िल्म सबसे टाप पर रही जिसने 28.255 मिलियन रियाल का बिज़नस किया। फ़िल्म एक तीस साला शख़्स की ज़िंदगी की अक्कास थी जिसमें उसे रोज़गार के लिए क्या कुछ करना पड़ता है, दिखाया गया है।
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फ़िल्म जिस नौजवान के गिर्द घूमती है, उसे रियाद में डिलिवरी के लिए रात की शिफ़्ट दी जाती है जिसके लिए उसे रात-भर सड़कों पर रहना पड़ता है। दूसरे नंबर पर 'शबाब अलबोमब रही, जिसके 632.3 हज़ार टिकट फ़रोख़त हुए। फिल्म ने 26.592 मिलियन रियाल का बिज़नस किया। ये फ़िल्म कामेडी फिल्म थी जिसे नौजवानों ने काफ़ी पसंद किया। तीसरे नंबर पर रहने वाली फ़िल्म 'लील-ओ-निहार (रात-दिन) रही] जिसने 2#6 मिलियन रियाल का बिज़नस किया। ये फ़िल्म बुनियादी तौर पर मज़ाहिया थी हालांकि इस फ़िल्म पर जितने अख़राजात आए, और तवक़्क़ो की जा रही थी, वो इस मेयार पर पूरी नहीं उत्तरी।
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