अयोध्या मस्जिद : फ़ंड की कमी, अब तक नक़्शा भी पास नहीं हो सका

 रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए। 

- सहीह बुखारी 

अयोध्या मस्जिद : फ़ंड की कमी, अब तक नक़्शा भी पास नहीं हो सका
✅ अयोध्या : आईएनएस, इंडिया 

अयोध्या बाबरी मस्जिद, राम मंदिर पर फ़ैसले के साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद के लिए ज़मीन देने की बात कही थी। राम मंदिर बन चुका है, दर्शन भी शुरू हो चुका है लेकिन मस्जिद की तामीर का अमल अब तक शुरु नहीं हो पाया है। 
    गुजिश्ता पाँच सालों में मस्जिद की तामीर का अमल एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ सका है। सूरत हाल ये है कि अब तक मस्जिद ट्रस्ट धनीपूर में मुजव्वज़ा (प्रस्तावित) मस्जिद की तामीर का नक़्शा भी पास नहीं करवा सका है। मस्जिद ट्रस्ट इसकी वजह फ़ंडज़ की कमी बता रहा है। ख़ास बात ये है कि मस्जिद की तामीर में आम मुस्लमान भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 



    9 नवंबर 2019 को सुप्रीमकोर्ट ने अयोध्या तनाज़ा में राम मंदिर के हक़ में फ़ैसला दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने मर्कज़ी हुकूमत को मस्जिद की तामीर के लिए सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को पाँच एकड़ ज़मीन अलाट करने का हुक्म दिया था। उसके बाद ज़िलई इंतिज़ामीया ने गांव धनीपूर में मस्जिद की तामीर के लिए पाँच एकड़ ज़मीन अलाट की थी। सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले के बाद राम मंदिर की तामीर तक़रीबन मुकम्मल हो चुकी है, लेकिन मस्जिद का अब तक संग-ए-बुनियाद नहीं रखा गया है। 
    चैरिटी हस्पताल की तामीर पर 300 करोड़ रुपय की लागत का तख़मीना लगाया गया है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन के सेक्रेटरी अतहर हुसैन मस्जिद की तामीर में ताख़ीर की बुनियादी वजह फ़ंडज़ की कमी को बताते हैं। उनका कहना है कि ट्रस्ट इस ज़मीन पर तामीरात के लिए एक जामा मन्सूबा बना रहा है। मंसूबे के मुताबिक़ यहां मस्जिद के अलावा एक जदीद कैंसर हस्पताल, एक कम्यूनिटी कैंटीन और 1857 की पहली जंग-ए-आज़ादी की यादों को महफ़ूज़ करने के लिए एक म्यूज़ीयम भी बनाया जाएगा। हुसैन का कहना है कि तवक़्क़ो से कम रक़म जमा हुई है, इसलिए काम में ताख़ीर हो रही है। बताया कि मस्जिद की तामीर पर तक़रीबन 12 करोड़ रुपय लागत का तख़मीना है, लेकिन ख़ैराती अस्पताल की तामीर पर तक़रीबन 300 करोड़ रुपय लागत आने का तख़मीना है। 
    इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन ने जुमा को अपनी चारों कमेटियों को तहलील (भंग) कर दिया। अतहर हुसैन ने कहा कि ये फ़ैसला ग़ैर मुल्की अतयात वसूल करने की इजाज़त हासिल करने के लिए किया गया है, क्योंकि तमाम ज़ेली कमेटियां इजाज़त लेने में रुकावटें खड़ी कर रही थीं। 

मस्जिद के नाम फर्जी बैंक एकाउंट

इसके साथ ही मस्जिद के नाम पर फ़र्ज़ी बैंक एकाऊंटस खोलने की ख़बर भी आई। इससे निमटने के लिए ट्रस्ट ने एफ़आईआर भी दर्ज कराई थी  ट्रस्ट के सेक्रेटरी के मुताबिक़ एडमिनिस्ट्रेटव कमेटी, फिनांस कमेटी, मस्जिद डेवलपमैंट कमेटी और मीडीया एंड पब्लिसिटी कमेटी को तहलील कर दिया गया है। अतहर हुसैन ने बताया कि नक़्शा पास करवाने के लिए तक़रीबन एक करोड़ रुपय की फ़ीस अदा करनी होगी। इतनी रक़म अब तक इकट्ठी नहीं हुई है। अब तक सिर्फ एक करोड़ रुपय अतीया के तौर पर मिले हैं। ग़ैर मुल्की अतयात वसूल करने के लिए एफ़सीआरए (फारेन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट) के साथ रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है। इसलिए रजिस्ट्रेशन के लिए दरख़ास्त दी है। तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट पेश कर दी गई है। रजिस्ट्रेशन के बाद ख़लीजी ममालिक से अतयात आना शुरू हो जाएंगे जिसके बाद फ़ंडज़ की कमी दूर होने का इमकान है।


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