रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
दरूद तुम्हारे सब गमो के लिए काफी होगा और इससे तुम्हारे गुनाह बख्श दिए जाएंगे।
- तिर्मिज़ी
✅ रबात : आईएनएस, इंडिया file photo
जलजले से मस्जिद का मीनार गिर गया था, हाल और बैरूनी दीवारें मलबे का ढेर बन गईं थी। इस दौरान तनमल गांव डेढ़ दिन तक इमदादी अमला पहुंचने का इंतिज़ार करता रहा। मराक़श के पहाड़ी गांव तनमल में 900 साल कब्ल तामीर होने वाली ये अज़ीम मस्जिद खन्डर की सूरत में भी इलाक़े के बाशिंदों के लिए मुक़द्दस मुक़ाम का दर्जा रखती है। वहां मौजूद मुहम्मद हरतोच अपने बेटे अबदुल करीम की ज़लज़ले के बाइस मौत पर ग़मज़दा था, जो दीवार के नीचे दब कर हलाक हो गया था। उन्होंने बताया, गांव वालों ने ज़लज़ले से हलाक होने वाले 15 अफ़राद की मय्यतें चादरों में लपेट कर तबाह शूदा मस्जिद के सामने रख दी थीं।
तनमल के दीगर रिहायशियों के साथ मिलकर मुहम्मद अपने घरों और मस्जिद की दुबारा तामीर करने के लिए पुर अज्म हैं। उनका कहना है कि ये मुक़द्दस मुक़ाम हमारा माज़ी है। कारकुन अब मलबे में से मस्जिद के मलबे से काबिल-ए-इस्तेमाल ईंटें इकट्ठी कर रहे हैं और आराइशी मेहराबों के टुकड़ों को तर्तीब दे रहे हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा बाक़ियात को मस्जिद की दुबारा तामीर में इस्तिमाल किया जा सके।
मराक़श की वज़ारत इस्लामी उमूर और वज़ारत-ए-सक़ाफ़त ने इस मंसूबे की निगरानी के लिए मराक़श के मुअम्मारों, माहिरीन आसारे-ए-क़दीमा और इंजीनीयरों को भर्ती किया है। मस्जिद की ताअमीर-ए-नौ (पुनर्निर्माण) के लिए इतालवी हुकूमत ने मराक़श में पैदा होने वाले मुअम्मार को भेजा है, जिन्होंने अफ़्रीक़ा की सबसे बड़ी मस्जिद कासा ब्लान्का की हसन दोम मस्जिद के बारे में भी मश्वरा किया था। मराक़श के इस्लामी उमूर के वज़ीर अहमद तौफ़ीक़ ने बताया है ये अज़ीम मस्जिद शुमाली अफ़्रीक़ी फ़न तामीर का शाहकार थी, हमने इन्ही बुनियादों और तर्तीब से उसे दुबारा खड़ा किया है। इस तरह ये अपनी असल शक्ल में वापस आ जाएगी।
क़दीम मस्जिद की असल शक्ल में मेहराबें हाथ से तराशी गई थीं जिनमें ख़ास तर्ज़ की ईंटों का इस्तिमाल हुआ था जो इस इलाक़े के ज़्यादा-तर इमारात की तामीर के लिए बनाई जाती है। सितंबर 2023 के ज़लज़ले ने मराक़श के इस इलाक़े को ऐसे मंज़र में बदल दिया है जिसे दुबारा तामीर करने में बरसों लगेंगे। गुजिशता साल के ज़लज़ले के बाइस तक़रीबन 3000 अफ़राद हलाक हुए जबकि तक़रीबन 60 हज़ार घर मिस्मार हुए और कम अज़ कम 585 स्कूलों के निशानात मिट गए।
मराक़श हुकूमत के अंदाज़े के मुताबिक़ ज़लज़ले के इस बड़े नुक़्सान के बाद होने वाली ताअमीर-ए-नौ पर तक़रीबन 12.3 बिलीयन डालर लागत आएगी।
क़दीम मस्जिद की असल शक्ल में मेहराबें हाथ से तराशी गई थीं जिनमें ख़ास तर्ज़ की ईंटों का इस्तिमाल हुआ था जो इस इलाक़े के ज़्यादा-तर इमारात की तामीर के लिए बनाई जाती है। सितंबर 2023 के ज़लज़ले ने मराक़श के इस इलाक़े को ऐसे मंज़र में बदल दिया है जिसे दुबारा तामीर करने में बरसों लगेंगे। गुजिशता साल के ज़लज़ले के बाइस तक़रीबन 3000 अफ़राद हलाक हुए जबकि तक़रीबन 60 हज़ार घर मिस्मार हुए और कम अज़ कम 585 स्कूलों के निशानात मिट गए।
मराक़श हुकूमत के अंदाज़े के मुताबिक़ ज़लज़ले के इस बड़े नुक़्सान के बाद होने वाली ताअमीर-ए-नौ पर तक़रीबन 12.3 बिलीयन डालर लागत आएगी।
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