ईरान : 45 साल में पहली बार किसी सुन्नी को मिली गवर्नरी की कमान

 रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ  

अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।

- कंजुल इमान 

✅ तेहरान : आईएनएस, इंडिया 

ईरान के सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुल्क के नए सदर मसऊद पज़िशकयान ने बुध के रोज़ अलीयती ग्रुप के एक रुक्न को सूबा कुर्दिस्तान का गवर्नर मुक़र्रर किया है। ईरानी न्यूज़ एजेंसी ने हुकूमत की तर्जुमान फ़ातिमा मुहाजिरानी के हवाले कहा है कि अर्श ज़िरहतन को मग़रिबी सूबे कुर्दिस्तान का गवर्नर नामज़द किया गया है। 



    ज़िरहतन सन 1979 के इस्लामी इन्क़िलाब के आग़ाज़ के बाद से शीया अक्सरीयती मुल्क में नामज़द किए जाने वाले पहले सुन्नी गवर्नर हैं। ज़िरहतन की उम्र 48 साल है और उन्होंने 2020 से हालिया अर्से तक पावह शहर के लिए पार्लियामेंट के रुकन के तौर पर ख़िदमात सरअंजाम दी हैं। ईरान में मुस्लमानों के अहल-ए-तशय्यो (शिया) फ़िरक़े की अक्सरीयत है, जबकि रियासत का सरकारी मज़हब भी उन्ही के फ़िरक़े के मुताबिक़ है, जबकि यहां सुन्नी मुस्लमानों की तादाद सिर्फ 10 फ़ीसद है। ईरान में 1979 में आने वाले इस्लामी इन्क़िलाब के बाद से सुन्नी मुस्लमानों को किसी कलीदी (खास) ओहदे पर तायिनात करने की मिसालें नहीं हैं। ईरान के नए सदर 69 साला पज़ीशक्यान ने साबिक़ सदर इबराहीम रईसी की हेलीकाप्टर में एक हादिसे में हलाकत के होने वाले कब्ल अज़ वक़्त इंतिख़ाबात में कामयाबी हासिल की और जुलाई के आख़िर अपना ओहदा सँभाला। 
    अपनी इंतिख़ाबी मुहिम के दौरान पज़िशकयान अहम हुकूमती ओहदों पर नसली और मज़हबी अक़ल्लीयतों, खासतौर पर सुन्नी कुर्दों की नुमाइंदगी ना होने पर तन्क़ीद करते रहे हैं। इससे क़बल अगस्त में, उन्होंने सुन्नी अक़ल्लीयत के एक और रुकन अबदुल करीम हुसैन ज़ादा को अपना नायब सदर मुक़र्रर किया था।

महसा अमीनी की दूसरी बरसी पर हिजाब के बगैर पहुंची ख़वातीन 

तेहरान : ईरानी ख़ातून महसा अमीनी की मौत को दो बरस गुज़रने को हैं। उस वाकिये के बाद अवामी मुक़ामात पर ख़ातून स्कार्फ़ या हिजाब के बग़ैर नजर आने लगी हैं। अमरीकी न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ सोशल मीडिया पर ख़वातीन और लड़कियों को अपनी ज़ुल्फ़ें खोले देखा जा सकता है। 
    गौरतलब है कि मुल्क के नए सदर मसऊद पज़िशकयान ने अख़लाक़ी पुलिस के हाथों ख़वातीन को हिरासाँ करने के वाक़ियात को रोकने के वाअदे पर सदारती इंतिख़ाबी मुहिम चलाई थी। हालांकि हतमी (अंतिम) फ़ैसले का इख़तियार 85 बरस के सुप्रीम लीडर आयत-ए-अल्लाह अली खामनाई के पास है, जिन्होंने माज़ी में कहा था कि नक़ाब ना करना मज़हबी तौर पर हराम है। 
    22 बरस की महसा अमीनी 16 सितंबर 2022 को एक हस्पताल में उस वक़्त दम तोड़ गईं थी जब मुल्क की अख़लाक़ी पुलिस ने मुबय्यना तौर पर हुक्काम की पसंद के मुताबिक़ हिजाब ना लेने पर उन्हें गिरफ़्तार किया था। महसा की मौत के बाद खामनाई के ख़िलाफ़ बग़ावत के नारे भी बुलंद हुए। मुज़ाहिरीन के ख़िलाफ़ क्रैक डाउन में 500 से ज़्यादा अफ़राद हलाक हुए थे और 22 हज़ार से ज़्यादा हिरासत में लिए गए। महसा की दूसरी बरसी के मौके़ पर गुजिश्ता दिनों तेहरान की सड़कों पर शाम के वक़्त ख़वातीन को बग़ैर हिजाब देखा गया। वीकेंड पर दिन की रोशनी में भी ख़वातीन को तफ़रीही मुक़ामात पर बग़ैर सर ढाँपे देखा गया। 
    तेहरान शरीफ़ यूनीवर्सिटी की 25 साला तालिबा का कहना है कि स्कार्फ ना पहने की हिम्मत महसा की मीरास है। 38 बरस के कुतुबफ़रोश हामिद ज़ारंझ का कहना है कि मौजूदा पुरअमन माहौल पज़िशकयान के इक़तिदार संभालने की वजह से है। 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ