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मुल्क भर में वक़्फ़ जायदाद का रकबा मारिशश और बहरीन जैसे मुल्कों से ज़्यादा

रबि उल अल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ     

बेशक अल्लाह ताअला रोज़े कयामत फरमाएगा, मेरी अज़मत व ताज़ीम की खातिर बाहमी (आपस में) मोहब्बत करने वाले कहाँ है? मैं आज उनको अपने साए में जगह दूंगा, उस दिन मेरे साए के सिवा कोई साया नहीं होगा।

-- मिश्कवात, मुस्लिम 

मुल्क भर में वक़्फ़ जायदाद का रकबा मारिशश और बहरीन जैसे  मुल्कों से ज़्यादा


✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

हाल ही में, मर्कज़ी हुकूमत ने वक़्फ़ बोर्ड में तरमीम (संशोधन) से मुताल्लिक़ पार्लियामेंट में एक बिल पेश किया गया है। ऐवान (सदन) में इस पर ज़बरदस्त बेहस हुई और फिर उसे मुशतर्का पारलीमानी कमेटी को भेज दिया गया। 
    ये जानना जरूरी है कि आख़िर भारत में वक़्फ़ अराज़ी का रकबा क्या है। सरकारी आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ हिन्दोस्तान के वक़्फ़ बोर्ड के पास दुनिया के दीगर मुल्कों के वक़्फ़ बोर्ड से कई गुना ज़्यादा जायदाद है। इसके अलावा वक़्फ़ बोर्ड भी बहुत ताक़तवर है। मौजूदा वक़्फ़ बोर्ड एक्ट के मुताबिक़, एक बार जब कोई ज़मीन वक़्फ़ में चली जाए तो उसे वापस नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि मुल्क में मौजूद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और शीया वक़्फ़ बोर्ड दोनों के कुल असासों में मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है। 
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    मालूमात के मुताबिक़ रेलवे, डीफ़ैंस और कैथोलिक चर्च के बाद मुल्क में सबसे ज़्यादा ज़मीन सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के पास है। ये आराजी (जमीन) 45 ममालिक के रक़बे से ज़्यादा है। रिपोर्टस के मुताबिक़ वक़्फ़ बोर्ड के पास मुल्क में तक़रीबन 3804 मुरब्बा किलोमीटर अराज़ी है। ये दुनिया के तक़रीबन 45 ममालिक के रक़बे से ज़्यादा है। ये इलाक़ा सामवा, मारीशस, हांगकांग, बहरीन और सिंगापुर जैसे ममालिक से ज़्यादा है। आपको बता दें कि साल 2022 में उस वक़्त के मर्कज़ी अक़ल्लीयती उमूर के वज़ीर मुख़तार अब्बास नक़वी ने राज्य सभा में एक तहरीरी जवाब में कहा था कि मुल्क भर में वक़्फ़ की कुल 7 लाख 85 हज़ार 934 जायदादें हैं। उनमें से ज़्यादातर जायदादें उतर प्रदेश में हैं। यूपी में वक़्फ़ बोर्ड के पास कुल 2 लाख 14 हज़ार 707 जायदादें हैं। इनमें से 1 लाख 99 हज़ार 701 सुन्नी और 15006 शीया वक़्फ़ हैं। उसके बाद मग़रिबी बंगाल है, जहां वक़्फ़ की 80 हज़ार 480 जायदादें हैं। इसी तरह तमिलनाडू में 60 हज़ार 223 वक़्फ़ जायदादें हैं। 

वक़्फ़ जायदाद का इस्तिमाल क्या है

वक़्फ़ इमलाक का इस्तिमाल क़ब्रिस्तानों, समाजी बहबूद, स्कूलों, कॉलिजों, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों और हॉस्टलों के लिए किया जाता है। इस वक़्त मुल्क में 30 वक़्फ़ बोर्ड हैं जो वक़्फ़ बोर्ड एक्ट 1995 के तहत काम करते हैं। 

1995 में मिले ला महदूद हुक़ूक़ 

मुल्क में वक़्फ़ इमलाक के लिए क़ानून बनाने का आग़ाज़ 1913 में हुआ था। उसके बाद से वक़तन-फ़-वक्तन कई तरामीम की जाती रही हैं। आपको बता दें कि साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की मर्कज़ी हुकूमत ने वक़्फ़ बोर्ड के इख़्तयारात में इज़ाफ़ा किया था। उन्होंने वक़्फ़ बोर्ड एक्ट में तबदीलीयां कीं और ज़मीन के हुसूल के लामहदूद हुक़ूक़ दिए। 

आख़िरी तरमीम 2013 में की गई थी

साल 2013 में कांग्रेस की क़ियादत वाली यूपीए टू के दौर में वक़्फ़ बोर्ड के इख़्तयारात में इज़ाफ़ा किया गया और उसे मुस्लमानों के अतयात के नाम पर जायदादों पर दावा करने का क़ानूनी हक़ दिया गया।


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