रबि उल आखिर 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए।
- सहीह बुखारी
इमामुल मोहब्बत, ताजुल औलिया, हजरत ख्वाजा जलालुद्दीन खिज्र रूमी हसन अलैर्हिरहमां, दरे मुर्शिद नगर, केलाबाड़ी में 46वें उर्स पाक के मौके पर पहले दिन तरही मुशायरे की महफिल सजाई गई। बज्म में शरीक हिंदुस्तान के अलग-अलग इलाकों से आए शायरों ने तरही नाअत पाक और तरही मिसरे पर मनकबत पेश किए।बज्म की सदारत उस्ताद शायर अब्दुल रशीद अरशद, जबलपुरी ने और निजामत सुखनवर हुसैन, सुखनवर रायपुरी ने की। महफिल को तरतीब से सजाने संवारने का काम सूफी युसूफ ने बखूबी अंजाम दिया।
बज्म़ में सूफी नवेद रूमी सअदी, नवेद रज़ा दुर्गवी, अलोक कुमार नारंग, रियाजुद्दीन रूमवी (बाबू भाई) मौदहा उप्र, अजीम अयाज, दुर्ग, अरशद जबलपुरी, रामेश्वर शर्मा रायपुर, इरफानुद्दीन इरफान, धरसींवा, मौलाना गफूर दुर्ग, एजाज़ बशर भिलाई, डाँ. नौशाद अहमद सिद्दीकी, चरौदा भिलाई, सूफी बदरूद्दीन सफवी, रायपुर, हाजी रियाज खान गौहर भिलाई, हुसैन रायपुरी और दीगर शायरों ने अपने कलाम पेश किए। 18 अक्टूबर से जारी उर्स पाक के दौरान 22 अक्टूबर तक मुख्तलिफ प्रोग्राम मुनाकिद किए गए हैं।
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