﷽
रबि उल आखिर 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।
- बुख़ारी शरीफ
सुप्रीमकोर्ट ने राइट टू एजूकेशन क़ानून की मुबय्यना ख़िलाफ़वरज़ी करने वाले ग़ैर मंज़ूरशूदा मदरसों की मंज़ूरी वापिस लेने और तलबा को सरकारी स्कूलों में मुंतक़िल करने और मदरसों को बंद करने के सिलसिले में क़ौमी हुक़ूक़ इतफ़ाल के तहफ़्फ़ुज़ से मुताल्लिक़ कमीशन (एनसीपीसीआर) की जानिब से जारी ख़त पर अमलदरआमद पर मर्कज़ और रियास्ती हुकूमतों पर रोक लगाने लगाने का फ़ैसला सुनाया। अदालत ने जमई उल्मा हिंद की दरख़ास्त पर ये हुक्म दिया।दरख़ास्त गुज़ार की तरफ़ से बेहस करते हुए सीनीयर वकील इंदिरा जय सिंह ने क़ौमी कमीशन बराए तहफ़्फ़ुज़ इतफ़ाल के ख़त और उतर प्रदेश और त्रिपुरा समेत कुछ रियास्तों के मदारिस से मुताल्लिक़ मज़कूरा कार्रवाई को रोकने की दरख़ास्त की थी। मुस्लिम तंज़ीम ने उतर प्रदेश और त्रिपुरा की हुकूमतों की कार्रवाई को चैलेंज किया है, जिन्होंने ग़ैर तस्लीम शूदा मदारिस से तलबा को सरकारी स्कूलों में मुंतक़िल करने की हिदायत दी है। एनसीपीसीआर ने 7 जून 2024 को उतर प्रदेश हुकूमत को एक ख़त लिखा था, जिसमें हिदायत दी गई थी कि आरटीई (तालीम का हक़ एक्ट) की तामील ना करने वाले मदारिस की मंज़ूरी को वापिस लिया जाए।
सुप्रीमकोर्ट ने मुताल्लिक़ा फ़रीक़ों के दलायल सुनने के बाद अपने हुक्म में कहा कि एनसीपीसीआर की 7 जून 2024 और 25 जून की ख़त-ओ-किताबत के मुताबिक़ उतर प्रदेश के चीफ़ सेक्रेटरी और महिकमा तालीम की 26 जून की ख़त-ओ-किताबत, वज़ारात-ए-तलीम, हकूमत-ए-हिन्द, 10 जुलाई को त्रिपुरा के सेक्रेटरी के ज़रीया जारी और 28 अगस्त को त्रिपुरा हुकूमत के ज़रीया जारी तबादला ख़्यालात पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
जमई उल्मा हिंद ने उतर प्रदेश और त्रिपुरा हुकूमतों के हुक्म के ख़िलाफ़ अर्ज़ी दाख़िल की थी। यूपी हुकूमत का हुक्म एनसीपीसीआर रिपोर्ट की बुनियाद पर लिया गया था। इसमें आरटीई 2009 पर अमल ना करने वाले मदारिस की पहचान मंसूख़ करने और तमाम मदारिस की छानबीन करने को कहा गया था। सीजेआई बेंच ने जमात-ए-उलमाए हिंद की अर्ज़ी का नोटिस लिया और रियास्तों की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
नेशनल कमीशन फ़ार प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स ने सितंबर के महीने में सुप्रीमकोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि मदारिस की फंडिंग बंद की जाए। ये हक़ से तालीम के उसूलों पर अमल नहीं करते हैं। ये भी कहा गया कि मदारिस की तवज्जा दीनी तालीम पर है जिसकी वजह से उन्हें ज़रूरी तालीम नहीं मिलती और वो दूसरे बच्चों से पीछे रह जाते हैं। पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में एनसीपीसीआर के सदर ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदारिस को बंद करने का मुतालिबा नहीं किया था, बल्कि उन्होंने सिफ़ारिश की थी कि इन इदारों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग रोक दी जाए क्योंकि ये ग़रीब मुस्लमान बच्चों को तालीम से महरूम कर रहे हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि ग़रीब पस मंज़र वाले मुस्लमान बच्चों पर अक्सर सेकुलर तालीम के बजाय मज़हबी तालीम लेने के लिए दबाव डाला जाता है। यही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि वो तमाम बच्चों के लिए यकसाँ तालीमी मवाक़े की वकालत करते हैं।
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