जमादी उल ऊला 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
बेशक अल्लाह ताअला रोज़े कयामत फरमाएगा, मेरी अज़मत व ताज़ीम की खातिर बाहमी (आपस में) मोहब्बत करने वाले कहाँ है? मैं आज उनको अपने साए में जगह दूंगा, उस दिन मेरे साए के सिवा कोई साया नहीं होगा।
- मिश्कवात, मुस्लिम
जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में तलबा की जानिब से दीवाली की तकरीब मुनाकिद की गई थी। इस दौरान कुछ लोग कैंपस में घुस आए और तकरीब में खलल डालने लगे। इदारे ने अपने गंगा-जमनी किरदार को नुक़्सान पहुंचाने की कोशिश को संजीदगी से लेते हुए नामालूम बदमाश और शर अंगेज़ अफ़राद के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है।20 लीटर आब-ए-जमजम में 549 मिली लीटर ताइफ का अर्क मिलाकर किया खाना-ए-काबा का गुसलजामिया के तलबा ने 22 अक्तूबर को कैंपस में दीवाली की तकरीब मुनाकिद की थी। कैंपस को रंगोली से सजाया गया था और दीप जलाए गए थे। जामिया की इस तकरीब में तमाम बिरादरीयों और मज़हब के मानने वाले तलबा रिवायती जोश और ख़ुशी के साथ दीवाली मना रहे थे कि उसी दौरान कुछ बाहरी लोग कैंपस में घुस आए और नारेबाजी करने लगे।
साल 2023 में रिकार्ड तोड़ तादाद में लोगों ने अदा किया उमरह
गौरतलब है कि जामिआ मिलिया इस्लामिया जल्द ही 104 वां यौम तासीस (स्थापना दिवस) मनाने जा रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ़) के मुताबिक़ जामिया मुल्क की तीन सरकरदा (अग्रणी) यूनीवर्सिटियों में से एक है और नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडेशन काउंसिल का आला तरीन ग्रेड भी इदारे को हासिल है। इदारा, जो सिर्फ तदरीस-ओ-तहक़ीक़ (शिक्षा और शोध) ही नहीं बल्कि मुल्क की इमतिज़ाजी तहज़ीब और इसके क़ियाम के फ़रोग़ के लिए भी कोशां रहता है, इसकी साख को ख़राब करने के लिए कुछ लोगों की तरफ़ से की जाने वाली कोशिशों और साज़िशों को इंतिज़ामीया ने इंतिहाई संजीदगी से लिया है।
यूनीवर्सिटी ने पुलिस से दरख़ास्त की है कि वो ऐसे तमाम नामालूम अफ़राद और समाज मुख़ालिफ़ अनासिर की शिनाख़्त करे और उनके ख़िलाफ़ ताज़ीज़ी कार्रवाई करे।
प्रोफेसर मज़हर जामिया के नए वाइस चांसलर
जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ़ परशियन के प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ जामिआ मिलिया इस्लामिया के वाइस चांसलर बनाए गए हैं। इसके साथ ही जामिआ का कई माह से एक मुस्तक़िल वाइस चांसलर का इंतिज़ार खत्म हुआ।सऊदी अरब आने वाले ज़ाइरीन को मक्का-मदीना में निकाह की सहूलत
प्रोफेसर मज़हर ने जेएनयू से एमए और पीएचडी जबकि यूजीसी से पोस्ट प्रोफ़ेसरेट की है। उनकी सूफ़ी इज़म और हिन्दोस्तान की तारीख़ में ख़ास दिलचस्पी है। अहम बात ये है कि हकूमत-ए-हिन्द की क़ौमी तालीमी पालिसी की मुसव्वदा साज़ी कमेटी के वे मेंबर भी रहे थे।
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