मस्जिदों और दरगाहों के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाएँ, पीएम मोदी के नाम मुमताज़ शहरियों ने लिखा ख़त

जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ

नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत 
मस्जिदों और दरगाहों के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाएँ, पीएम मोदी के नाम मुमताज़ शहरियों ने लिखा ख़त

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

साबिक़ सरकारी मुलाज़मीन, फ़ौजी आफ़िसरान और सहाफियों समेत १७  नामवर शहरियों ने वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी से कहा है कि वो अजमेर शरीफ़ दरगाह पर आसारे-ए-क़दीमा के सर्वे के लिए अदालत के सामने दायर किए गए हालिया मुक़द्दमे की रोशनी में फ़ौरी तौर पर बैन मज़ाहिब इजलास (अंतर्धार्मिक बैठक) बुलाएं। ख़त में आगे कहा गया है कि ये पैग़ाम दें कि हिन्दोस्तान सबका मुल्क है, जहां सदियों से मुख़्तलिफ़ अक़ाइद के लोग एक साथ और हम-आहंगी के साथ रहते आए हैं। फिरकापरस्त ताक़तों को इस मुनफ़रद तकसीरी (बहुलवादी) और मुतनव्वे मीरास (विविध विरासत) को ख़राब करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। 
    ज़मीर उद दीन शाह, नजीब जंग, एसवाई क़ुरैशी और एनसी सक्सेना वग़ैरा का दस्तखतशुदा खत में आगे कहा गया है कि हम आज़ाद शहरियों का एक ग्रुप हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में मुल्क में बिगड़ते हुए फ़िर्कावाराना ताल्लुक़ात को बेहतर बनाने की कोशिशें की हैं। ये बात पूरी तरह से वाजेह है कि गुजिश्ता एक दहाई के दौरान कम्यूनिटीज़, खासतौर पर हिंदूओं और मुस्लमानों और एक हद तक ईसाईयों के दरमयान ताल्लुक़ात इंतिहाई कशीदा हो गए हैं , जिसकी वजह से इन दोनों जमातों को इंतिहाई बेचैनी और अदम तहफ़्फ़ुज़ का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा हालात में हमारे पास आपसे बराह-ए-रास्त मुख़ातब होने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है, हालाँकि हमें कोई शक नहीं कि आपको मौजूदा हालात से अच्छी तरह आगाह किया गया होगा।     ऐसा नहीं है कि फ़िर्कावाराना ताल्लुक़ात हमेशा अच्छे रहे हैं। तक़सीम की दर्दनाक यादें, उसके नतीजे में पैदा होने वाले हालात और अलमनाक फ़सादाद हमारे ज़हनों में समाय हुए हैं। हम इस बात से भी वाक़िफ़ हैं कि तक़सीम के बाद भी हमारा मुल़्क वक़तन-फ़-वक़तन ख़ौफ़नाक फ़िर्कावाराना फ़सादाद की लपेट में आता रहा है। अब सूरत-ए-हाल इससे बेहतर या बदतर नहीं है, जो पहले थी। गाय का गोश्त ले जाने के इल्ज़ाम में मुस्लिम नौजवानों को ग़ुंडागर्दी या मारपीट के वाक़ियात के तौर पर जो कुछ शुरू हुआ, उसके बाद वाज़िह तौर पर नसल कुशी के इरादे के साथ इस्लामो फ़ोबक नफ़रतअंगेज़ तक़ारीर की गईं। माज़ी क़रीब में मुस्लमानों के तिजारती इदारों और खाने पीने की जगहों का बाईकॉट करने, मुस्लमानों को मकान किराया पर ना देने, और ख़ुद चीफ़ मिनिस्टर्स के कहने पर मुस्लमानों के घरों को एक बेरहम मुक़ामी इंतिज़ामीया की क़ियादत में बल्डोज़ करने के मुतालिबात सामने आए हैं। 
    जैसा कि प्रेस में रिपोर्ट किया गया है, तक़रीबन १५४,००० इदारे मुतास्सिर हुए हैं और लाखों बे-घर हो गए हैं या अपने कारोबार की जगह से महरूम हो गए हैं। उनमें से ज़्यादातर का ताल्लुक़ मुस्लमान तबक़े से है। इस तरह की सरगर्मी वाक़ई बेमिसाल है और उसने ना सिर्फ उन अक़ल्लीयतों के बल्कि यहां और बैरून-ए-मुल्क तमाम सैकूलर हिंदूस्तानियों के एतिमाद को मुतज़लज़ल किया है। गोया ये वाक़ियात काफ़ी नहीं थे, ताज़ा-तरीन इश्तिआल अंगेज़ी नामालूम गिरोहों की है, जो हिंदू मुफ़ादात की नुमाइंदगी करने का दावा करते हैं और मसाजिद और दरगाहों पर आसारे-ए-क़दीमा के सर्वे का मुतालिबा करते हैं ताकि उन मुक़ामात पर क़दीम हिंदू मंदिरों के वजूद को साबित किया जा सके। 
    इबादत-गाहों के क़ानून की वाज़िह दफ़आत के बावजूद, अदालतें भी इस तरह के मुतालिबात का जवाब बेजा एहतियात और जल्द-बाज़ी के साथ देती हैं। ये नाक़ाबिल तसव्वुर लगता है। दरगाह ग़रीब नवाज़ जैसी मुनफ़रद हम-आहंगी वाली जगह पर एक नज़रियाती हमला हमारे तहज़ीबी विरसे पर हमला है और एक जामा हिन्दोस्तान के तसव्वुर को बिगाड़ देता है जिसे आप ख़ुद दुबारा ज़िंदा करना चाहते हैं। ख़त में मज़ीद कहा गया कि आपकी सदारत में एक बैन उल मज़ाहिब मीटिंग की फ़ौरी ज़रूरत है, जहां आपको एक जामा हिन्दोस्तान के वज़ीर-ए-आज़म के तौर पर ये पैग़ाम देना चाहिए कि हिन्दोस्तान सब के लिए एक सरज़मीन है, जहां सदियों से मुख़्तलिफ़ अक़ाइद के लोग यकजहती और हम-आहंगी के साथ रहते आए हैं। 
    फ़िर्क़ापरस्तों को इस बात की इजाज़त नहीं दी जाएगी कि इस मुनफ़रद तकसीरी और मुतनव्वे मीरास को तबाह करें। जनाब वक़्त का जोहर है और हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि तमाम हिंदूस्तानियों, खासतौर पर अक़ल्लीयती बिरादरीयों को यक़ीन दिलाएँ कि आपकी हुकूमत फ़िर्कावाराना हम-आहंगी, यकजहती और इत्तिहाद को बरक़रार रखने के अपने अज़म पर साबित-क़दम रहेगी। 
    ख़त पर दस्तखत करने वालों में एनसी सक्सेना, साबिक़ सेक्रेटरी, प्लानिंग कमीशन आफ़ इंडिया, नजीब जंग, साबिक़ लेफ़्टीनेंट गवर्नर, दिल्ली, शिव मुखर्जी, साबिक़ हाई कमिशनर, अमिताभ पांडे, साबिक़ सेक्रेटरी, बैन रियास्ती काउंसिल, एसवाई क़ुरैशी, हिन्दोस्तान के साबिक़ चीफ़ इलेक्शन कमिशनर, नौरेखा शर्मा, साबिक़ सफ़ीर, माधव भदौरी, साबिक़ सफ़ीर, लेफ़्टीनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह (रिटायर्ड), साबिक़ नायब चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़, रवी वीरा गुप्ता, साबिक़ नायब सदर, गवर्नर, आरबीआई, राजू शर्मा, साबिक़ मेंबर, बोर्ड आफ़ रेवैन्यू, यूपी, सईद शेरवानी, कारोबारी शख़्सियत, वीए शुक्ला, साबिक़ ऐडीशनल, चीफ़ सैक्रेटरी, हुकूमत हिमाचल प्रदेश, शाहिद सिद्दीक़ी, साबिक़ एडीटर, नई दुनिया, सुबोध लाल, साबिक़ डीडीजी, वज़ारत-ए-मवासलात, सुरेश के गोविल, साबिक़ डीजी, आईसीसीआर, अदीती महित, साबिक़ एडीशनल एडीटर चीफ़ सेक्रेटरी, हुकूमत राजिस्थान और अशोक शर्मा, सफ़ीर वगैरह शामिल हैं ।



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