जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत
✅ पेशावर : आईएनएस, इंडिया
तौहीन मज़हब के इल्ज़ाम में एक शख़्स को मुश्तईल भीड़ से बचाने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। इत्तेला मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि भीड़ उस शख्स पर हमलावर है, और उसे जान से मार देना चाहती है, पुलिस ने बड़ी मुश्किल से मुल्जिम शख्स को गुस्साई भीड़ से बचाया और किसी तरह उसे अपनी हिरासत में लेकर उसकी जान बचाई।
अमरीकी न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ मंगल को पुलिस अफ़्सर नासिर ख़ान ने बताया कि उस शख़्स की शिनाख़्त हुमायूँ अल्लाह के नाम से हुई है, जिसे सूबा ख़ैबर पख्तूनख्वा के दार-उल-हकूमत पेशावर के मुज़ाफ़ात में वाके इलाक़े ख़ज़ाना से गिरफ़्तार किया गया। उन्होंने बताया कि उस शख़्स को उस वक़्त गिरफ़्तार किया गया, जब एक हुजूम उसे एक गली में पकड़ने की कोशिश कर रहा था। बाद में जब पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया, सैंकड़ों अफ़राद पुलिस स्टेशन के क़रीब सड़क बलॉक कर उस शख़्स को उनके हवाले करने का मुतालिबा करने लगे थे। पुलिस स्टेशन के क़रीब गोली चलने की आवाज़ें भी सुनी गईं, जहां उस शख़्स को पूछगिछ के लिए रखा गया था।
पाकिस्तान के तौहीन रिसालत के क़वानीन के तहत इस्लाम या इस्लामी मज़हबी शख़्सियात की तौहीन के मुर्तक़िब पाने वाले अफ़राद को मौत की सज़ा सुनाई जा सकती है, हालांकि हुक्काम ने अब तक तौहीन मज़हब के लिए मौत की सज़ा पर अमल दरआमद नहीं किया है। दो माह कब्ल सिंध हुकूमत ने कहा था कि पुलिस ने तौहीन मज़हब के इल्ज़ाम के बाद ज़ेर-ए-हिरासत डाक्टर के कत्ल का मन्सूबा बनाया था। डाक्टर ने रज़ाकाराना तौर पर हथियार डाल दिए थे कि उसे अपनी बेगुनाही साबित करने का मौक़ा दिया जाए, इसके बावजूद उसे कत्ल कर दिया गया। नवंबर २०२१ में एक हुजूम ने चारसदा में एक पुलिस स्टेशन और चार पुलिस चौकियों को उस वक़्त जला दिया था, जब आफ़िसरान ने क़ुरआन की बे-हुरमती के इल्ज़ाम में ज़हनी तौर पर माज़ूर शख़्स को भीड़ के हवाले करने से इनकार कर दिया था। ताजा मामले में पुलिस ने फिलहाल तौहीन मजहब के मुल्जिम को अपनी हिरासत में ले लिया है।
ईरानी सदर की तरफ़ से हिजाब के नए क़ानून पर तन्क़ीद
तेहरान : ईरानी सदर मसऊद पेज़शकयान ने नई क़ानूनसाज़ी के बारे में शकूक-ओ-शुबहात का इज़हार किया है, जिसमें हिजाब के लाज़िमी ज़वाबत की ख़िलाफ़वरज़ी करने वाली ख़वातीन पर सख़्त सज़ाएं मुसल्लत की जाएँगी। १९७९ के इस्लामी इन्क़िलाब के बाद से ईरान में ख़वातीन के लिए अवामी मुक़ामात पर अपना सर ढाँपना ज़रूरी है। हालांकि अब घर से बाहर ख़वातीन की बड़ी तादाद हिजाब के बग़ैर नज़र आ रही है।
बिलख़सूस सितंबर २०२२ में महसा अम्मीनी की ज़ेर-ए-हिरासत हलाकत और फिर मुज़ाहिरे शुरू होने के बाद से। महिमा को लिबास के ज़ाबता अख़लाक़ की ख़िलाफ़वरज़ी के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया गया था। पार्लीमैंट ने नए ''हिजाब-ओ-इफ़्फ़त' क़ानून की मंज़ूरी दे दी है लेकिन इसके नफ़ाज़ के लिए १३ दिसंबर को सदर के दस्तख़त की ज़रूरत है। पेज़शकयान ने पीर को सरकारी टेलीविज़न को बताया कि इस क़ानून को नाफ़िज़ करने के ज़िम्मेदार शख़्स के तौर पर मुझे उसके बारे में कई ख़दशात हैं। क़ानून का मतन बाज़ाबता तौर पर शाइआ नहीं किया गया है लेकिन ईरानी मीडीया की इत्तिलाआत के मुताबिक़ क़ानूनसाज़ी उन ख़वातीन के लिए २० माह की औसत तनख़्वाह के बराबर जुर्माना आइद करती है, जो दरुस्त तरीक़े से हिजाब ना पहनें या उसे अवामी सतह पर या सोशल मीडीया पर यकसर उतार दें। ख़िलाफ़वरज़ी करने वाली ख़वातीन को १० दिनों के अंदर अदायगी करना होगी या सफ़री पाबंदियों और अवामी ख़िदमात मसलन ड्राइविंग लाईसेंस हासिल करने पर पाबंदीयों का सामना करना होगा।
ईरानी सदर ने कहा कि इस क़ानून के बाइस हमें मुआशरे में कई चीज़ों के बर्बाद होने का ख़दशा है। नीज़, उन्होंने कहा कि, रहनुमाओं को ऐसे इक़दामात से गुरेज़ करना चाहिए जो अवाम को बेगाना कर सकते हों। महसा अम्मीनी को गिरफ़्तार करने वाली अख़लाक़ी पुलिस उसके बाद से बड़ी हद तक सड़कों से ग़ायब हो चुकी है, हालाँकि ये यूनिट सरकारी तौर पर ख़त्म नहीं किया गया है।
अख़लाक़ी पुलिस को हटाने की मुहिम चलाने के बाद जुलाई में सदर बनने वाले पेज़शकयान ने ताहाल ये ऐलान नहीं किया है कि क्या वो इस क़ानून पर दस्तख़त करेंगे।
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