जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत
इदारा उमूर हरमैन शरीफ़ैन की जानिब से (हजरत इस्माईल अलैहिस-सलाम) हतीम में मर्दों और ख़वातीन जायरीन के लिए जाने के ज़वाबत (कायदे) का ऐलान कर दिया गया है। सबक़ न्यूज़ के मुताबिक़ इदारा हरमैन की जानिब से उमरा ज़ाइरीन की सहूलत के लिए हतीम में दाख़िल होने और वहां नवाफ़िल अदा करने के लिए काअबा शरीफ़ की मग़रिबी सिम्त को मख़सूस किया गया है।
इस सिम्त से आने वालों को बारी-बारी हतीम में जा कर वहां 10 मिनट तक नवाफ़िल अदा करने की सहूलत होगी। मर्दों के लिए सुबह 8 से दोपहर 11 बजे तक का वक़्त है जबकि ख़वातीन के लिए हतीम में दाख़िल होने का वक़्त रात 8 से नसफ़ शब के बाद 2 बजे तक मुक़र्रर है। इस दौरान ख़वातीन हतीम में दाख़िल हो कर आराम से नवाफ़िल पढ़ सकेंगी।
वाज़िह रहे कि 'हतीमह्ण जिसे हजरत इस्माईल भी कहा जाता है, ये मुक़ाम ख़ाना काअबा की शुमाल मग़रिबी दीवार से मुत्तसिल 3 मीटर चौड़ा बैज़वी शक्ल में है। उल्मा किराम का इस बात पर इत्तेफाक है कि हतीम ख़ाना काअबा से जुदा नहीं बल्कि उसी का हिस्सा है। उसी वजह से तवाफ़ के वक़्त हतीम से नहीं गुज़रा जाता बल्कि उसके बाहर से तवाफ़ का चक्कर लिया जाता है। कई अहादीस से साबित है कि इस मुक़ाम पर नमाज़ अदा करने की फ़ज़ीलत ख़ाना काअबा के अंदर नमाज़ पढ़ने जैसी है।
वाजेह रहे कि ज़ाइरीन की बड़ी तादाद की वजह से उनकी कोशिश होती है कि वो हतीम में नवाफ़िल अदा करें। इंतिज़ामीया की जानिब से ज़ाइरीन की सहूलत के लिए औक़ात और वहां जाने का दौरानिया मुतय्यन कर दिया गया है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ज़ाइरीन मुस्तफ़ीज़ हो सकें।
नामालूम अफ़राद से करंसी तब्दील न कराएं : वज़ारत हज की चेतावनी
सबक़ न्यूज़ के मुताबिक़ वज़ारत हज व उमरा का कहना है कि मुख़्तलिफ़ ममालिक से उमरा पर आने वाले ज़ाइरीन अपने सामान, नक़दी और सफ़री दस्तावेज़ात का ख़ास ख़्याल रखें। वज़ारत ने करंसी तबदील कराने के हवाले से उमरा ज़ाइरीन को ख़ुसूसी तौर पर एहतियात बरतने का मश्वरा दिया है।
इस हवाले से वज़ारत का कहना है कि ज़ाइरीन अपने मुल्क की करंसी तबदील कराते वक़्त किसी अंजान शख़्स की बातों में ना आएं और ना ही करंसी तबदील कराने के लिए उनकी ख़िदमात हासिल करें।
करंसी तबदील कराने के लिए मक्का मुकर्रमा, मदीना मुनव्वरा और जद्दा में लाईसेंस याफताह मनी चेंजर से राबिता करें ताकि किसी किस्म की जालसाज़ी का शिकार ना हों। करंसी तबदील कराने से क़ब्ल उस दिन और वक़्त के मुताबिक़ तबदीली के रेट का जायज़ा लें जो हर मनी चेंजर के पास मौजूद होता है, इसके अलावा रक़म तबदील कराने से क़ब्ल इस बात की यक़ीन दहानी कर लें कि जिस इदारे से राबिता कर रहे हैं, वो लाईसेंस याफताह है या नहीं। रक़म तबदील कराने के बाद मनी चेंजर से रसीद जरूरी लें।
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