मस्जिद उल हराम में लगा है दुनिया का सबसे बड़ा कूलिंग सिस्टम, कैसे करता है काम

 जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी


फरमाने रसूल ﷺ

वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।
- बुख़ारी शरीफ
 
मस्जिद उल हराम में लगा है दुनिया का सबसे बड़ा कूलिंग सिस्टम, कैसे करता है काम

✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मस्जिद उल हराम, मक्का-मुकर्रमा में दुनिया का सबसे बड़ा कूलिंग सिस्टम लगा है। इसकी देख-भाल और इंतिज़ाम मस्जिद उल हराम-और मस्जिद नबवी ००० उमूर की जनरल अथार्टी करती है। १ लाख ५५ हजार टन तक ठंडक फराहम करने की सलाहियत रखने वाला ये सिस्टम दुनिया के बड़े निज़ाम में से एक है। 

जनरल अथार्टी का कहना है इसका इंतिज़ाम दो मर्कज़ी स्टेशनों के ज़रीये किया जाता है। एक स्टेशन के ज़रीये कूलिंग की गुंजाइश एक लाख २० हज़ार टन है। ये मस्जिद उल हराम से ९०० मीटर की मुसाफ़त पर है। जबकि दूसरा स्टेशन जहां कूलिंग की गुंजाइश ३५ हज़ार टन है और ये ५०० मीटर दूरी पर है। 

मस्जिद उल हराम में लगा है दुनिया का सबसे बड़ा कूलिंग सिस्टम, कैसे करता है काम


सरकारी न्यूज एजेंसी एसपीए के मुताबिक़ जदीद कूलिंग सिस्टम ना सिर्फ लाखों ज़ाइरीन को आराम फ़राहम करता है बल्कि उसे दिन में नौ बार साफ़ हवा के मेयार को भी यक़ीनी बनाता है। अल्ट्रा वायलट शुआओं (किरणों) का इस्तिमाल करते हुए हवा को जरासीम से पाक किया जाता है जिससे सफ़ाई की शरह १०० फ़ीसद तक पहुंच जाती है। ये अमल मस्जिद के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में जरासीम से पाक माहौल को बरक़रार रखने में अहम है। इस निज़ाम को टेक्नीकल, ऑपरेशनल, मेंटेंन्स एंड फैसिलिटी मैनिजमंट अफेयर्ज़ एजेंसी के ज़रीये हैंडल किया जाता है। तकनीकी माहिरीन मस्जिद उल-हराम के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में जायरीन की तादाद की बुनियाद पर हवा को एडजस्ट करने का काम करते हैं ताकि सभी हिस्सों में हवा बराबर पहुंचती रहे। सिक्योरिटी और हिफ़ाज़ती हिदायात को भी मद्द-ए-नज़र रखा जाता है। 

सऊदी अरब में बढ़ी हरियाली, अब नहीं आते गुर्दो ग़ुबार के तूफ़ान 

रियाद : सऊदी अरब में अब वक्त पर बारिश हो रही है, इसकी वजह से गर्द-ओ-ग़ुबार और रेतीली आंधी आने में खासी कमी आई है। अख़बार २४ के मुताबिक़ सऊदी टीवी अलाख़बारीह के प्रोग्राम में गुफ़्तगु करते हुए इलाक़ाई मर्कज़ के डायरेक्टर जमान अल कहतानी ने अलकहतानी ने कहा कि 'वक़्त पर मुनासिब मिक़दार में बारिश से ज़मीन सैराब हो जाती है, जिससे सब्ज़े में इज़ाफ़ा होता है जो गर्द-ओ-ग़ुबार में कमी का बुनियादी सबब है। 

वज़ारत माहौलियात और क़ौमी मर्कज़ बराए मौसमियात की मुशतर्का (साझा) काविशों से ममलकत में सब्ज़े (हरियाली) में इज़ाफे़ की जानिब ख़ुसूसी तवज्जा दी गई जिससे फ़ित्री हयात में बेहतरी आई। 'सरसब्ज़ सऊदी अरब मुहिम के हवाले से उनका कहना था कि ममलकत में शुरू की जाने वाली मुहिम के तहत मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में पौधे लगाए गए जबकि मुहिम का हदफ़ है १० अरब पौधे लगाना जिससे कार्बन के इख़राज में नुमायां कमी होगी। 
    वाज़िह रहे कि आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ गुजिश्ता माह जुलाई में ममलकत में गर्द-ओ-ग़ुबार के तूफ़ान और आंधी में ६० फ़ीसद कमी रिकार्ड की गई जबकि मशरिक़ी रीजन में इसका तनासुब ८० फ़ीसद तक रिकार्ड किया गया।


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