उमरा परमिट हासिल करना ज़रूरी, वज़ारत हज-ओ-उमरा का ऐलान


 जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी


फरमाने रसूल ﷺ

वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।
बुख़ारी शरीफ 
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया

सऊदी वज़ारत हज-ओ-उमरा ने कहा है कि उमरे के लिए इजाज़तनामा हासिल करना ज़रूरी है। इसके साथ वक़्त की पाबंदी भी करनी चाहिए। आजिल वेबसाइट के मुताबिक़ वज़ारत हज-ओ-उमरा ने अपने एक्स अकाउंट पर कहा है कि उमरा इजाज़तनामा 'नसक़' या 'तवक्कुलना के ज़रीये हासिल किया जा सकता है जिसमें दिन, तारीख़ और वक़्त भी मौजूद होता है। 

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उमरा परमिट हासिल करने के बाद एक एसएमएस मौसूल होता है। वज़ारत हज-ओ-उमरा ने कहा कि परमिट हासिल करने के बाद उसके मुताबिक़ वक़्त की पाबंदी ज़रूरी है ताकि दूसरों के लिए परेशानी ना हो और उमरे के लिए घर से निकलने से क़बल ये ज़रूर चैक कर ले कि आपके परमिट का वक़्त, दिन और तारीख़ दरुस्त है या नहीं। 

उमरा परमिट हासिल करना ज़रूरी, वज़ारत हज-ओ-उमरा का ऐलान


वज़ारत ने बताया कि अगर परमिट हासिल करने वाला वक़्त पर हाज़िरी ना दे सकता हो तो उसे चाहिए कि वो इजाज़तनामा क़बल अज़ वक़्त मंसूख़ कर दे ताकि दूसरा परमिट हासिल करने में उसे आसानी हो।

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सऊदी अरब में ६ हज़ार मसाजिद की देख-भाल ५०० मिलियन रियाल ख़र्च



रियाद :  सऊदी वज़ारत इस्लामी उमूर ने रवां साल अब तक ममलकत में छः हज़ार से ज़्यादा मसाजिद पर काम मुकम्मल कर लिया है। एसपीए के मुताबिक़ २०२४ के पहले छः माह के दौरान वज़ारत ने ६ हज़ार १५३ मसाजिद की देख-भाल, सफ़ाई, बहाली और तज़ईन के मंसूबे मुकम्मल किए जिसमें तक़रीबन ५०० मिलियन रियाल की मुशतर्का सरमायाकारी की गई। इनमें से ज़्यादातर का मक़सद ५ हज़ार ३०० से ज़्यादा मसाजिद की देख-भाल की कोशिशें थीं जिन पर ३६२ मिलियन रियाल की लागत आई। 

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मीक़ात अलजाफ़ा, अलतनएम और अलमशार उल-हराम समेत अहम हज मुक़ामात पर एयरकंडीशनिंग के निज़ाम को अपग्रेड और तज़ईन व आराइश के काम पर १३.५ मिलियन रियाल लागत आई। तीन मसाजिद को मुकम्मल तौर पर बहाल किया गया और एक इंतिज़ामी इमारत १३.५ मिलियन रियाल में तामीर की गई। तवानाई (ऊर्जा) की बचत के लिए वज़ारत ने ६८३ मसाजिद में ग्लास पार्टीशन मंसूबे को नाफ़िज़ किया जिसके नतीजे में बिजली के इस्तिमाल में ६० फ़ीसद कमी आई। इसके अलावा ६६ मसाजिद को फ़र्निश्ड किया गया जिसका कुल रकबा ५६ हज़ार ७६१ मुरब्बा मीटर है, जिस पर ६.८ मिलियन रियाल लागत आई।



वज़ारत ने चार इमारतों की देख-भाल के लिए ३० मिलियन रियाल से ज़्यादा मुख़तस (रिजर्व) किए हैं। ये जामा कोशिशें इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए वज़ारत के अज़म को ज़ाहिर करती हैं कि नमाज़ियों के लिए ममलकत में साफ़, आरामदेह और अच्छी देख-भाल वाली मसाजिद हों।


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