जमादी उल आखिर १४४६ हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।
- कंजुल इमान
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
वक़्फ़ तरमीमी बिल को लेकर तशकील दी गई जेपीसी की गुजिश्ता जुमेरात को पार्लियामेंट में मुनाकिद २८वीं मीटिंग में जेपीसी के तमाम मेंबरान को ८८७ सफ़हात पर मुश्तमिल एक खु़फिया रिपोर्ट दी गई। रिपोर्ट में जेपीसी मेंबरान की जानिब से अकलीयती वज़ारत के ओहदेदारों से अब तक पूछे गए सवालात के जवाबात शामिल हैं।
इत्तिलाआत के मुताबिक़ मुशतर्का (साझा) पारलीमानी कमेटी ने वक़्फ़ तरमीमी बिल की ४४ तरामीम (संशोधन) पर अब तक ५०० सफ़हात पर मुश्तमिल रिपोर्ट तैयार कर ली है। इमकान है कि कमेटी की रिपोर्ट हतमी (अंतिम) शक्ल इख़तियार कर लेने के बाद कुछ मज़ीद सफ़हात का इज़ाफ़ा हो सकता है। इस सिलसले में ११ दिसंबर को मुनाकिद मीटिंग में मज़हबी दर्सगाह दार-उल-उलूम देवबंद के अराकीन को जेपीसी में बुलाया गया।
कश्मीर के अलैहदगी पसंद रहनुमा मीर वाइज़ उमर फ़ारूक़ भी जेपीसी के सामने आकर अपने इरादों का इज़हार करना चाहते हैं। जेपीसी की तशकील के बाद ये पहला मौक़ा है कि तक़रीबन ३ घंटे तक जारी रहने वाली मीटिंग में कमेटी के मेंबरान ने पुरअमन और ख़ुशगवार माहौल में वज़ारत के ओहदेदारों से बातचीत और सवालात किए। इससे क़बल तक़रीबन तमाम २७ इजलासों में कमेटी मेंबरान के दरमयान गर्मागर्म बेहस का माहौल रहा। हालांकि मुशतर्का पारलीमानी कमेटी के इजलास में हुक्मराँ जमात के कुछ मेंबर पार्लीमैंट ने वक़्फ़ बिल की सदाक़त पर सवालात उठाए। ज़राइआ से मिली इत्तिला के मुताबिक़ बीजेपी के मेंबर पार्लीमैंट निशी कांत दूबे समेत दो मेंबरान पार्लीमैंट ने कमेटी के सामने कहा कि वक़्फ़ बिल की क्या ज़रूरत है, मुल्क में सबके लिए एक सिविल क़ानून होना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद अपोज़ीशन जमातों के एमपी की जानिब से कोई नाराज़गी ज़ाहिर नहीं की गई। जब बीजेपी मेंबरान पार्लीमैंट वक़्फ़ के जवाज़ पर सवाल उठा रहे थे, उस वक़्त असद उद्दीन उवैसी समेत अपोज़ीशन के तमाम फ़ायर ब्रांड लीडर मौजूद थे लेकिन किसी ने भी इसकी सख़्त मुख़ालिफ़त नहीं की। उसी बीच, मुशतर्का पारलीमानी कमेटी ने वक़्फ़ के साथ कई रियास्तों के तनाज़आत के मुआमलात की तफ़सीलात तलब की हैं। आने वाले दिनों में कमेटी कुछ रियास्तों के चीफ़ सेक्रेटरियों को तलब कर सकती है।
इत्तिलाआत के मुताबिक़ मुशतर्का (साझा) पारलीमानी कमेटी ने वक़्फ़ तरमीमी बिल की ४४ तरामीम (संशोधन) पर अब तक ५०० सफ़हात पर मुश्तमिल रिपोर्ट तैयार कर ली है। इमकान है कि कमेटी की रिपोर्ट हतमी (अंतिम) शक्ल इख़तियार कर लेने के बाद कुछ मज़ीद सफ़हात का इज़ाफ़ा हो सकता है। इस सिलसले में ११ दिसंबर को मुनाकिद मीटिंग में मज़हबी दर्सगाह दार-उल-उलूम देवबंद के अराकीन को जेपीसी में बुलाया गया।
कश्मीर के अलैहदगी पसंद रहनुमा मीर वाइज़ उमर फ़ारूक़ भी जेपीसी के सामने आकर अपने इरादों का इज़हार करना चाहते हैं। जेपीसी की तशकील के बाद ये पहला मौक़ा है कि तक़रीबन ३ घंटे तक जारी रहने वाली मीटिंग में कमेटी के मेंबरान ने पुरअमन और ख़ुशगवार माहौल में वज़ारत के ओहदेदारों से बातचीत और सवालात किए। इससे क़बल तक़रीबन तमाम २७ इजलासों में कमेटी मेंबरान के दरमयान गर्मागर्म बेहस का माहौल रहा। हालांकि मुशतर्का पारलीमानी कमेटी के इजलास में हुक्मराँ जमात के कुछ मेंबर पार्लीमैंट ने वक़्फ़ बिल की सदाक़त पर सवालात उठाए। ज़राइआ से मिली इत्तिला के मुताबिक़ बीजेपी के मेंबर पार्लीमैंट निशी कांत दूबे समेत दो मेंबरान पार्लीमैंट ने कमेटी के सामने कहा कि वक़्फ़ बिल की क्या ज़रूरत है, मुल्क में सबके लिए एक सिविल क़ानून होना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद अपोज़ीशन जमातों के एमपी की जानिब से कोई नाराज़गी ज़ाहिर नहीं की गई। जब बीजेपी मेंबरान पार्लीमैंट वक़्फ़ के जवाज़ पर सवाल उठा रहे थे, उस वक़्त असद उद्दीन उवैसी समेत अपोज़ीशन के तमाम फ़ायर ब्रांड लीडर मौजूद थे लेकिन किसी ने भी इसकी सख़्त मुख़ालिफ़त नहीं की। उसी बीच, मुशतर्का पारलीमानी कमेटी ने वक़्फ़ के साथ कई रियास्तों के तनाज़आत के मुआमलात की तफ़सीलात तलब की हैं। आने वाले दिनों में कमेटी कुछ रियास्तों के चीफ़ सेक्रेटरियों को तलब कर सकती है।
बीजू जनता दल ने की मुख़ालिफ़त : नवीन पटनायक
नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) वक़्फ़ तरमीमी बिल पर मर्कज़ी हुकूमत से अलग रास्ते पर है। उसका इल्ज़ाम है कि बिल लाने से पहले मुस्लमानों से इस पर मुशावरत नहीं की गई। पार्टी ने इतवार, २४ नवंबर को ओडीशा में एक रैली भी निकाली, जिसमें बिल वापिस लेने का मुतालिबा किया। मुज़ाहिरीन ने बिल को वापिस लेने का मुतालिबा करते हुए नारे लगाए। उनका दावा है कि ये बिल कम्यूनिटी के दरमयान हम-आहंगी को मुतास्सिर करेगा।मुज़ाहिरीन ने खुर्दा के ज़िला कलेक्टर के तवस्सुत से सदर द्रोपदी मुर्मु को एक मैमोरंडम भी पेश किया, जिसमें उन्होंने कुछ तजावीज़ पेश कीं और वक़्फ़ एक्ट १९९५ में मुजव्वज़ा तरामीम (प्रस्तावित संशोधन) पर तशवीश का इज़हार किया।
बीजेडी राज्य सभा के रुक्न पार्लियामेंट मुजीब अल्लाह ख़ान ने मुजव्वज़ा वक़्फ़ तरमीमी बिल की दफ़आत पर तशवीश का इज़हार किया, जिसके तहत मजिस्ट्रेट ये तै करते हैं कि जायदाद हुकूमत की है या वक़्फ़ की। उन्होंने कहा कि ये वक़्फ़ की ख़ुदमुख़तारी के लिए नुक़्सानदेह है और इस तरह की दफ़आत तास्सुब और वक़्फ़ बोर्ड के हुक़ूक़ को कमज़ोर करने का बाइस बनती हैं। उन्होंने कहा कि वक़्फ़ क़ानून में इन तब्दीलियों से वक़्फ़ इमलाक की ख़ुदमुख़तारी, सिक्योरिटी और नज़म-ओ-नसक़ पर दूररस असरात मुरत्तिब होंगे। मुजीब अल्लाह ख़ान ने मुतालिबा किया कि वो वक़्फ़ इमलाक, जिनका सर्वे मुख़्तलिफ़ सर्वे कमिश्नरों ने किया है और सरकारी गजट में शाइआ किया गया है, उन्हें वक़्फ़ इमलाक के तौर पर तस्लीम किया जाए और उनका तहफ़्फ़ुज़ किया जाए। बीजेडी लीडरों ने कहा कि वो तरमीमी बिल की मुख़ालिफ़त पर तवज्जा मर्कूज़ कर रहा है और सैकूलर इक़दार को बरक़रार रखने के लिए एनडीए हुकूमत के ख़िलाफ़ एक मज़बूत अप्पोज़ीशन बनना चाहता है।
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