रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कयामत के दिन मोमिन के मीज़ान में अखलाक-ए-हसना (अच्छे अखलाक) से भारी कोई चीज़ नहीं होगी, और अल्लाह ताअला बेहया और बद ज़बान से नफरत करता है।
- जमाह तिर्मिज़ी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीवी के पर्दा ना करने को तलाक़ की बुनियाद मानने से इनकार कर दिया है। अदालत ने शौहर की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया है कि बीवी का पर्दा ना करना तलाक़ लेने का बुनियाद बन सकता है। हालांकि शादी को ख़त्म करने का मुतालिबा करने वाली अपील को क़बूल करते हुए, अदालत ने फ़ैसला किया कि किसी भी किस्म के नफ़क़ा का कोई इंतिज़ाम नहीं होगा।अदालत ने जुल्म के मुआमले में ये दावा मानने से इनकार कर दिया कि बीवी आज़ाद ख़याल की थी, जो बाज़ार और दीगर मुक़ामात पर जाती थी और पर्दा नहीं करती थी। अदालत ने ग़ाज़ीपूर के रहने वाले एक शौहर की ज़हनी अज़ीयत के बाइस तलाक़ लेने की बुनियाद पर दायर की गई अपील की सुनवाई करते कहा कि आज़ाद ख़्याल बीवी होने की वजह से जो ख़ुद सफ़र करती है या सिविल सोसाइटी के दीगर अरकान से बग़ैर किसी नाजायज़ या ग़ैर अख़लाक़ी ताल्लुक़ में दाख़िल होती है, उसे ज़ुलम नहीं कहा जा सकता।
शौहर ने कहा कि अगर बीवी पर्दा नहीं करती तो उसे ज़हनी जुल्म की बुनियाद पर तलाक़ लेने का हक़ है। डिवीज़न बेंच ने कहा कि जहां इस तरह की हरकतों और दीगर कामों को बीवी से मंसूब किया गया है, उन्हें ज़हनी अज़ीयत के तौर पर क़बूल करना मुश्किल है, दोनों फ़रीक़ तालीम-ए-याफ़ता हैं। बेंच ने बीवी की जानिब से लगाए गए इल्ज़ाम पर कार्रवाई ना करने के फ़ैसले को बरक़रार रखते हुए कहा कि शौहर ने ऐसी हरकतों को वक़्त या जगह की तफ़सीलात के साथ बयान नहीं किया और ना ही वो इस सिलसिले में सबूत पेश किया है। जहां तक बीवी की जानिब से ग़ैर अख़लाक़ी ताल्लुक़ात के इल्ज़ाम का ताल्लुक़ है, शौहर की जानिब से कोई हतमी सबूत फ़राहम नहीं किया जा सका। बीवी के किसी के साथ ग़ैर अख़लाक़ी ताल्लुक़ात के इल्ज़ाम के हवाले से कोई और सच्चाई साबित करने की कोशिश नहीं की गई और ना ही कोई बराह-ए-रास्त या काबिल एतिमाद सबूत फ़राहम किया जा सका।
फ़ैमिली कोर्ट के रूबरू साबित हुआ कि जिसके साथ ताअल्लुकात बताया जा रहा है, वो अपील गुज़ार की रिहायशी कॉलोनी में रहता था और इलाक़ा मकीनों की मुख़ालिफ़त की वजह से वो वहां से जाने पर मजबूर हुआ। लेकिन ये साबित नहीं हो सका कि उसके अपील कनुंदा की बीवी के साथ कोई ग़ैर अख़लाक़ी या दीगर ताअल्लुक थे।
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