रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
तुम्हें नमाज़े इशा की बदौलत पहली उम्मतों पर फज़ीलत दी गई, तुम से पहले ये नमाज किसी उम्मत ने नहीं पढ़ी।
- अबु दाऊद
अल क़ादिर ट्रस्ट केस का फ़ैसला
इमरान ख़ान को 14 बरस और बुशरा बीबी को 7 साल क़ैद
✅ इस्लामाबाद : आईएनएस, इंडिया
रावलपिंडी की एहतिसाब अदालत ने अल क़ादिर ट्रस्ट केस का फ़ैसला सुनाते हुए साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान को 14 बरस और उनकी अहलिया बुशरा बीबी को सात साल क़ैद की सज़ा का हुक्म दिया है। एहतिसाब अदालत के जज नासिर जावेद राना ने जुमे को अडियाला जेल में केस का फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि इमरान ख़ान और उनकी अहलिया क्रप्ट प्रेक्टिस के मुर्तक़िब (दोषी) क़रार पाए हैं।फ़ैसले के वक़्त इमरान ख़ान और बुशरा बीबी के अलावा उनके वुकला भी अदालत में मौजूद थे। अदालत ने इमरान ख़ान को दस लाख और बुशरा बीबी को पाँच लाख जुर्माने का भी हुक्म दिया। जुर्माना अदा ना करने की सूरत में साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म को छः माह जबकि उनकी अहलिया को मज़ीद तीन माह क़ैद काटनी होगी।
एहतिसाब अदालत ने अल क़ादिर यूनीवर्सिटी को सरकारी तहवील में लेने का भी हुक्म दिया। अदालती फ़ैसले के बाद जेल हुक्काम ने अदालत में मौजूद बुशरा बीबी को गिरफ़्तार कर लिया। साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान और उनकी अहलिया पर कारोबारी शख़्सियत मलिक रियाज़ को गै़रक़ानूनी फ़वाइद के बदले अल क़ादिर यूनीवर्सिटी के लिए ज़मीन लेने का इल्ज़ाम था। अल क़ादिर ट्रस्ट केस को मुक़ामी मीडीया में 190 मिलियन पाउंड रैफ़रैंस का नाम भी दिया जाता है। अदालत ने 18 दिसंबर को केस का फ़ैसला महफ़ूज़ किया था। जुमे को फ़ैसला सुनाने से क़बल अदालत ने पहले 23 दिसंबर, फिर छः जनवरी और फिर 13 जनवरी को फ़ैसला मोअख़र कर दिया था।
पाकिस्तान तहरीक इन्साफ़ के रहनुमा फ़ैसल चौधरी ने कहा कि अल क़ादिर ट्रस्ट केस में इमरान ख़ान और उनकी अहलिया को सियासी बुनियाद पर सज़ा सुनाई गई है। उनके बाक़ौल, फ़ैसले से क़बल ही अपील तैयार कर ली थी जिसे सुबह अदालत में दायर कर दिया जाएगा। पाकिस्तान तहरीक इन्साफ़ के आफिशियल फेसबुक पेज से जारी बयान के मुताबिक़ इमरान ख़ान ने फ़ैसले के बाद गुफ़्तगु करते हुए कहा कि आज फ़ैसले ने अदलिया की साख को मज़ीद ख़राब कर दिया है लेकिन वो तमाम केसिज़ का सामना करेंगे।
बयान के मुताबिक़ इमरान ख़ान का कहना था कि उनकी अहलिया घरेलू औरत हैं, जिनका इस केस से कोई ताल्लुक़ नहीं। उनके बाक़ौल, बुशरा बीबी को सज़ा उन्हें तकलीफ़ देने के लिए दी गई है। अल क़ादिर ट्रस्ट की बुनियाद साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान के दौर में 2019 में रखी गई थी जिसके ट्रस्टी इमरान ख़ान, उनकी अहलिया बुशरा बीबी और उनकी क़रीबी दोस्त फ़रह गोगी हैं। अल क़ादिर ट्रस्ट उस वक़्त क़ायम किया गया था, जब उस वक़्त के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान ने अपनी काबीना से एक लिफ़ाफ़े में बंद काग़ज़ पर दर्ज समरी की मंज़ूरी ली थी जिसके तहत बर्तानिया से पाकिस्तान को मौसूल होने वाले 190 मिलियन पाउंड की रक़म को सुप्रीमकोर्ट के अकाउंट में मुंतक़िल कर दिया गया था।
इमरान ख़ान को क़ौमी एहतिसाब ब्यूरो ने नौ मई 2023 को अल क़ादिर ट्रस्ट केस में ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट के अहाते से गिरफ़्तार किया था जिसके बाद मुल्कगीर एहतिजाज भी हुआ था। बाद में इमरान ख़ान को ज़मानत पर रिहाई मिल गई थी। रावलपिंडी की एहतिसाब अदालत के जज नासिर जावेद राना ने एक साल कब्ल 27 फरवरी 2024 साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान और उनकी अहलिया बुशरा बीबी पर अल क़ादिर ट्रस्ट केस में फ़र्द-ए-जुर्म आइद की थी।
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