सुप्रीम कोर्ट का सवाल, तीन तलाक के मौज़ू पर कितनी एफ़आईआर हुई

शाअबान अल मोअज्जम, 1446 हिजरी 


  फरमाने रसूल  

जो चीज़ सबसे ज़्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी, वह ख़ौफ-ए-खुदा और हुस्न अखलाक है।

- तिर्मिज़ी 

सुप्रीम कोर्ट का सवाल, तीन तलाक के मौज़ू पर कितनी एफ़आईआर हुई

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

तीन तलाक़ को जुर्म क़रार देने वाले क़ानून को चैलेंज करने के मुआमले में सुप्रीमकोर्ट ने हुकूमत से पूछा है कि तीन तलाक़ क़ानून के तहत मुस्लिम मर्दों के ख़िलाफ़ कितनी एफ़आईआर दर्ज की गई है। अदालत ने मर्कज़ से कहा कि वो तफ़सीलात फ़राहम करे कि मुस्लिम ख़वातीन (शादी के हुक़ूक़ तहफ़्फ़ुज़) एक्ट 2019 के तहत कितनी एफ़आईआर और चार्ज शीट दाख़िल की गई हैं। मआमले की समाअत 26 मार्च को होगी। 
    इस सिलसिले में 2019 से दरख़ास्तें जेरे इल्तिवा (लंबित) है। कहा गया है कि सुप्रीमकोर्ट पहले ही तीन तलाक़ को नाजायज़ क़रार दे चुकी है। इसके लिए हुकूमत को सज़ा का क़ानून बनाने की ज़रूरत नहीं थी। क़ानून बहुत सख़्त है और मुसलसल तीन बार तलाक़ देने पर तीन साल क़ैद की सज़ा देता है। शौहर के जेल जाने की सूरत में बीवी की किसी सूरत मदद नहीं की जाती है। 
    उसी बीच खबर है कि अमरोहा की चार साल कब्ल दो हक़ीक़ी बहनों की शादी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले दो हक़ीक़ी भाईयों से हुई थी। दोनों बहनों को उनके रिश्तेदारों ने ख़ुशी-ख़ुशी जम्मू-कश्मीर में उनके ससुराल भेज दिया लेकिन बड़ी बहन का अपने शौहर से झगड़ा होने लगा। छोटी बहन बचाने आती तो वह उसे भी मारता। बाद में शौहर ने बड़ी बहन को तीन तलाक़ दी और छोटी बहन को दो बच्चों समेत घर से बाहर निकाल दिया। 
    वालदैन जो अमरोहा से कश्मीर आए थे दोनों को घर ले आए। अब इस मुआमले में शादीशुदा ख़ातून ने अपने शौहर समेत सात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है।


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