रमदान अल मुबारक, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
जो चीज़ सबसे ज़्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी, वह ख़ौफ-ए-खुदा और हुस्न अखलाक है।
- तिर्मिज़ी
अल्हम्दुलिल्ला, रमज़ान उल-मुबारक का पहला अशरा मुकम्मल हो चुका है और अल्लाह के फ़ज़ल-ओ-करम से हर साल की तरह इस साल भी अल फ़लाह टावर में तरावीह का बेहतरीन नज़म जारी है। ये सिलसिला पिछले पाँच सालों से मुस्तक़िल जारी है जहां खासतौर पर ख़वातीन के लिए एक मुनज़्ज़म और रुहानी माहौल फ़राहम किया जा रहा है। इस साल भी बड़ी तादाद में ख़वातीन जोश-ओ-ख़ुरोश के साथ तरावीह में शरीक हो रही हैं, जो कि रमज़ान की बरकतों और इबादात से मुस्तफ़ीद होने की एक बेहतरीन मिसाल है। नमाज़-ए-इशा के बाद रात नौ बजे से तरावीह का सिलसिला जारी रहता है।तरावीह क्या है और क्या है इसकी एहमीयत
तरावीह रमज़ान उल-मुबारक की एक ख़ास इबादत है जो सुन्नत-ए-मोअक्कदा है। ये वो नफिल नमाज़ है जो रमज़ान की रातों में इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। तरावीह की तादाद आम तौर पर बीस रकात होती है, लेकिन बाअज़ मुक़ामात पर आठ रकात भी पढ़ी जाती है।ये नमाज़ हुज़ूर अकरमﷺ की सुन्नत है, जो रमज़ान की रातों में कयाम उल लैल यानी क़ियाम-ए-रमज़ान की ताकीद करते थे। हज़रत उमर फारूख के दौर-ए-ख़िलाफ़त में इसे बाजमाअत पढ़ने का बाक़ायदा निज़ाम क़ायम किया गया, जो आज तक उम्मत-ए-मुस्लिमा में राइज है।
तरावीह पढ़ने के फ़वाइद
अल्लाह की क़ुरबत होती है हासिल
रमज़ान बरकतों और रहमतों का महीना है, और तरावीह के ज़रीये बंदा अल्लाह से मज़ीद क़रीब होता है।
क़ुरआन सुनने और समझने का मौक़ा
तरावीह में कुरान-ए-करीम की तिलावत की जाती है, जिससे ईमान को ताज़गी और रूह को सुकून मिलता है।
गुनाहों की मग़फ़िरत
हदीस-ए-मुबारका में आता है कि जो शख़्स रमज़ान में ईमान और इख़लास के साथ कयाम (तरावीह) करता है, उसके साबिक़ा गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।
सेहत के लिए मुफ़ीद
तरावीह एक ऐसी इबादत है, जिसमें मुसलसल रुकू-ओ-सुजूद किया जाता है, जो जिस्मानी सेहत के लिए फ़ाइदामंद है।अल्हम्दुलिल्ला, अल फ़लाह टावर में ख़वातीन के लिए तरावीह का नज़म एक अज़ीम रुहानी मौक़ा है, जहां वो पूरे ख़ुशू-ओ-ख़ुज़ू के साथ इबादत कर सकती हैं। दुआ है कि अल्लाह ताअला हमें रमज़ान उल-मुबारक की बरकतों से भरपूर इस्तिफ़ादा करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए और हमें तरावीह जैसी अज़ीम इबादात को सही तरीक़े से अदा करने वाला बनाए। आमीन
17 रमजान
जंगे बदर
18 रमजान
उर्स हजरत मूसा शहीद, आरंग
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