रमदान अल मुबारक, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"तुम अपने लिए भलाई के अलावा कोई और दुआ ना करो क्योंकि जो तुम कहते हो उस पर फरिश्ते आमीन कहते है।"
- मुस्लिम
अपनी जिम्मेदारियां पूरी करते हुए रखते हैं रोजा
करते हैं इबादत, नहीं होता कामकाज पर असर
माहे रमज़ान का दूसरा अशरा (10 दिन) जारी है। इस महीने में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए मआशरे के लोग रोज़ा और नमाज की इबादत में मशगूल हैं। खास तौर पर भिलाई स्टील प्लांट में काम करने वाले डॉक्टर-इंजीनियर या फिर दीगर तंजीमों के नौकरीपेशा लोगों की रूटीन बदल चुकी है। रमजान में अपनी नौकरी से जुड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए ये सभी रोजा और नमाज की अदायगी कर रहे हैं।
इबादत के साथ ड्यूटी भी चलती है बखूबी : डॉ. इलाही
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर सेक्टर-9 के सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ शेख रियासत इलाही पाबंदी से रोजा रखते हैं और तमाम इबादत भी करते हैं। डॉ. इलाही का कहना है कि रोजे की हालत में वे अपने रोजमर्रा के कामकाज बखूबी निपटाते हैं। इनमें दोनों पालियों में ओपीडी में मरीज देखना भी शामिल है। डॉ. इलाही कहते हैं- रमजान माह में तो और अच्छी टाइमिंग सेट हो जाती है। इस मौसम में रोजे के दौरान बरती जाने वाली सलाह पर डॉ. इलाही कहते हैं- सहरी और इफ्तार के वक्त फल का सेवन करें और रोजा खोलने के बाद कोल्ड ड्रिंक के सेवन ना करें क्योंकि उस समय पेट खाली होता है। घर में बनाए मशरूबात (पेय पदार्थ) पीना बेहतर होता है। बिना वजह धूप में ना घूमे, रोज़ा जिस्म में इम्यूनिटी डेवलप करने में मददगार साबित होता है।
रोजे की हालत में बीएसपी की ड्यूटी भी होती है बखूबी : सिद्दीकी
भिलाई स्टील प्लांट के एचएमई महकमे के जनरल मैनेजर मोहम्मद अशरफ़ सिद्दीकी कहते हैं- मुझे रोज़ा रखकर अपनी ड्यूटी करते हुए कोई कठिनाई नहीं होती है। स्टाफ हमेशा मदद करता है। प्लांट में मुखालिफ हालात और शिद्दत की गर्मी के बावजूद रोजे की हालत में अपनी जिम्मेदारियां निभाने में कभी कोई परेशानी नहीं होती। सिद्दीकी कहते हैं- रोज़ा अल्लाह की जिस्मानी इबादत में तुरंत असर अंदाज करने वाली इबादत है। रोजे के जरिए पूरी जिंदगी को बदलना मक़सद होता है, जैसे रोज़ा रखने के बाद सभी बुराई से बचते हैं बाकी 11 महीने भी इस तरह जिंदगी गुजारने से दुनिया में बेहतरीन मआशरे की ताअमीर होगी।
हर तेहवार में भाईचारे की मिसाल है बीएसपी कर्मियों का आपसी ताअल्लुक : इकबाल
भिलाई स्टील प्लांट के वायर रॉड मिल में सीनियर टेक्नीशियन सैय्यद इकबाल कहते हैं-रोजा रखने के साथ ड्युटी में कोई परेशानी नहीं होती। जब ईमान मजबूत होगा तो आमाल का पाबंद होगा। तीनों शिफ्ट के दौरान नाइट शिफ्ट में सेहरी घर से लेकर जाते हैं स्टाफ भी मदद करते हैं। हम होली, दीपावली में अपने साथियों की नाइट शिफ्ट कर देते हमारे दूसरे साथी हमारा एहतेराम करते हुए नाइट शिफ्ट में एक दो हफ्ते आपसी म्युचुअल ड्यूटी कर लेते हैं। जिससे भाईचारे की बड़ी मिसाल कायम होती है।
कारोबार में दिक्कत नहीं आती रोजा रखने पर : अमीन
सुपेला में थोक व चिल्हर व्यापारी मोहम्मद अमीन कुरैशी कहते हैं कि हमारा कपड़े का व्यापार है। माल के लिए अक्सर रायपूर जाते-आते हैं। अमीन कुरैशी कहते हैं, अल्लाह ने हमें जो मुबारक महीना रमजान दिया है, उसके काम रोजा, तिलावत कुरान मजीद और तस्बीह में अपने वक्त को जरूर लगाएं। व्यापारी दुकान में बैठे बैठे भी इबादत कर सकते हैं। रोज़ा ईमानदारी सच्चाई और आमनतदारी का अच्छा जरिया है। रोजा रखने के बाद झूठ से बचाव हो जाता है। अमली जिंदगी में इसको लाने की जरूरत है।
रोजा खुद को रिचार्ज करने की इबादत : हुमा
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिलाई-तीन में तयनात लेक्चरर हुमा खान कहती हैं कि रोज़ा खुद को रिचार्ज करने वाली इबादत है। रोज़ा रखने से बदन में ताजगी आती है। अल्लाह से खुद को करीब करने में रोजा जैसी इबादत इस्लाम में अलग मकाम रखती है।
रोजे का असर नहीं होता प्रेक्टिस पर : डॉ. शेख
खुर्सीपार गेट में निजी प्रेक्टिस करने वाले डा शेख रियाजुद्दीन रमजान के महीने में अपनी क्लिनिक का वक्त थोड़ा सा बदलते हैं। जिससे वह वक्त पर इफ्तार कर लें। इसके अलावा रमजान के महीने में रोजा व दीगर इबादतों से उनके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता। पाबंदी से रोजा रखने वाले डॉ. शेख कहते हैं-सेहरी और इफ्तार में पानी खूब पिए, खजूर का सेवन करें तेल मसालों का कम इस्तेमाल करें। मौसमी फल में तरबूज,खरबूजा और अंगूर का सेवन करें। डॉ. शेख कहते हैं-रोजा रखने से जिस्म में कोई असर नहीं पड़ता। वैज्ञानिक तथ्यों को एक तरफ भी कर दें तो सबसे बड़ी बात ये है कि रोज़ा अल्लाह का हुक्म है। हर ईमान वालो पर फ़र्ज़ है ताकि हम परहेज़गार बने।
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