रमदान अल मुबारक, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा फर्ज़ नमाज़ अदा करने के बाद नफिल इबादत करके मुझसे इतना नज़दीक हो जाता के मैं उससे मोहब्बत करने लग जाता हूँ।"
- सहीह बुख़ारी
माहे रमजान पर मर्कजी मस्जिद में जकात पर हुई तकरीर
✅ बख्तावर अदब : भिलाई
रमज़ान मुबारक का तीसरा और आखिरी अशरा (10 दिन) जारी है। इस मुबारक महीने में मुस्लिम मआशरा न सिर्फ इबादत में मशगूल रहता है बल्कि अपने साथ-साथ गरीब और महरूम लोगों की फिक्र भी करता है। इसके लिए इस्लाम में जकात देने का हुक्म है, जो हर हैसियत वाले पर वाजिब है। मर्कजी मस्जिद पावर हाउस, कैंप-2 में दारुल कजा के काजी, हाफिज व मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने जकात के हुक्म को लेकर नमाजियों के बीच तकरीर की।
मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि हैसियत वाले को अपनी आमदनी का ढाई फीसद हिस्सा अपने करीब के गरीब, महरूम, फकीर, यतीम, बेवा, मिस्कीन, मुसाफिर और कर्जदारों, जिसके पास तीन दिन तक खाने का न हो देना होता है। उन्होंने कहा कि जकात समाज के महरूम और गरीब तबके की माली हैसियत सुधार कर उसे जकात देने वाला बनाने का जरिया है। उन्होंने कहा कि हैसियत मंद लोगों को समाज के गरीबों की जिंदगी सुधार कर बेहतर जिंदगी में लाने का बेहतरीन तरीका अल्लाह के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद 000 ने बताया है। उन्होंने बताया कि जिस हैसियतमंद के पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी हो या माल (नगद) तिजारत में नफा, जमा रकम, जो इनकी कीमत को पहुंचे, जिस पर साल गुजर जाए, जकात देना वाजिब है। कुल रकम का अढ़ाई फीसदी निकाल कर समाज के उन लोगों को दिया जाए, जो इसके हकदार हैं।
मुफ्ती सोहेल ने बताया कि अपने वालदैन, बेटा-बेटी, शौहर और बीवी, नाना-नानी और दादा-दादी, पोता-पोती और नाती रिश्ते वालों को जकात नहीं दे सकते हैं। जकात इस्लाम में जिन पर वाजिब है अगर दुनिया में अदा नहीं करेगा तो वो अल्लाह के हुक्म को तोड़ने वाला है। आखिरत में उसको उसका अजाब होगा। मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि जकात से मुस्लिम समाज में गरीबी दूर करने एंव खुद मुख्तारी अपनाने का रास्ता दिखा दिया गया है। मसलन कोई गरीब, फकीर या बेवा को कोई हैसियतमंद अपनी जकात से उसके लिए कोई कारोबार शुरू करवा दे, जिससे वो आने वाले साल में अच्छी आमदनी कर खुद जकात देने वाला बन जाए।
जकात खेती की पैदावार, जानवरों की तादाद और प्लाट जो अच्छी कीमत में बेचने के लिए रखा हो, उस पर भी देना चाहिए। इस दौरान सदर मोहम्मद असलम, हाफिज कासिम, सेक्रेटरी मदरसा सैय्यद असलम, नायब सदर इमामुद्दीन पटेल, खजांची निजामुद्दीन, नायब खजांची हाफिज महफूज, अब्दुल हई, हाफ़िज़ अहमद, आलिम सैयद और अहफाज सहित बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
इफ्तार में जुटे रोजेदार, की गईं दुआएं
मदनी मस्जिद खुर्सीपार, मदरसा हमीदिया जोन-1 सेक्टर-11 में अंजुमन हुसैनिया कमेटी की जानिब से रोजा इफ्तार रखा गया। जिसमें बड़ी तादाद में लोग जुटे। पेश इमाम अल्लामा मौलाना मुफ्ती कलीमुल्लाह खान रिजवी और हाफिज इमरान ने इस दौरान दुआए खैर की। मदरसे में इफ्तार के बाद सभी ने मस्जिद में नमाजे मगरिब अदा की। इफ्तार पार्टी को कामयाब बनाने में अंजुमन हुसैनिया के हुसैन अली, मुश्ताक अली, कमालुद्दीन अशरफी, मोहम्मद कुद्दूस, हैदर अली, अशफ़ाक अहमद, अरशद अय्यूब, मोहम्मद शमीम, अरशद अली, आरिफ अय्यूब, पीर हुसैन, राज मोहम्मद, मोहम्मद तौहीद, मोहम्मद तुफैल, मोहम्मद अकरम, बाबू भाई, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद साजिद, रमजान अली, आरिफ सोनू, मोहम्मद मंजूर, अताउल्लाह, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद शारिक, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद सद्दाम, मोहम्मद मेराज, मोहम्मद कय्यूम, जैनुल आबेदीन, सिकन्दर अली, मोहम्मद जैद, मिर्जा तौसीफ और बबलू सहित तमाम लोगों ने कलीदी किरदार अदा किया।
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