इस्लाम जिंदा होता है, हर कर्बला के बाद

मोहर्रम उल हराम, 1447 हिजरी

फरमाने रसूल ﷺ
"तुम अपने लिए भलाई के अलावा कोई और दुआ ना करो क्योंकि जो तुम कहते हो उस पर फरिश्ते आमीन कहते है।"
- मुस्लिम 


✅ बख्तावर अदब : दुर्ग 

अंजुमन इस्लाम मुस्लिम कमेटी के बैनरतले मोहर्रमुल हराम के मौके पर मुनाकिद 10  रोजा तकरीरी प्रोग्राम के दौरान अल्लामा मौलाना जाकिर हुसैन नईमी, मुरादाबाद ने शोहदा-ए-कर्बला के वाकेआ पर रोशनी डाली। 
    वाकेआत कर्बला बयान करते हुए हजरत ने कहा, क़त्ले हुसैन अस्ल में मर्गे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है, हर कर्बला के बाद।" उन्होंने आगे कहा, कर्बला के शहीदों पर दुनिया के अजीम लोगों अपनी राय जाहिर की है जो बहुत ही काबिले तारीफ और मुतास्सिरकुन है। हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को इंसाफ और सदाकत के लिए कुर्बानी के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने कहा, कर्बला की जंग, एक ऐसी जंग, जो हुई ते 680 ईस्वी को थी लेकिन आज भी उसका जिक्र लोगों की जबान पर है। इसकी वजह वो जंग उसूल, सदाकत और हक पर मबनी थी जिसमें हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जां निसारों ने जाम-ए-शहादत नोश फरमाया था। इनमें 6 माह के मासूम अली असगर भी शामिल हैं। उन्हें पानी तक नहीं दिया गया। हजारों की तादाद पर मुश्तमिल यजीद की फौज 3 दिन तक तपते रेगिस्तान में हजरत इमाम हुसैन और उनके जां निसारों का मुहासरा किए हुए थी। 



इस हालत में भी हजरत इमाम हुसैन और उनके जां निसारों ने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के बताए उसूलों पर अड़े रहे। आज पूरी दुनिया में मोहर्रम के मौके पर हर हक वा बातिल का फर्क बताया जाता है ताकि हम सच बोले और सच पर चलें। यही इंसानियत का तकाजा भी है। इस मौके पर उन्होंने शहरे दुर्ग, रियासत छत्तीसगढ़ और मुल्क में अमनो अमान, तरक्की और खुशहाली की दुआएं की। 
    तकरीब को कामयाब बनाने में कमेटी के सदर अजहर पटेल, नायब सदर वसीम राजा, जनरल सेक्रेटरी सैयद शादाब अली, वसीम शेट्टी, सेक्रेटरी जुनैद लाल आजमी, कैशियर अनीश खान, लतीफ खोकर, अराकीन जुनैद खान, मोहसिन खान, शादाब खान, अशरफ कुरेशी, नदीम खान के अलावा कमेटी दीगर अराकीन व अहलकारों ने कलीदी किरदार अदा किया। 


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