खाना-ए-काअबा में सालों से इस्तेमाल होने वाली वो खास सीढ़ी

 मोहर्रम उल हराम, 1447 हिजरी 

   फरमाने रसूल ﷺ   

तीन चीज़ों के बारे में रसुल अल्लाहﷺ  की कसम
"मै कसम खाकर कहता हूँ कि सदका देने से किसी के माल में कमी नहीं आती।
2, जो शख्स ज़ुल्म पर सब्र करे ,अल्लाह उसकी इज़्ज़त बढ़ा देता है।"
3, जो शख्स अपने पर मांगने का दरवाज़ा खोल ले, अल्लाह ताअला उस पर फक्र (मुफलिसी) का दरवाज़ा खोल देता हैं।

- जामए तिरमिज़ी 

खाना-ए-काअबा में सालों से इस्तेमाल होने वाली वो खास सीढ़ी

बख्तावर अदब : रियाद 

दुनिया के मुक़द्दस तरीन मुक़ाम ख़ाना-ए-काअबा को हर साल दिए जाने वाले गुसल के लिए एक खास सीढ़ी इस्तेमाल की जाती है। खाना-ए-काअबा के भीतर जाने के लिए 25 सालों से इस्तेमाल की जाने वाली इस सीढ़ी को मुकम्मल तौर पर जदीद पावर प्लांट कहा जा सकता है। इदारा हरमैन शरीफन की जानिब से साल 2000 में तैयार कराई गई इस सीढ़ी के नीचे 24 बैटरियां नसब हैं जिनके ज़रीये इसे आपरेट किया जाता है। 
    5 मीटर 65 सेंटीमीटर लंबी, 4 मीटर 80 सेंटीमीटर ऊंची और 1 मीटर 88 सेंटीमीटर चौड़ी ये सीढ़ी आला क्वालिटी की टीकवुड लकड़ी से तैयार कराई गई है। सीढ़ी के ऊपर ख़ाना-ए-काअबा के अंदरूनी हिस्से को रोशन करने के लिए एक प्लेटफार्म बना है जबकि एयर कंडीशनिंग यूनिट भी मौजूद है। तीन वाटर टैंक हैं, एक वाटर टैंक ख़ाना-ए-काअबा को ग़ुसल देने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी और दूसरा टैंक इस पानी को जाया करने के लिए है।

खाना-ए-काअबा की छत पर लगा है दुनिया का नायाब संगमरमर 

खाना-ए-काअबा की छत पर लगा है दुनिया का नायाब संगमरमर


ख़ाना-ए-काअबा की छत 145 मुरब्बा मीटर है जिसकी तैयारी में इंतिहाई नादिर-ओ-नायाब किस्म का संगमरमर इस्तिमाल किया गया है, जो दिन में ठंडक का एहसास दिलाता है। ख़ाना-ए-काअबा की छत से लेकर सतून और दीवारों तक की तामीर इंतिहाई मुनफ़रद अंदाज़ में की गई है। छत पर नसब संगमरमर दुनिया का नायाब तरीन पत्थर है जिसकी ख़ासीयत ये है कि रात को ये रतूबत को जज़ब कर लेता है जिसकी वजह से छत और काअबा शरीफ के अंदर का माहौल गर्म नहीं होने पाता। 


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