दारुल हुकूमत दिल्ली में 22 अगस्त को गाज़ा की हिमायत में एक अजीमुशशान मुजाहिरा हुआ जिसमें कसीर तादाद में आवामी लोगों, तलबा, समाजी, मजहबी और सियासी जमातों ने हिस्सा लिया। सभी ने इज़रायल की गाज़ा पर फौजी और सियासी कब्जे की स्कीम की कड़ी मजम्मत करते हुए कहा कि ये इकदाम पहले से जारी इंसानी अलमिये (मानवीय त्रासदी) को और गहरा करेगा।
मुकर्ररीन ने इज़रायल की कार्रवाई को नरसंहार करार दिया और कहा कि अक्टूबर 2023 से अब तक तकरीबन 1 लाख फ़िलिस्तीनी जिनमें खवातीन और बच्चे भी शामिल हैं, मारे जा चुके हैं। अस्पताल, स्कूल, घर और मुहाजिर कैंपों को मुनज्जम ढंग से निशाना बनाया गया है। गाज़ा में भुखमरी और सेहत की खिदमात को नेस्त-ओ-नाबूद होने की चेतावनी दी गई।
मुजाहिरे के दौरान रखी मांगे
- इंसानी हमदर्दी की राहदारियों और जंग बंदी का फौरी इंतेजाम
- हिंदूस्तान और आलमी ताकतों की जानिब से इज़रायल के साथ सभी फौजी तआवुन खत्म हो
- नेतन्याहू के ख़िलाफ़ बैनुल अकवामी अदालत से गिरफ्तारी वारंट की हिमायत
- आजाद और खुद मुख्तार फलीस्तीन के कयाम के लिए ठोस इकदाम किया जाए
- हिंदुस्तान की रवायत के मुताबिक मुतास्सरीन की खिदमत और हिमायत के अलावा सिविल सोसायटी की जानिब से आगाही मुहिम तेज की जाए
- मुकर्ररीन ने मुस्लिम मुल्कों से भी दबाव बढ़ाने की अपील की और कहा कि नरसंहार के सामने चुप रहना इख्लाखी और आईनी जिम्मेदारी से भागना है।
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