रबि उल अव्वल, 1447 हिजरी

फरमाने रसूल ﷺ"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा फर्ज़ नमाज़ अदा करने के बाद नफिल इबादत करके मुझसे इतना नज़दीक हो जाता के मैं उससे मोहब्बत करने लग जाता हूँ।"
- सहीह बुख़ारी
ऑल इंडिया आइडियल टीचर एसोसिएशन की रियासती सतह पर मुनाकिद वर्कशाप में मुकर्ररीन ने किया इजहारे ख्याल
✅ नई तहरीक : रायपुर
आल इंडिया आयडियल टीचर एसोसिएशन की जानिब से गुजिश्ता दिनों रियासती सतह पर वर्कशाप मुनाकिद किया गया। अल फलाह टावर, बैरन बाज़ार मुनाकिद वर्कशाप की शुरुआत तिलावते कुरआन से हुई।
कुरआन की तिलावत करते हुए अब्दुल हद ने कुरआनी लफज इकरा की तफसीर बयान करते हुए ताअलीम की हकीकी रूह पर रोशनी डाली।
ख़ालिद इक़बाल (मर्कजी सेक्रेटरी एआईआईटीए) और सफ़िया अंजुम (खवातीन को-ओर्डिनेटर एआईआईटीए) ने ताअलीम के अमली पहलुओं पर इजहारे ख्याल किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा, ताअलीम किताबी नहीं, ताअमीरे किरदार भी हो।
फ़ाख़िरा तबस्सुम (कौमी एग्जीक्यूटिव कारकुन व रियासती खवातीन को-आर्डिनेटर) ने इस्तकबालिया तकरीर करते हुए कहा कि असातजा को ये याद रखना चाहिए कि नई पीढ़ी के इखलाकी और नजरयाती इकदार उनके अपने हाथों में हैं।
असलम फ़िरोज़ ने तवील मुदद्ती ताअलीम के मौजूद पर इजहारे ख्याल करते हुए ये डिग्रीधारी और अदबी नसल के बीच के फर्क को वाजेह किया।
वाइस प्रेसिडेंट अहमद हसन, जमाअत ए इस्लामी हिंद, छत्तीसगढ़ ने हजरत आयशा रदि अल्लाहो अन्हा की सीरत-ए-मुबारका पर रोशनी डालते हुए असातजा के लिए कुर्बानी, ईमानदारी और सब्र के जज़्बे को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने ये वाजेह किया कि गर असातजा अपनी जिंदगी में इन उसूलों को अपना लें तो तुलबा की नई पीढ़ी इनसे जरूर मुतास्सिर होगी।
वर्कशाप में वैदिक फाउंडेशन के प्रेसिडेंट सैयद सलमा ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए वर्कशाप की सताइश की। वर्कशाप की कार्रवाई जुनैद सिद्दीकी व डॉ. सबा कुरैशी ने चलाई।
ओपन सेशन में असातजा ने न सिर्फ अपना ताअर्रुफ देकर सवाल जवाब के जरिये ताअलीम के नए आयाम पर तफसीली गुफतगू की।
इख्तेतामी रिमार्क्स देते हुए रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉ. ज़किया बेगम कहा, वर्कशाप एआईआईटीए के मिशन को और भी ज्यादा वाजेह करती है कि ताअलीम का मकसद शख्सियत की नश्व-ओ-नुमा और तुलबा के इख्लाकी इकदार को फरोग देना है। उन्होंने आगे कहा, ये वर्कशाप इस बात का सबूत है कि गर ताअलीम को उसकी हकीकी रूहके साथ पेश किया जाए तो नई नसल को न सिर्फ डिग्रीधारी बल्कि गर ताअलीम को उसकी हकीकी रूह के साथ पेश किया जाए तो नई पीढ़ी को न सिर्फ डिग्रीधारी बल्कि काबिले ताअरीफ शख्सियत का मालिक भी बनाया जा सकता है।
आखिर में इजहारे तशक्कुर करते हुए एआईआईटीए के रियासती सदर तुफैल कुरैशी ने मुस्तकबिल में असातजा और तुलबा के लिए ऐसे ही मुख्तलिफ प्रोग्राम मुनाकिद किए जाने के एआईआईटीए के अज्म को दोहराया।
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