रबि उल आखिर 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत
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माहिरीन आसारे-ए-क़दीमा ने अरदन के तारीख़ी शहर पेट्रा में दो हज़ार साल पुरानी जे़रे ज़मीन जगह दरयाफ़त की है, जहां एक पोशीदा मक़बरे से इन्सानी बाक़ियात और सैंकड़ों नमूने मिले हैं।पुरानी इमारतों की मरम्मत के दौरान इस्लाम के शुरुआती दिनों की चीजें मिली
अरब न्यूज़ के मुताबिक़ टाईम्स में शाइआ होने वाली रिपोर्ट में इन्किशाफ़ (खुलासा) किया गया है मुहक़्क़िक़ीन (शोधकर्ताओं) को इस दरयाफ़त से क़दीम शहर की इब्तिदा और उसे तामीर करने वालों के बारे में तवील अर्से से जारी सवालात को हल करने में मदद मिल सकती है। पेट्रा के मुक़ाम पर तहक़ीक़ (खोज, शोध) की ग़रज़ से की जाने वाली खुदाई के नतीजे में वहां एक मक़बरे में अच्छी तरह से महफ़ूज़ 12 ढाँचे और सैकड़ों कांसी, लोहे और सिरामिक के नमूने मिले। आसारे-ए-क़दीमा दरयाफ़त करने वाली अमरीका और अरदन की मुशतर्का (साझा) टीम ने माअरूफ़ इमारत के नीचे खुदाई की है, ये वो मुक़ामात हैं, जहां 'इंडियाना जोनज़ एंड दी लास्ट क्रूसेड समेत कई फिल्मों की शूटिंग की गई है।
यूनेस्को के आलमी सक़ाफ़्ती विरसा की तहक़ीक़ी टीम के ख़्याल के मुताबिक़ इस मक़बरे के अंदर के मर्कज़ी मुक़ाम को क़दीम ज़माने की मुमताज़ समाजी हैसियत के बाशिंदों ने बनाया था। अमरीकन सेंटर आफ़ रिसर्च के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और माहिर आसारे-ए-क़दीमा ने बताया कि यहां खुदाई जारी रखने से मज़ीद सैंकड़ों नादिर अश्या (दुर्लभ चीजें) मिलने की तवक़्क़ो है। पेट्रा के इस इलाक़े का नाम एक इबतिदाई नज़रिए के तहत रखा गया था कि इसमें एक फ़िरऔन का ख़ज़ाना था, लेकिन ज़्यादातर मुहक़्क़िक़ीन का ख़्याल है कि ये एक मक़बरा था, जिसे नबती दौर के हुकमरान ने बनवाया था जिसने तक़रीबन 9 क़बल मसीह से 40 ईसवी तक इस इलाक़े में हुकूमत की। आसारे-ए-क़दीमा के माहिरीन ने ख़ास रेडार की मदद से इस मक़बरे की दरयाफ़त की है। गुजिशता कई बरसों से पेट्रा के क़दीम इलाक़े में बहुत से दूसरे मक़बरे दरयाफ़त हुए हैं जो ज़्यादातर ख़ाली पाए गए थे और गुजिशता सदियों में मुतअद्दिद बार इस्तिमाल होते रहे हैं।
डाक्टर समीन ने कहा कि पेट्रा में इन्सानी बाक़ियात के साथ मक़बरा मिलना नायाब है, लिहाज़ा जब ऐसी दरयाफ़त से कुछ हासिल होता है तो वो इंतिहाई क़ीमती और नायाब होता है।
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