बर्तानिया : इस्लामोफोबिया का असर, मुसलमान अपने अकीदे पर बात करने से कतराने लगे

रबि उल आखिर 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

तुम में सबसे ज़्यादा अज़ीज़ मुझे वो शख्स है, जिसके आदात व अखलाक सबसे उमदा हो।

- बुखारी शरीफ 

बर्तानिया : इस्लामोफोबिया का असर, मुसलमान अपने अकीदे पर बात करने से कतराने लगे , bakhtawar adab
✅ लंदन : आईएनएस, इंडिया 

एक नई तहक़ीक़ में बताया गया है कि बर्तानिया में मुक़ीम तक़रीबन एक तिहाई मुलसमान अपने अक़ीदे पर बात करने से गुरेज़ करने लगे हैं। जुलाई में बर्तानियाभर में फ़सादाद शुरू होने के बाद से इस्लाम के बारे में बात करने के लिए बहुत कम लोग तैयार होते हैं। 
    अरब न्यूज़ के मुताबिक़ इंस्टीटियूट फ़ार दी इंपेक्ट आफ़ फ़ेथ आफ़ लाइफ की तरफ़ से शाइआ एक रिपोर्ट में 30 अगस्त और 1 सितंबर को कराए गए सर्वे में 2835 मुस्लमानों में से 34 फ़ीसद ने इस बयान से इत्तिफ़ाक़ किया कि मैंने पिछले चार हफ़्तों में लोगों को अपने अक़ीदे के बारे में बताने से गुरेज़ किया है। साठ फ़ीसद ने ये भी महसूस किया कि बर्तानवी मीडीया कुछ मज़ाहिब को 'दूसरों के मुक़ाबले में ज़्यादा मनफ़ी (निगेटिव) अंदाज़ में पेश करता है, जबकि 41 फ़ीसद ने महसूस किया कि तमाम मज़ाहिब को पिछले महीने मीडीया ने ग़लत रंग दिया है। इसके अलावा 47 फ़ीसद जवाब देने वालों ने कहा कि उनका ख़्याल है कि बर्तानिया में मीडीया को मज़हब की ज़्यादा कवरेज करनी चाहिए। 
बर्तानिया : इस्लामोफोबिया का असर, मुसलमान अपने अकीदे पर बात करने से कतराने लगे , bakhtawar adab


    आईआईएफ़एल के डायरेक्टर डाक्टर जैक स्कॉट ने एक बयान में कहा कि ये आदाद-ओ-शुमार (आंकड़े) बर्तानवी मुस्लमानों में इस ख़ाहिश की तरफ़ इशारा करते हैं कि बर्तानिया के मीडीया में मज़हब पर ज़्यादा मुतवाज़िन बेहस (संतुलित चर्चा) देखने के साथ-साथ इस बहस में इस्लाम की ज़्यादा नुमाइंदगी की जाए। मौसिम-ए-गर्मा के हंगामों और ख़लफ़िशार के बाद ये वाजेह है कि बर्तानिया में मुस्लमान अपने अक़ीदे के बारे में दूसरों के बात करने में खुद को कम महफ़ूज़ महसूस करते हैं, जबकि अक्सरीयत मीडीया को अक़ीदे के बारे में मनफ़ी तास्सुर फैलाते देखती अरब, ब्रिटिश अंडरस्टैंडिंग काउंसिल के डायरेक्टर ने अरब न्यूज़ को बताया कि बर्तानवी मुस्लमानों ने 9-11 और 2005 के लंदन बम धमाकों समेत दहश्तगर्दी के बड़े वाक़ियात के बाद भी इसी तरह के रुजहानात का तजुर्बा किया है। 

    इस वजह से कि बर्तानवी आबादी में से बहुत से लोग इस्लाम को हक़ीक़त में नहीं समझते, बर्तानवी मुस्लमानों के साथ किसी भी तरह से हमदर्दी नहीं रखते, और इजतिमाई तौर पर उन पर किसी और की तरफ़ से किए गए जराइम का इल्ज़ाम लगात थे। उन्होंने कहा कि मेरा ख़्याल है कि हम इस मौसम-ए-गर्मा में ख़ौफ़नाक इंतिहाई दाएं बाज़ू के फ़सादाद के साथ जो कुछ देख रहे हैं, वो बर्तानवी मुस्लिम कम्यूनिटी में घबराहट के एहसास की वापसी है। यहां हमने बहुत ज़्यादा इस्लामो फोबिया देखा है, बहुत सारे मुस्लिम मुख़ालिफ़ जज़बात देखे हैं। हमारे सीनीयर बर्तानवी सियासतदां इसमें मुलव्वस हैं। 
    खासकर कन्ज़र्वेटिव पार्टी के अंदर, जहां इस्लामो फोबिया एक हक़ीक़ी मसला है। उनका कहना था कि मेरे ख़्याल में ये पस-ए-मंज़र है कि बर्तानवी मुस्लमान शायद कुछ घबराहट का शिकार हैं। उन्होंने कहा कि बर्तानिया में मज़हब की मीडीया कवरेज सुक्यूलारिज्म से तेज़ी से मुतास्सिर हो रही है, जिसकी वजह से अक़ीदा रखने वाले लोगों को नज़रअंदाज किया जा रहा है। 
    'बर्तानवी मुस्लमान महसूस करते हैं कि इस्लामो फ़ोबक माहौल है। हम ये भी जानते हैं कि यक़ीनन बर्तानवी, यहूदी बिरादरी यहूद दुश्मनी, यहूदी मुख़ालिफ़ जज़बात और नफ़रत पर मबनी जराइम में इज़ाफे़ से बहुत परेशान है।

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