रबि उल आखिर 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।
- बुख़ारी शरीफ
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया मक्का-मुकर्रमा मुल्क का गर्मतरीन शहर साबित हो रहा है। फिलहाल यहां दर्जा हरारत 41 डिग्री रिकार्ड चल रहा है। सबक़ वेबसाइट के मुताबिक़ महकमा मौसमियात ने कहा है कि मक्का-मुकर्रमा रीजन के दूसरे शहरों में गुजिश्ता दिनों हालांकि हल्की बारिश हुई इसके बावजूद जायरीन को गर्मी से राहत नहीं मिली।
महकमे ने कहा कि 'ताइफ, अललीस, अलकनफ़ज़ा, अलशफ़ा, यलमलम और दीगर इलाकों में शाम 7 बजे तक धूल भरी हवा चली। महकमे के मुताबिक मदीना-मुनव्वरा भी गर्म तरीन शहरों में शामिल है जहां दर्जा हरारत 40 डिग्री रिकार्ड रिकार्ड किया जबकि यंबात में 39, बुरीदा में 38 और वादी उल्दू असर, शिरोरुह और अल ऊला में 37 डिग्री दर्जा हरारत रिकार्ड किया गया।
दूसरी तरफ़ सर्द तरीन शहरों में सरे फेहरिस्त अलसूदा है जहां दर्जा हरारत फिलहाल 13 डिग्री है, अबहा और अलबाहा में 17, अलक्रियात में 18 और तबूक में 19 डिग्री है। बारिश के हवाले से महकमें ने कहा है कि गुजिश्ता मंगल को अलबाहा, असीर और जाज़ान में कहीं हल्की और कहीं तेज़ बारिश की तवक़्क़ो है।
मौसमियाती तब्दीलियों से तेजी से सूख रहे दुनियाभर दरिया
लंदन : मौसमियाती तब्दीलियों से दुनिया में काफ़ी कुछ तबदील हो रहा है और अब उसके एक और तशवीशनाक (चिंताजनक) असर का इन्किशाफ़ (खुलासा) हुआ है। गुजिश्ता 3 दहाईयों के दौरान दुनियाभर में दरिया बहुत ज़्यादा तेज़ रफ़्तारी से ख़ुशक हुए हैं जिससे आलमी सतह पर पानी की सप्लाई का खतरा बढ़ गया है। आलमी मौसमियाती इदारे (डब्लयूएमओ) की स्टेट आफ़ ग्लोबल वाटर रिसोर्सज़ रिपोर्ट में बताया गया कि गुजिश्ता 5 साल के दौरान दुनिया-भर में दरिया में पानी की सतह औसत से कम रही। 2023 में 50 फ़ीसद से ज़्यादा दरियाओं में पानी की कमी देखने में आई है। ऐसा ही कुछ 2022 और 2021 में भी देखने में आया जिसके बाइस मुतअद्दिद (कई) इलाक़ों को ख़ुशकसाली (सूखे) का सामना करना। मिसाल के तौर पर दरयाए एमेजोन और दरयाए मिसिसिपी में पानी की सतह में रिकार्ड कमी आई है। एशिया में गंगा और मेकांग जैसे बड़े दरियाओं में पानी की कमी रिकार्ड की गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि मौसमियाती तबदीलीयों के नतीजे में पानी के बहाव में तबदीलीयां आई हैं जबकि शदीद सैलाब और कहतसाली जैसे मसाइल बढ़े हैं।
मगर साईंसदानों के मुताबिक़ मौसमियाती तबदीलीयों के बाइस उन मौसमियाती रुजहानात के असरात की शिद्दत भी बढ़ गई है और अब मौसमों के असरात की पेशगोई करना मुश्किल हो गया है। डब्लयूएमओ की सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि मौसमियाती तबदीलीयों से पानी पर सबसे ज़्यादा असरात मुरत्तिब हुए हैं, हमें बहुत ज़्यादा बारिशों, सैलाब और ख़ुशकसाली से तबाहकुन असरात के इशारे मिले हैं। उन्होंने कहा कि बर्फ़ पिघलने की रफ़्तार बढ़ने से तवील उल मियाद बुनियादों पर पानी की फ़राहमी मुतास्सिर होने का ख़तरा बढ़ा है और हमने अब तक ज़रूरी इक़दामात भी नहीं किए।
उनका कहना था कि दर्जा हरारत में इज़ाफे़ से आबी चक्कर (जल चक्र) की रफ़्तार बढ़ गई है, ये ज़्यादा नाक़ाबिल पेशगोई हो गया है और हमें बहुत ज़्यादा या बहुत कम पानी जैसे मसाइल का सामना हो रहा है, गर्म फ़िज़ा में नमी ज़्यादा होती है जिससे शदीद बारिशें होती हैं जबकि ज़मीन तेज़ी से ख़ुशक होती है जिससे ख़ुशकसाली की शिद्दत बढ़ जाती है।
2023 दुनिया की तारीख़ का गर्मतरीन साल रिकार्ड
2023 दुनिया की तारीख़ का गर्मतरीन साल के तौर पर रिकार्ड किया गया। इस साल दरियाओं में पानी का बहाव कम रहा और मुतअद्दिद ममालिक को ख़ुशकसाली का सामना करना पड़ा। डब्लयूएमओ के मुताबिक़ मौसमियात-ए-तबदीलीयों के साथ-साथ दीगर वजूहात जैसे 2023 में एल नीनू के आग़ाज़ से भी दरियाओं की सतह पर असरात पड़े। एल नीनू एक ऐसा मौसमियाती रुजहान है जिसके नतीजे में बहर-ए-अलकाहिल (प्रशांत महासागर) के पानी का बड़ा हिस्सा मामूल से कहीं ज़्यादा गर्म हो जाता है और ज़मीन के मजमूई दर्जा हरारत में भी इज़ाफ़ा होता है। इसके मुक़ाबले में ला नीना के दौरान बहर-ए-अलकाहल का दर्जा हरारत कम होता है।मगर साईंसदानों के मुताबिक़ मौसमियाती तबदीलीयों के बाइस उन मौसमियाती रुजहानात के असरात की शिद्दत भी बढ़ गई है और अब मौसमों के असरात की पेशगोई करना मुश्किल हो गया है। डब्लयूएमओ की सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि मौसमियाती तबदीलीयों से पानी पर सबसे ज़्यादा असरात मुरत्तिब हुए हैं, हमें बहुत ज़्यादा बारिशों, सैलाब और ख़ुशकसाली से तबाहकुन असरात के इशारे मिले हैं। उन्होंने कहा कि बर्फ़ पिघलने की रफ़्तार बढ़ने से तवील उल मियाद बुनियादों पर पानी की फ़राहमी मुतास्सिर होने का ख़तरा बढ़ा है और हमने अब तक ज़रूरी इक़दामात भी नहीं किए।
उनका कहना था कि दर्जा हरारत में इज़ाफे़ से आबी चक्कर (जल चक्र) की रफ़्तार बढ़ गई है, ये ज़्यादा नाक़ाबिल पेशगोई हो गया है और हमें बहुत ज़्यादा या बहुत कम पानी जैसे मसाइल का सामना हो रहा है, गर्म फ़िज़ा में नमी ज़्यादा होती है जिससे शदीद बारिशें होती हैं जबकि ज़मीन तेज़ी से ख़ुशक होती है जिससे ख़ुशकसाली की शिद्दत बढ़ जाती है।
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