दीनी-दुनियावी तालीम की कसौटी पर परखे गए मदरसों के तलबा

रबि उल आखिर 1446 हिजरी 

 फरमाने रसूल ﷺ  

अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।

- कंजुल इमान 

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मदरसा जामिया अरबिया, पावर हाउस, 
कैंप-2 में जारी मुकाबला
पहले दिन जैद, अतहर और सोहेल ने मारी बाजी 

bakhtawar adab, nai tahreek
✅ नई तहरीक : भिलाई

मदरसा जामिया अरबिया, पावर हाउस, कैम्प-2 में रियासत छत्तीसगढ़ के मुख्तलिफ जिलों में दीनी तालीम हासिल कर रहे तलबा के लिए ताअलीमी सतह पर दो रोजा मुसाबक ताअलीमी मेअयार मुकाबला मुनाकिद किया गया। जिसमे अंबिकापुर, बिलासपुर, कटघोरा, रांका और भिलाई, दुर्ग सहित समूचे छत्तीसगढ़ से बच्चों ने भागीदारी की। 
    काम्पीटिशन में कुरआन पाक को सही तलफ्फुज के साथ पढ़ने और इससे मिलने वाली ताअलीम और दुनियावी जिंदगी से जुड़े सवाल पूछे गए। मदरसे के मोहतमिम हाफ़िज़ कासिम बस्तवी ने कहा कि बच्चों में दीनी ओर दुनियावी ताअलीम बहुत ज़रूरी है, जिससे वे इंसानियत के पैगाम को आम करें ओर अपने अंदर भी इंसानियत पैदा कर सकें। प्रोग्राम से खिताब करते हुए मुफ्ती दानिश अमरावती और इस्लामिक स्कॉलर हज़रत इफ्तिखार ने आवाम और तलबा को पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद 000 जैसी पाकीजा जिंदगी अपनाने के साथ अल्लाह के अहकाम पर चलते हुए वालिदैन की इज्जत, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के हक को पहचान कर उसे पूरा करने की बात कही।

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    मुफ्ती मोहम्मद सालिम ने बताया कि मुसाबक का असल मकसद ताअलीमी बेदारी लाना है। उन्होंने समय-समय पर इस तरह के मुकाबले मुनाकिद किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। मौलाना इनामुल हसन ने कहा कि ताअलीम के जरिए बच्चों में अदब और समझबूझ पैदा होती है जिससे वो अपने अच्छे-बुरे की पहचान रख पाते हैं। 
    पहले दिन के मुकाबले में छत्तीसगढ़ सतह पर मोहम्मद अबु जैद, मदरसा जामिया अरबिया, पावर हाउस, कैंप-2 अव्वल, शम्स अतहर, मदरसा तालीमुल कुरान, रांका दूसरे और मोहम्मद सोहेल, मदरसा उरूज उल इस्लाम, कटघोरा तीसरे नंबर पर रहे। इसके अलावा भाग लेने वाले तमाम तालिबे इल्म को इनाम दिए गए। निजामत मौलाना जुनैद ने की। 

    मुकाबले के जज मुफ्ती नजमुद्दीन व मुफ्ती दानिश और सवाल करने वाले कारी नेअमत अल्लाह रांका थे। आखिर में मदरसे की ओर से शहर के बुजुर्ग सैयद जमीर ने मुल्क के अमन, चैन और खुशहाली की दुआ की। इस दौरान तमाम तलबा को सादगी के साथ पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद 000 वाली पाकीजा जिंदगी अपनाने और अल्लाह के अहकाम के साथ इंसानियत की खिदमत करते हुए बेहतर मुकाम हासिल करने, बीमारों के सेहतमंद होने, मआशरे में आपसी मोहब्बत, भाईचारा कायम रखने की दुआएं की।

    प्रोग्राम में कारी नेअमत अल्लाह रांका, कारी अब्दुल समद, मौलाना हाशिम दुर्ग, मुफ्ती सलीम, सुभाष नगर, दुर्ग, शहर काजी मुफ्ती सोहेल, मौलाना जुनैद, मौलाना मोहम्मद उमर बिलासपुर, मौलाना जफीर कटघोरा, मुफ्ती फखरुद्दीन रांका, मौलाना मंसूर आलम, अंबिकापुर मौलाना फैसल, मौलाना नाजिम, मौलाना शकील, सदर मोहम्मद असलम, नायब सदर इमामुद्दीन पटेल, सेक्रेटरी सैय्यद असलम, युसूफ सिद्दीकी, हाफ़िज़ महफूज, तमयुजुद्दीन पटेल, असलम, जफर कुरैशी, हाफ़िज़ मोहम्मद अहमद, निजामुद्दीन अंसारी, सोहेल, साहिल, अशरफ, उबैदुल्ला, मोहम्मद अकरम, सईद भाई, अब्दुल अलीम, मोबिन, अशरफ, अब्दुल समद, मोहम्मद आदिल अदनान, निसार, हाजी जमील, इजहार, फारुख, अब्दुल वहाब, सलीम और हाफ़िज़ साकिब सहित बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।

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