रज्जब उल मुरज्जब, १४४६ हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कयामत के दिन मोमिन के मीज़ान में अखलाक-ए-हसना (अच्छे अखलाक) से भारी कोई चीज़ नहीं होगी, और अल्लाह ताअला बेहया और बद ज़बान से नफरत करता है।
- जमाह तिर्मिज़ी
पीएम मोदी की तरफ़ से भेजी गई चादर लेकर मर्कज़ी वज़ीर किरण रिजीजू दरगाह हजरत निज़ाम उद्दीन औलिया (रहमतुल्लाह अलैह) पहुंचे, वहां से वे महरौली, ख़्वाजा क़ुतुब उद्दीन बुख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह पहुंचे। दोनों मज़ारात पर पीएम मोदी की तरफ़ से चादर पेश की गई।
इस मौके पर मर्कज़ी वज़ीर रिजीजू ने कहा कि हजरत निज़ाम उद्दीन औलिया की दरगाह आना हमारे लिए ख़ुशक़िसमती की बात है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की तरफ़ से दी गई चादर अजमेर शरीफ़ जाएगी, जिसे हम हजरत निज़ाम उद्दीन के रास्ते ले जाएंगे।
अक़लीयती वज़ारत के सीनीयर आफ़िसरान अजमेर शरीफ़ जाएंगे। उन्होंने बताया कि सनीचर, ४ जनवरी को अजमेर शरीफ़ में वज़ीर-ए-आज़म की चादर चढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी के भाई चारे का पैग़ाम लेकर अजमेर शरीफ़ जाएंगे। हजरत निज़ाम उद्दीन औलिया की दरगाह आने के बाद अजमेर का रास्ता आसान हो जाएगा।
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मर्कज़ी वज़ीर रिजीजू ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें पीएम मोदी उन्हें और बीजेपी अक़ल्लीयती मोरचा के सदर जमाल सिद्दीक़ी को अजमेर दरगाह के लिए चादर देते हुए नज़र आ रहे हैं। उन्होंने लिखा, ये इशारा हिन्दोस्तान के रुहानी विरसे, हम-आहंगी और हमदर्दी के मुसबत पैग़ाम के लिए उनके (पीएम मोदी) के गहरे एहतिराम की अक्कासी करता है।
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वाजेह हो कि सुलतान उल-हिंद ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह के उर्स के मौके पर हर साल अजमेर शरीफ़ में वाके उनकी दरगाह पर उर्स का एहतिमाम किया जाता है और तमाम हिन्दुस्तानी वज़ीर-ए-आज़म की तरफ़ से दरगाह के लिए चादर पेश की जाती है।
दूसरी ओर हाल ही में एक हिंदू तंज़ीम के अदालत में ये दावा किए जाने के बाद से कि सूफ़ी दरगाह के नीचे मंदिर है, तनाज़ा को हवा मिली थी। ताहम हाईकोर्ट ने मुल्क के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में दायर इस तरह की दरख़ास्तों पर किसी भी अदालती कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
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