रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
अफज़ल ईमान ये है कि तुम्हें इस बात का यकीन हो के तुम जहाँ भी हो, खुदा तुम्हारे साथ है।
- कंजुल इमान
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✅ इस्लामाबाद : आईएनएस, इंडिया
माअरूफ़ हिन्दुस्तानी इस्लामी मुबल्लिग (प्रचारक) और स्कालर डाक्टर ज़ाकिर नायक पीर, 30 सितंबर को पाकिस्तान पहुंचे, जहां वो 28 अक्तूबर तक कयाम करेंगे। इस दौरान वे कई शहरों में अवामी ख़िताब करने के साथ-साथ आला सरकारी हुक्काम से मुलाक़ात करेंगे।
इस्लामाबाद एयरपोर्ट पहुंचने पर वज़ीर-ए-आज़म यूथ प्रोग्राम के चेयरमैन राना मशहूद, वज़ारत मज़हबी उमूर के एडीशनल सेक्रेटरी सय्यद डाक्टर अता अल रहमान और दीगर सरकारी हुक्काम ने उनका इस्तिक़बाल किया। वज़ारत मज़हबी उमूर के तर्जुमान के मुताबिक़ डाक्टर ज़ाकिर नायक इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में अवामी ख़िताब करने के साथ ही कई जगहों पर नमाज़-ए-जुमा के इजतिमाआत की इमामत भी करेंगे।
ये दौरा पाँच अक्तूबर को कराची से शुरू कर 20 अक्तूबर को इस्लामाबाद में इख़तताम पज़ीर होगा। उनके बेटे डाक्टर फ़ारूक़ नायक, जो इस्लामी स्कालर हैं, उनके साथ इस दौरे में तीनों शहरों में लेक्चर देंगे। दोनों को सख़्त सिक्योरटी में उनके क़ियामगाह ले जाया गया। ख़्याल रहे कि ज़ाकिर नायक एक मुतनाज़ा इस्लामी स्कालर और मुबल्लिग हैं, जो मलाईशीया में साल दो हज़ार सोलह से ख़ुद-साख़्ता जिलावतनी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। वो भारती हुकूमत को मनी लांड्रिंग और ग़ैर मुस्लिमों के ख़िलाफ़ मुबय्यना नफ़रतअंगेज़ तक़रीरों के इल्ज़ाम में मतलूब (वांटेड) हैं। कैनेडा और बर्तानिया ने मुल्क में उनके दाख़िले पर पाबंदी लगा रखी है। मलाईशीया में मुक़ीम अट्ठावन साला डाक्टर नायक मुसलसल लैक्चर देते रहते हैं और सोशल मीडिया के ज़रीये आलमी सतह पर सामईन के साथ राबते में रहते हैं।
ज़ाकिर नायक कतरी हुकूमत की दावत पर दोहा में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के दौरान नवंबर 2022 में क़तर के दार-उल-हकूमत गए थे और इस्लामी मौज़ूआत पर लेक्चर दिए थे। भारत छोड़ने से कब्ल डाक्टर ज़ाकिर नायक भारत के मुख़्तलिफ़ शहरों और बिलख़सूस मुंबई में अमन कान्फ़्रैंसों का इनइक़ाद किया करते थे। उन्होंने एक पाकिस्तानी यू ट्यूबर्स के साथ एक पोड कास्ट में पाकिस्तान आने की ख़ाहिश का इज़हार किया था। उन्होंने साल दो हज़ार बीस में पाकिस्तान का दौरा करने का इरादा किया था लेकिन कोविड के वबाई अमराज़ की वजह से वो ऐसा करने से क़ासिर रहे।
इंटरव्यू के दौरान डाक्टर ज़ाकिर से पूछा गया कि वो भारत छोड़कर मलाईशीया के बजाय पाकिस्तान क्यों नहीं गए, उनका कहना था कि उनके लिए पाकिस्तान जाना आसान था क्योंकि वहां के लोग उन्हें जानते थे। डाक्टर ज़ाकिर का कहना था कि अगर वो पाकिस्तान जाना चाहते हैं तो जा सकते थे, लेकिन शरीयत का उसूल है कि बड़े नुक़्सान से बचने के लिए छोटा नुक़्सान बर्दाश्त करना चाहिए।
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