गजा : दस लाख से जाईद फ़लस्तीनी बच्चों के लिए जहन्नुम बन चुकी है जमीन : यूनीसेफ

 रबि उल आखिर 1446 हिजरी 


 फरमाने रसूल ﷺ 

वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।

- बुख़ारी शरीफ

गजा : दस लाख से जाईद फ़लस्तीनी बच्चों के लिए जहन्नुम बन चुकी है जमीन : यूनीसेफ

✅ जिनेवा : आईएनएस, इंडिया 

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) ने कहा है कि ग़ज़ा की पट्टी में दस लाख बच्चे ज़मीन पर जहन्नुम की तरह की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। ग़ज़ा की पट्टी में एक साल के दौरान हर रोज़ तक़रीबन 40 बच्चे मारे गए हैं। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के इदारा बराए इतफ़ाल (यूनीसेफ) के तर्जुमान जेम्ज़ एल्डर ने कहा इसराईल की तरफ़ से हम्मास के ख़िलाफ़ छेड़ी जाने वाली जंग में एक साल से ज़्यादा का अरसा गुज़र चुका है। इस जंग में बच्चों को रोज़ाना नाक़ाबिल बयान नुक़्सान पहुंच रहा है। 
    उन्होंनें जिनेवा में सहाफ़ीयों से बात करते हुए मज़ीद कहा कि ग़ज़ा की पट्टी अपने अंदर मौजूद लाखों बच्चों के लिए ज़मीन पर जहन्नुम के सूरत मुजस्सम हो गई है। यहां सूरत-ए-हाल दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। एल्डर ने वज़ाहत की कि इसराईल पर 7 अक्तूबर 2023 को हम्मास के हमले के बाद से ग़ज़ा की पट्टी पर जंग शुरू हुई और अब तक यहां बच्चों की हलाकतों की तादाद 14,100 से तजावुज़ (पार) कर गई है। इससे मालूम हुआ कि ग़ज़ा में रोज़ाना 35 से 40 के दरमयान लड़किया और लड़के मारे जा रहे हैं। 
    जेम्ज़ एल्डर के मुताबिक़ ग़ज़ा में हुक्काम की तरफ़ से फ़राहम करदा आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ मरने वाले फ़लस्तीनियों की तादाद 42 हज़ार से ज़्यादा बढ़ गई है। इसके अलावा बड़ी तादाद में लोग मलबे के नीचे दब कर भी लापता हो गए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जो लोग रोज़ाना फ़िज़ाई हमलों और फ़ौजी कार्यवाईयों में बच जाते हैं, उन्हें अक्सर ख़ौफ़नाक हालात का सामना करना पड़ता है। बच्चों को बार-बार तशद्दुद और बार-बार इन्ख़िला के अहकामात से बे-घर किया गया यहां तक कि महरूमियत ने पूरे ग़ज़ा को अपनी लपेट में ले लिया है। बच्चे और उनके अहिल-ए-ख़ाना कहाँ जाएं, वो स्कूलों और पनाह गाहों में महफ़ूज़ नहीं हैं। वो हस्पतालों में महफ़ूज़ नहीं हैं। वो ज़्यादा भीड़ वाले कैम्पों में भी महफ़ूज़ नहीं हैं। 
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    जेम्ज़ एल्डर ने क़मर नामी सात साला बच्ची की मिसाल पेश की और बताया वो शुमाली ग़ज़ा में जबालिया कैंप पर हमले के दौरान ज़ख़मी हो गई थी। उसे एक ऐसे हस्पताल में मुंतक़िल किया गया, जहां इसराईल ने 20 दिन तक मुहासिरा कर रखा था। ईलाज की सहूलत ना मिलने पर उसकी टांग कटवा दी गई। किसी भी आम सूरत-ए-हाल में इस छोटी बच्ची की टांग को कभी काटने की ज़रूरत नहीं पड़ना थी। उन्होंने कहा कि यूनीसेफ ने पहले ही ख़बरदार किया था कि एक साल क़बल ग़ज़ा हज़ारों बच्चों का क़ब्रिस्तान बन चुका है। गुजिश्ता दिसंबर में एजेंसी ने ग़ज़ा को बच्चों के लिए दुनिया का सबसे ख़तरनाक मुक़ाम क़रार दिया था। 

ज़ैतून चुन रही बुजुर्ग खातून को इसराईली फ़ौज ने गोली मारी, शहीद 

रमला : फ़लस्तीनी वज़ारत-ए-सेहत ने बताया कि इसराईली फ़ौज ने मक़बूज़ा मग़रिबी किनारे में एक ख़ातून को उस वक़्त गोली मार दी जब वो ज़ैतून के बाग़ में थी और ज़ैतून की कटाई में मसरूफ़ थी। वज़ारत-ए-सेहत के बयान के मुताबिक़ हन्नान अबदुर्रहमान अब्बू सलमा को जनीन के नज़दीकी गांव फ़ाकवाह में जैतुन के बाग में इसराईली फ़ौज ने गोलीयों का निशाना बनाया। 
    बैन-उल-अक़वामी न्यूज एजेंसी ने इस सिलसिले में इसराईली फ़ौज से राबिता किया, तो उसका कहना था कि वो इस मुआमले को देख रही है। ऐनी शाहिदीन (चश्मदीद) के मुताबिक़ अब्बू सलमा अपने ख़ानदान वालों के साथ ज़ैतून चुन रही थी। फ़ाकवाह गांव के काउंसलर मुनीर बरकात ने बैन-उल-अक़वामी न्यूज एजेंसी को बताया कि अब्बू सलमा अपने ख़ानदान के लोगों के साथ अपनी ही काश्त की हुई ज़ैतून की फ़सल से ज़ैतून चुन रही थी। बरकात ने मज़ीद बताया कि फायरिंग का ये वाक़िया इसराईली फ़ौज की तरफ़ से खड़ी की गई दीवार के क़रीब पेश आया। 
    वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ इसराईली फ़ौज 7 अक्तूबर 2023 से जारी जंग में अब तक मग़रिबी किनारे में 738 फ़लस्तीनीयों को क़तल कर चुकी है।


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