अमरीकी चुनाव : अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की साबिक़ तालिबा सबा ने भी दर्ज की जीत

जमादी उल ऊला 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ 

आदमी को झूठा होने के लिए यही काफी है कि वह हर सुनी-सुनाई बात बिना तहकिक किए बयान कर दे।
- मिशकवत 
अमरीकी चुनाव : अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की साबिक़ तालिबा सबा ने भी दर्ज की जीत
Saba Hyder (image google)

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

गुजिश्ता बुध को सामने आए अमरीकी इंतिख़ाबी नताइज की खुशी भारत के शहर गाजियाबाद में भी देखने को मिली। खुशी की लहर संजय नगर, गाजियाबाद की सबा हैदर के रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार पीटरोसिया पीटी गोस्टन को आठ हज़ार से ज़्यादा वोटों से शिकस्त देकर कामयाबी हासिल करने से आई है। 
    डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर सबा ने डोपीज काउंटी बोर्ड के इंतिख़ाबात में हिस्सा लिया था, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। इस ख़बर के बाद गाजीयाबाद में सबा हैदर के वालदैन को मुबारकबाद देने वालों का हुजूम लग गया। सबा के वालिद अली हैदर का ताल्लुक़ बुलंदशहर के औरंगाबाद से है। मुलाज़मत मिलने के बाद वो ग़ाज़ी आबाद शिफ़्ट हो गए। उनके बच्चों ने भी ग़ाज़ी आबाद में रह कर तालीम हासिल की। 
    उन्होंने बताया कि सबा बचपन से ही होनहार थीं। सबा ने होली चाइल्ड स्कूल से इंटरमीडीयेट किया। उसके बाद राम चमेली चड्ढा कॉलेज से बीएससी करने के बाद, अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से वाइल्ड लाइफ साईंस में एमएससी किया, जहां उन्होंने गोल्ड मैडल हासिल किया। उसके बाद वो शादी कर अमरीका चली गईं। उनके शौहर अमरीका में कम्पयूटर इंजीनियर हैं। सबा के वालिद ने बताया कि ख़ानदान को शुरू से ही सियासत में दिलचस्पी रही है। उन्होंने कहा कि सबा को बचपन से ही समाजी ख़िदमत का शौक़ था। अमरीका जाने के बाद सबा ने वहां योगा की ट्रेनिंग देना शुरू कर दी। वो अमरीका में समाजी ख़िदमात से भी वाबस्ता रही हैं और स्कूल बोर्ड की रुकन का इंतिख़ाब भी लड़ चुकी हैं। हालांकि उसमें वो कामयाब नहीं हो सकी थीं। 

अमरीकी चुनाव : अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की साबिक़ तालिबा सबा ने भी दर्ज की जीत


    उसकी वालिदा महजबीं हैदर ने बताया कि सबा को शुरू से ही पढ़ाई के साथ समाजी कामों में भी दिलचस्पी थी। हमने उसे शुरू से समझाया कि ज़िंदगी में कभी हारना नहीं चाहिए। जब भी आपको मायूसी का सामना करना पड़े, अपनी मेहनत जारी रखें। इससे पहले भी हमारी बेटी ने इलेक्शन लड़ा था लेकिन बहुत कम फ़र्क़ से जीतने से महरूम रही थी। ताहम इस बार वो जीत गई। 
    ख़्याल रहे कि डोपीज काउंटी में कुल 70,109 वोट डाले गए जिसमें सबा हैदर को 39,365 वोट मिले। उनके हरीफ़ पीटरोसिया पीटी गोस्टन को 30,844 वोट मौसूल हुए। इलैक्शन में सबा हैदर को 8541 वोटों से कामयाबी मिली।

मुसलमान और अरब वोटर्स ने नहीं दिया डेमोक्रेटस का साथ 

न्यूयार्क : काउंसिल आन अमरीकन, इस्लामिक रेलेशन (सीएआर) के मुताबिक़ 2024 के सदारती इंतिख़ाबात में अमरीकी मुस्लमान और अरब वोटरज़ ने तारीख़ी तबदीली का मुज़ाहरा करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी से मुँह मोड़ लिया। 
    सीएआईआर की जानिब से एक हज़ार से ज़ाइद वोटर्स पर किए गए एग्ज़िट पोल के मुताबिक़ आधे से भी कम मुस्लिम वोटर्स ने नायब सदर कमला हैरिस को वोट दिया, जबकि बेशतर वोटर्स ने डोनाल्ड ट्रम्प या फिर तीसरे फ़रीक़ के उम्मीदवारों की हिमायत की। सीएआईआर के डायरेक्टर बराए हुकूमती उमूर राबर्ट मकाउ का कहना है कि गुजिश्ता 20 साल में ये पहली बार हुए है कि मुस्लिम कम्यूनिटी 3 उम्मीदवारों के दरमयान बट गई। एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर निहाद अवाद के मुताबिक़ ग़ज़ा पर कमला हैरिस की पालिसी वोटर्स की इस बड़ी तबदीली का सबब बनी। उनका कहना है कि नायब सदर ने ग़ज़ा में जंग बंदी और इसराईल को हथियारों की फ़राहमी मुअत्तल करने की अवामी हिमायत को नज़रअंदाज किया। निहाद अवाद ने कहा कि कमला हैरिस ने सिर्फ एक हमदर्दाना लहजा अपनाया जबकि सदर बाईडन की पालिसी पर क़ायम रहें। 
    रिपोर्ट के मुताबिक़ मिशीगन के शहर डर बोर्न में कांग्रेस की रुकन रशीदा तलेब ने कमला हैरिस के मुक़ाबले में दो गुना वोट हासिल किए, जिससे ज़ाहिर होता है कि अरब और मुस्लमान वोटरज़ ने अपने रिवायती डेमोक्रेटिक झुकाव को छोड़कर मुतबादिल उम्मीदवारों या ट्रम्प की हिमायत की। सीएआईआर के मुताबिक़ इंतिख़ाबात के बाद अमरीकी मुस्लमान बिरादरी ने ट्रम्प से अपील की है कि वो अपनी मुहिम के दौरान किए गए वाअदे पूरे करें और ग़ज़ा में जंग का ख़ातमा करें। 

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