﷽
रबि उल आखिर 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
यूपी मुदर्रिसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट 2004 को ग़ैर आईनी (असंवैधानिक) क़रार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर दरख़ास्तों पर तमाम फ़रीक़ों की जिरह के बाद चीफ़ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फ़ैसला महफ़ूज़ कर लिया। केस की समाअत के दौरान सीजेआई ने तबसरा किया कि सेक्यूलारिज्म का मतलब है जियो और जीने दो।यूपी हुकूमत की जानिब से पेश एएसजी ने कहा कि हमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले पर कोई एतराज़ नहीं है। हमने फ़ैसला मान लिया है, इसीलिए हमने हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दरख़ास्त दायर नहीं की। उन्होंने ये भी कहा कि जहां तक मुदर्रिसा एक्ट की दुरूस्तगी का ताल्लुक़ है, हमने हाईकोर्ट में समाअत के दौरान यूपी मुदर्रिसा एक्ट की हिमायत में दलायल पेश किए हैं। हम कहते हैं कि आज भी मुदर्रिसा बोर्ड एक्ट के हवाले से हमारा मौक़िफ़ वही है। उन्होंने कहा कि एक्ट में तब्दीलियां की जा सकती हैं लेकिन उसे मुकम्मल तौर पर मंसूख़ नहीं किया जा सकता।
सीजेआई ने पूछा कि क्या आरटीई खासतौर पर मदारिस पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि अगर हम हाईकोर्ट के हुक्म को बरक़रार रखते हैं तब भी बच्चों के वालदैन उन्हें मदरसा भेजेंगे। पिछली समाअत के दौरान, सीजेआई ने कहा था कि मदारिस में बेहतरीन तालीम के एक ख़ास मेयार को बरक़रार रखने में रियासत की अहम दिलचस्पी है। उनकी दीनी तालीम के अलावा जामा तालीम फ़राहम करने में ख़ासी दिलचस्पी हो सकती है ताकि इस बात को यक़ीनी बनाया जा सके कि तलबा इदारा छोड़ने के बाद बा वक़ार ज़िंदगी गुज़ार सकें।
अदालत ने कहा था कि इसमें आईन के आर्टीकल 28 और 30, का भी ज़िक्र है, जो अक़ल्लीयतों के तालीमी इदारों के क़ियाम और उनका इंतिज़ाम करने के हक़ से मुताल्लिक़ हैं। आर्टीकल 28 का हवाला देते हुए बेंच ने कहा था कि रियासत के फ़ंडज़ से चलने वाले किसी भी तालीमी इदारे में मज़हबी तालीम नहीं दी जाएगी। अदालत ने कहा था कि मदारिस सिर्फ़ सनद दे रहे हैं डिग्रियां नहीं। सीजेआई ने कहा था कि किसी मज़हबी कम्यूनिटी के क़ानून और ज़ाबते का इदारा ख़ुद बख़ुद सेक्यूलारिजम के उसूल की ख़िलाफ़वरज़ी नहीं करता है। सीजेआई ने कहा था कि पारसी इदारा या बौध मत का इदारा तिब्ब के कोर्सज़ पढ़ा सकता है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि ये सिर्फ़ मज़हबी तालीम ही देता हो। ख़्याल रहे कि सुप्रीमकोर्ट ने 5 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी जिसकी वजह से मुदर्रिसा के 17 लाख तलबा ने राहत की सांस ली, जिसमें उतर प्रदेश मुदर्रिसा एजूकेशन बोर्ड एक्ट 2004 को ग़ैर आईनी और सेक्यूलारिजम के उसूल की ख़िलाफ़वरज़ी क़रार देते हुए उसे मंसूख़ कर दिया गया।
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