जमादी उल आखिर 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए।
- सहीह बुखारी
✅ बदायूं : आईएनएस, इंडिया
मंदिर-मस्जिद का मसला उतर प्रदेश में खासी एहमीयत इख़तियार कर गया है। संभल और अजमेर का मुआमला अभी तय भी नहीं हुआ है कि बदायूं ज़िले की जामा मस्जिद में नील कंठ महादेव मंदिर के दावे का मुआमला बहस में आ गया है। पिछले सनीचर को बदायूं की एक अदालत में दायर दरख़ास्त की बरक़रारी के हवाले से सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होनी है। अदालत ने इंतिज़ामीया मस्जिद कमेटी के वकील के दलायल सुनने के बाद मुआमले में अगली समाअत की तारीख़ मुक़र्रर की।
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ये मुआमला साल 2022 में उस वक़्त सामने आया, जब ऑल इंडिया हिंदू महासभा के रियास्ती कन्वीनर मुकेश पटेल ने दावा किया कि जामा मस्जिद में नील कंठ महादेव मंदिर है। इस दौरान उन्होंने मंदिर में पूजा की इजाज़त मांगी थी। हुकूमती फ़रीक़ और महिकमा आसारे-ए-क़दीमा की रिपोर्ट की बुनियाद पर मुआमले में हुकूमती जानिब से दलायल मुकम्मल हो गए और महिकमा आसारे-ए-क़दीमा की रिपोर्ट भी अदालत में पेश कर दी गई।
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उतर प्रदेश में संभल में तशद्दुद के बाद ऑल इंडिया मजलिस इत्तिहाद अल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के क़ौमी सदर असद उद्दीन उवैसी ने बदायूं मस्जिद को लेकर हुकूमत पर हमला किया है, उन्होंने कहा कि आने वाली नसलों को पढ़ाई के बजाय खुदाई में मसरूफ़ रखना चाहिए। उवैसी ने एक्स पर लिखा है कि बदायूं की जामा मस्जिद को नील कंठ महादेव का मंदिर क़रार देकर अदालत में मुक़द्दमा दायर किया गया था। ये मुआमला अदालत में चल रहा है। हफ़्ता को मुआमले की समाअत हुई। इसमें इंतिज़ामी कमेटी की जानिब से हफ़्ता से बेहस शुरू कर दी गई है। हाल ही में सँभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुए तशद्दुद के बाद बदायूं कोर्ट में मुआमले की पहली समाअत हुई।
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दरगाह तनाज़ा पर चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा, मंदिर के नीचे बौद्ध मठ तलाश करने लगे तो परेशानी होगी
नई दिल्ली : अजमेर शरीफ़ दरगाह को मंदिर बताने वाली अर्ज़ी को ज़िला अदालत के क़बूल किए जाने के साथ ही इससे मुताल्लिक़ सियासी लीडरान की तरफ़ से बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। नगीना के रुक्न पार्लियामेंट और आज़ाद समाज पार्टी के सरबराह चंद्रशेखर आज़ाद ने बीजेपी पर तन्क़ीद करते हुए कहा कि अगर इसी तरह बौद्ध तबक़ा भी अदालत चले जाएं और हिंदू मंदिरों के नीचे मठों के सर्वे का मुतालिबा करने लगे तो हुकूमत क्या करेगी।चंद्रशेखर आज़ाद ने एक प्राईवेट टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि पार्लियामेंट में हंगामा पर भी तशवीश ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि सेशन को चलाना चाहिए। पार्लियामेंट का सेशन चलेगा तो बुनियादी मौज़ूआत पर तबादला ख़्याल हो पाएगा। वहीं जब उनसे अजमेर शरीफ़ दरगाह से मुताल्लिक़ सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी सँभल का तशद्दुद ठंडा नहीं हुआ है। सँभल अभी सुलग ही रहा है ऐसे में अजमेर का मुददा उठाना मुनासिब नहीं। उन्होंने कहा, मैं पूछना चाहता हूँ कि जो वार्शिप एक्ट 1991 है, उसका क्या, उन्होंने कहा कि हमारे साबिक़ जस्टिस के एक बयान ने मुल्क में ये माहौल बनाया है। ये उनकी ग़ैर ज़िम्मादारी का नतीजा है कि आज हर एक मज़हबी मुक़ाम के नीचे दूसरे मज़हबी मुक़ाम को तलाश किया जा रहा है।
मेरा सवाल ये है कि ऐसे वक़्त में क्योंकि मुल्क में बौद्धों की भी एक तारीख़ रही है, अगर बौद्ध तबक़े के लोग भी अदालत चले जाएं और हिंदू मंदिरों के नीचे बौद्ध मठों के सर्वे का मुतालिबा करने लगे तो मुश्किल हो जाएगा। क्या तब भी अदालत का रुख यही रहेगा। वक़्फ़ पर जो तशवीश है, वो इसी बात की है कि जब स्टेट की मुदाख़िलत होगा तो इसी तरह के फ़ैसले आएंगे। लोगों में ग़ुस्सा पैदा होगा। और ये सब उन्हीं रियास्तों में क्यों हो रहा है, जहां बीजेपी की हुकूमत है। इसका ख़मयाज़ा मुल्क को उठाना पड़ेगा। मुल्क किस तरफ़ जा रहा है, इसका हुकूमत को जवाब देना चाहिए।
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