ग़ज़ा : खाने के लिए लगी कतार में मची भगदड़, दम घुटने से ख़ातून और दो बच्चियां हलाक

जमादी उल आखिर 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ 

पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए। 
- सहीह बुखारी 

ग़ज़ा : खाने के लिए लगी कतार में मची भगदड़, दम घुटने से ख़ातून और दो बच्चियां हलाक

✅ ग़ज़ा : आईएनएस, इंडिया 

जुमे को ग़ज़ा की पट्टी में फ़लस्तीनियों का हुजूम एक बैकरी से रोटी ख़रीदने के लिए धक्कम पेल कर रहा था कि तभी दो बच्चियां और एक ख़ातून दम घुटने से हलाक हो गईं। अमरीकी न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ 17 और 13 बरस की दो लड़कियों और 50 साल की एक ख़ातून की लाश को अल-अक़सा शुहदा हस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टर ने उनकी मौत हुजूम में दम घुटने से होने की बात कही। 
    इसराईल के सरकारी आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ ग़ज़ा में ख़ुराक (खाने) की तरसील (उपलब्धता) गुजिशता दो माह के दौरान इंतिहाई कम सतह पर आ गई है। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और इमदादी इदारों के हुक्काम का कहना है कि ग़ज़ा की आबादी में भूख और मायूसी में इज़ाफ़ा हो रहा है, और तक़रीबन सारी आबादी ही फ़राहम की जाने वाली इमदाद पर इन्हिसार होकर रह गई है। मरने वाली एक लड़की के वालिद उसामा अब्बू लाबान ने हस्पताल के बाहर रोते हुए बताया कि 'जब मेरी अहलिया को पता चला कि हमारी बेटी का दम घट रहा है तो वो ये सुनकर गिर पड़ीं , ताहम वो अभी तक नहीं जानती थीं कि वो मर चुकी है। 

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    ग़ज़ा में गुजिशता हफ़्ते कुछ बेकरियां आटे की क़िल्लत के बाइस कई रोज़ के लिए बंद कर दी गई थीं। चंद रोज़ क़ब्ल बैकरियों के दुबारा खुलने के बाद देरालबलाह की एक बैकरी में लोगों की भीड़ लग गई थी। जंग के दौरान ग़ज़ा भर में रिहायश पज़ीर फ़लस्तीनी बैकरियों और ख़ैराती दस्तर खवानों पर बहुत ज़्यादा इन्हिसार कर रहे हैं, जिनमें से बेशतर अफ़राद को अपने अहिल-ए-ख़ाना के लिए दिन में सिर्फ एक वक़्त का खाना ही मिल सकता है। 

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    दूसरी ओर लेबनान में रवां हफ़्ते इसराईल और अस्करीयत पसंद ग्रुप हिज़्बुल्लाह के दरमयान जंग बंदी के ऐलान के बाद हज़ारों बे-घर अफ़राद ने अपने घरों को वापिस आना शुरू कर दिया है। गुजिशता दो माह के दौरान इसराईल की जानिब से की कई गई शदीद बमबारी के नतीजे में मशरिक़ी और जुनूबी लेबनान के साथ साथ बेरूत के जुनूबी मज़ाफ़ाती इलाक़ों में बेशतर मकानात मलबे का ढेर बन गए जबकि तक़रीबन 12 लाख अफ़राद बे-घर हो चुके हैं। 

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    ग़ज़ा की वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ अब तक इसराईल के हमलों में 44 हज़ार से ज़ाइद अफ़राद मारे जा चुके हैं जबकि एक लाख चार हज़ार से ज़्यादा ज़ख़मी हुए हैं। इसराईल ने ग़ज़ा के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है और इस जंग में तक़रीबन 23 लाख फ़लस्तीनी बे-घर हो चुके हैं।

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