करग़ज़स्तान में नहीं पहन सकते नकाब, 230 डालर जुर्माना, हिजाब की इजाज़त

शाअबान अल मोअज्जम, 1446 हिजरी 


  फरमाने रसूल ﷺ  

"ऐसे शख्स की बददुआ से बचो जिस पर ज़ुल्म किया गया हो, इसलिए कि उसकी बददुआ और अल्लाह के दरमियान कोई आड़ नही होती।"
- तिर्मिज़ी 

करग़ज़स्तान में नहीं पहन सकते नकाब, 230 डालर जुर्माना, हिजाब की इजाज़त

✅ बिशकेक, दुबई : आईएनएस, इंडिया

वसती (मध्य) एशिया में मुस्लिम अक्सरीयत के हामिल मुल्क करग़ज़स्तान में एक फरवरी से ख़वातीन के नकाब और बुर्क़ा पहनने पर पाबंदी का फ़ैसला नाफ़िज़ उल-अमल हो गया। फ़ैसले की रो से अवामी मुक़ामात पर नक़ाब पहनने वाली ख़वातीन को 20 हज़ार सोम (तक़रीबन 230 अमरीकी डालर) जुर्माना देना होगा। 

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    रेडियो फ्री यूरोप के मुताबिक ख़वातीन का हिजाब और मर्दों की दाढ़ी तवील अर्से से वसती एशिया के ममालिक में अवामी बेहस और हुकूमती मुहिमों का मौज़ू रही है। करग़ज़स्तान में क़ानून साज़ों के ऐलान के मुताबिक़ नकाब पर पाबंदी सिक्योरिटी वजूहात की बिना पर ज़रूरी है। इसका मक़सद चेहरों को देखकर अफ़राद की शिनाख़्त को यक़ीनी बनाना है। 

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    दूसरी जानिब फ़ैसले के मुख़ालिफ़ीन के नज़दीक ये क़ानून ख़वातीन की उस आज़ादी की ख़िलाफ़वरज़ी है, जो उन्हें अपना लिबास इख़तियार करने का हक़ देती है। करग़ज़स्तान के सदर ने 21 जनवरी को मज़हबी उमूर से मुताल्लिक़ क़ानून में तरमीम पर दस्तख़त किए थे। उसके तहत हर उस लिबास पर पाबंदी आइद कर दी गई है, जो सरकारी इदारों और अवामी मुक़ामात पर अफ़राद की शिनाख़्त को ना-मुम्किन बनाती है। ये इबारत वसती एशिया के ममालिक में अक्सर औक़ात नकाब की जानिब इशारे के लिए इस्तिमाल की जाती है। अलबत्ता काम या तिब्बी मक़ासिद से मुताल्लिक़ वजूहात की बिना पर पहने जानेवाले लिबास इस पाबंदी से मुस्तसना होंगे। 

करग़ज़स्तान में नहीं पहन सकते नकाब, 230 डालर जुर्माना, हिजाब की इजाज़त
    
    करग़ज़स्तान में क़ानून साज़ों और मज़हबी ज़िम्मेदारों ने तसदीक़ की है कि हालिया पाबंदी में हिजाब शामिल नहीं है जो सिर्फ बाल और गर्दन को ढाँपता है, इसमें चेहरा खुला रहता है। वाजेह रहे कि करग़ज़स्तान वसती एशिया में वो वाहिद रियासत है, जहां स्कूलों और सरकारी इदारों में हिजाब पहनने की इजाज़त है। याद रहे कि नक़ाब करग़ज़स्तान में गहिरी बुनियादों का हामिल रिवाज नहीं रहा, ताहम हालिया बरसों में ये बाअज़ क़दामत पसंद ख़वातीन के बीच उसे मक़बूलियत हासिल हुई है। साल 2023 में एक ख़ातून रुकन पार्लीमैंट शराफ़त ख़ान मजीद ने मुल्क के दूसरे बड़े शहर अवश् के दौरे के बाद नकाब के ख़िलाफ़ नई मुहिम का आग़ाज़ किया था। शराफ़त ने एक पारलीमानी इजलास में कहा था, अवश् में हर चार में से एक ख़ातून नकाब पहनती है। उनकी तादाद में रोज़ ब रोज़ इज़ाफ़ा हो रहा है। शराफ़त की मज़कूरा मुहिम में मर्दों की लंबी दाढ़ियों को भी हदफ़ बनाया गया। वसती एशिया के ममालिक में ये मज़हबी सख़्त ग़ैरियत की अलामत शुमार होती है। 

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    शराफ़त ने हुकूमत और पार्लीमैंट से मुतालिबा किया था कि नक़ाब और लंबी दाढ़ी पर पाबंदी लगाई जाए क्यों कि ये सिक्योरिटी के लिए ख़तरा हैं। वसती एशिया के दीगर ममालिक मसलन काज़कसतान, ताजिकस्तान और उज़बेकिस्तान स्कूलों, हुकूमती इदारों और सरकारी इमारतों में हिजाब पहनने पर पाबंदी आइद कर चुके हैं। इससे क़बल ताजिकस्तान, तुर्कमानिस्तान और उज़बेकिस्तान में पुलिस ने सड़कों और बाज़ारों में चलाई गई मुहिम में लंबी दाढ़ी वाले मर्दों को गिरफ़्तार कर उन्हें दाढ़ी मूंडने पर मजबूर कर दिया था। इस नौईयत की पाबंदीयों को अमन के तहफ़्फ़ुज़ और रिवायती इक़दार की हिफ़ाज़त के नाम पर आइद किया जाता है। 
    तुर्कमानिस्तान ने सरकारी तौर पर हिजाब पर पाबंदी आइद नहीं की थी हालांकि वहां काम की जगहों और अवामी तक़रीबात में ख़वातीन पर क़ौमी तुर्कमानी लिबास पहनना लाज़िम है। ताजिकस्तान में हुकूमत हमेशा से ख़वातीन के लिए क़ौमी ताजिक लिबास के फ़रोग़ पर-ज़ोर देती रही है। 


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