गुजिश्ता साल 14.1 मिलियन जायरीन ने की मदीना मुनव्वरा की जियारत

 रबि उल आखिर 1446 हिजरी 

 फरमाने रसूल ﷺ 

तुम्हें नमाज़े इशा की बदौलत पहली उम्मतों पर फज़ीलत दी गई, तुम से पहले ये नमाज किसी उम्मत ने नहीं पढ़ी।

- अबु दाऊद

गुजिश्ता साल 14.1 मिलियन जायरीन ने की मदीना मुनव्वरा की जियारत, bakhtawar adab, nai tahreek

✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मदीना मुनव्वरा में गुजिश्ता बरस आने वाले ज़ाइरीन की तादाद में रिकार्ड इज़ाफ़ा नोट किया गया। साल 2023 में शहरे मुक़द्दस आने वालों की तादाद 14.1 मिलियन रही। 
    ख़बर के मुताबिक़ मदीना मुनव्वरा की तरक़्क़ीयाती कमेटी का कहना है कि हुकूमत की जानिब से सयाहत (टूरिज्म) को फ़रोग़ देने के जामा मन्सूबों पर अमल किया गया जिसके शानदार नताइज बरामद हुए। गौरतलब है कि सयाहत के फ़रोग़ के लिए सयाहती कमेटी की जानिब से ममलकत के विजन 2030 को मद्द-ए-नज़र रखते हुए विजिट मदीना मुनव्वरा मुहिम शुरू की गई थी जिसका मक़सद मदीना मुनव्वरा में तारीख़ी मुक़ामात के बारे में सय्याहों और ज़ाइरीन को मुतआरिफ़ कराना था। 
    महिकमा शुमारियात की जानिब से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजिश्ता बरस मदीना मुनव्वरा आने वाले सय्याहों ने 49.7 अरब रियाल खर्च किए। शहर मुक़द्दस में आने वाले सय्याहों के क़ियाम की मुद्दत में भी इज़ाफ़ा रिकार्ड किया गया जो औसतन 10 दिन है, जिससे सयाहती उमूर में भी काफ़ी बेहतरी आई। रवां बरस 2024 में भी सय्याहों की तादाद में नुमायां इज़ाफ़ा देखा गया है, जिसकी वजह से होटलों और फ़र्निश्ड अपार्टमंट्स की बुकिंग में भी नुमायां तेज़ी आई है।

सऊदी ख़ातून के नाम पर कारोबार करने वाली मिस्री ख़ातून को सज़ा, बेदख़ली का हुक्म

गुजिश्ता साल 14.1 मिलियन जायरीन ने की मदीना मुनव्वरा की जियारत, bakhtawar adab, nai tahreek

रियाद : 
मक्का मुकर्रमा में वज़ारत तिजारत ने सऊदी ख़ातून के नाम पर चलाए जा रहे लेडीज़ पार्लर को बंद करा दिया है। इस पार्लर को एक मिस्री ख़ातून चला रही थी। अख़बार 24 के मुताबिक़ मिस्री ख़ातून ग़ैर मुल्की सरमायाकारी लाईसेंस हासिल किए बग़ैर सऊदी ख़ातून के नाम पर अपना कारोबार चला रही थी और पार्लर के ज़रीये भारी आमदनी हासिल कर रही थी जबकि सऊदी ख़ातून, ग़ैरमुल्की मिस्री ख़ातून के कारोबार की पर्दापोशी किए हुए थी जिसके एवज उसे माहाना 500 रियाल की मामूली रक़म दी जाती थी। 
    ये भी साबित हुआ है कि ग़ैरमुल्की ख़ातून पार्लर की तमाम सरगर्मियां अपने अकाउंट से अंजाम दे रही थी। पार्लर का लेन-देन बढ़ जाने, उस का अहाता किराए पर देने और ख़वातीन कारकुनान की तनख़्वाहों की अदायगी वो अपने अकाउंट के ज़रीये कर रही थी। इस हवाले से वज़ारत तिजारत ने तमाम सबूत जमा कर अदालत में पेश किए थे। मक्का मुकर्रमा की फ़ौजदारी अदालत ने सऊदी ख़ातून की कमर्शियल रजिस्ट्रेशन मंसूख़ करके कारोबार बंद करने का हुक्म-जारी किया जबकि ग़ैरमुल्की ख़ातून को ज़कात, फ़ीस और टैक्सों की अदायगी और सज़ा के बाद मुल्क बदर और ब्लैकलिस्ट करने का फ़ैसला जारी किया। ममलकत में सऊदी के नाम पर कारोबार करना मना और कानूनन जुर्म है, इस पर सख़्त सज़ाएं मुक़र्रर हैं। 
    क़ानून के मुताबिक़ जो ग़ैरमुल्की सऊदी के नाम पर कारोबार करेगा या कोई भी सऊदी शहरी अपने नाम से ग़ैरमुल्की को कारोबार कराएगा, सबूत मिलने पर पाँच साल तक क़ैद और पच्चास लाख रियाल जुर्माने की सज़ा हो सकती है या दोनों सज़ाएं एक साथ भी दी जा सकती हैं। तिजारती रजिस्ट्रेशन मंसूख़ करके कारोबार बंद कर दिया जाता है और बैंक अकाउंट भी मुंजमिद होता है। सज़ा के बाद ग़ैरमुल्की को बेदख़ल और ब्लैकलिस्ट किया जाता है।


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