रबि उल आखिर 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।
- बुख़ारी शरीफ
दिल्ली के मोतिया ख़ान इलाके के शाही ईद-गाह के क़रीब रानी लक्ष्मी बाई का मुजस्समा लगाने से जुड़े एक मुआमले का दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजिश्ता पीर को निपटारा कर दिया।7 अक्तूबर को मुआमले में हाईकोर्ट को बताया गया कि मुस्लिम फ़िर्क़ा के मज़हबी जज़बात को ज़हन में रखते हुए ईदगाह की दीवार से 200 मीटर की दूरी पर पार्क के कोने में रानी लक्ष्मी बाई का मुजस्समा लगाया गया है। मुजस्समे के चारों तरफ़ दीवार भी बनाई गई है ताकि नमाज़ पढ़ने वालों को कोई दिक़्क़त ना हो।
उसके जवाब में पीर को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ईदगाह इंतिज़ामीया कमेटी के वकील ने भी कोई एतराज़ ज़ाहिर नहीं किया। मुआमले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अक्तूबर को मुताल्लिक़ा सरकारी एजेसियों की एक कमेटी को कहा था कि आप ईद-गाह इंतिज़ामीया के लोगों को पार्क ले जाकर जगह दिखाएंगे कि मुजस्समा कहाँ है, दो दिन क़ब्ल हाईकोर्ट में समाअत के दौरान दिल्ली म्यूनसिंपल कार्पोरेशन ने बताया था कि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का मुजस्समा नसब किया जा चुका है। उसे तीन तरफ़ से कवर किया जाएगा। ये मुजस्समा ईद-गाह की दीवार से दो सौ मीटर के फ़ासले पर नसब किया गया है। जबकि ईद-गाह कमेटी के वकील ने कहा था कि मोतिया ख़ान पार्क में मुजस्समा लग चुका है।
दरअसल मोतिया ख़ान के पास रानी लक्ष्मी बाई का मुजस्समा लगने पर शाही ईद-गाह इंतिज़ामीया कमेटी ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल करते हुए कहा था कि शाही ईद-गाह की ज़मीन पर जारी तजावुज़ात (अतिक्रमण) पर रोक लगाई जाए क्योंकि ये वक़्फ़ इमलाक है। अर्ज़ी में 1970 के गज़्ट के नोटीफ़िकेशन का ज़िक्र किया गया था जिसमें शाही ईद-गाह पार्क को क़दीम इमलाक (पुरानी संपत्ति) बताया गया था जो मुग़ल दौर में बना था।
सिंगल बेंच ने शाही ईद-गाह इंतिज़ामीया कमेटी की अर्ज़ी ख़ारिज करते हुए कहा था कि ईद-गाह की बाउंड्री के चारों तरफ़ का खुला इलाक़ा और ईद-गाह पार्क डीडीए की इमलाक है।
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