शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"तुम अपने लिए भलाई के अलावा कोई और दुआ ना करो क्योंकि जो तुम कहते हो उस पर फरिश्ते आमीन कहते है।"
- मुस्लिम
बख्तावर अदब : मस्जिद उल हराम के मर्कज़ी दाख़िली रास्तों पर लगे रीडर सेंसर के मुताबिक 6 मार्च, बरोज जुमेरात को एक ही दिन में सबसे ज्यादा उमरा जायरीन ने उमरा अदा किया। ये एक दिन में उमरा अदा करने वालों का नया रिकार्ड है जो 6 मार्च को आधे मिलियन तक जा पहुंचा।गौरतलब है कि मस्जिद उल हराम में नमाज़ियों की तादाद का पता लगाने के लिए जदीद रीडर सेंसर के अलावा मर्कजी दरवाजों पर कैमरे नसब हैं। इससे ज़्यादा दुरूस्तगी के साथ जायरीन की नक़ल-ओ-हरकत का पता लगता है इसके अलावा भीड़ वाले इलाक़ों की निशानदेही हो जाती है।
अरब मीडीया के मुताबिक़ मस्जिद उल हराम और मस्जिद नबवी ﷺ के उमूर की जनरल प्रेजीडेंसी ने ऐलान किया है कि 6 मार्च को एक ही दिन में उमरा अदा करने वालों की सबसे ज़्यादा तादाद रिकार्ड की गई है। ऑपरेशनल कारकर्दगी को बेहतर बनाने और ज़ाइरीन की आमद को मुनज़्ज़म करने के लिए मस्जिद उल-हराम के मर्कज़ी दाख़िली रास्तों पर लगे रीडर सेंसर से जायरीन की तादाद का पता चलता है। नए निज़ाम में एक ही दिन में रिकार्ड की जाने वाली सबसे ज़्यादा तादाद में ज़ाइरीन किराम की तादाद तक़रीबन नसफ़ मिलियन तक पहुंच गई।
रीडर सेंसर के अलावा जगह जगह स्मार्ट कैमरे भी नसब किए गए हैं, सेंसर और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से चलने वाली निगरानी का दोहरा निज़ाम फ़ौरी तौर पर हुजूम का अंदाज़ा लगाने के काबिल है जिससे हुक्काम को ज़ाइरीन की आमद-ओ-रफ़त के दौरान रश को मुनज़्ज़म करने में मदद मिलती है, जिनमें खासतौर पर मताफ़ (काअबा) के गिर्द तवाफ़ वाली जगह और सफ़ा और मर्वा के दरमियान का इलाक़ा शामिल है।
रीडर सेंसर के अलावा जगह जगह स्मार्ट कैमरे भी नसब किए गए हैं, सेंसर और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से चलने वाली निगरानी का दोहरा निज़ाम फ़ौरी तौर पर हुजूम का अंदाज़ा लगाने के काबिल है जिससे हुक्काम को ज़ाइरीन की आमद-ओ-रफ़त के दौरान रश को मुनज़्ज़म करने में मदद मिलती है, जिनमें खासतौर पर मताफ़ (काअबा) के गिर्द तवाफ़ वाली जगह और सफ़ा और मर्वा के दरमियान का इलाक़ा शामिल है।
हुक्काम के मुताबिक ये टेक्नोलोजी ज़ाइरीन की हिफ़ाज़त को बढ़ाने, दाख़िले और बाहर निकलने के हमवार बहाव को यक़ीनी बनाने और चोटी के औक़ात में तेज़-रफ़्तार रद्द-ए-अमल की सहूलत फ़राहम करने में कलीदी किरदार अदा करती है, इन तकनीकी इक़दामात के साथ-साथ मक्का मुकर्रमा के सिक्योरिटी पर मामूर अहलकार ज़ाइरीन की हिफ़ाज़त और बहबूद को यक़ीनी बनाने के लिए चौकस रहते हैं, खासतौर पर रमज़ान के दौरान जब ज़ाइरीन की तादाद उरूज पर होती है।
बताया जा रहा है कि अहलकार दीगर सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ हम आहंगी करते हुए बड़े हुजूम का फ़आल तौर पर इंतिज़ाम करते हैं, बुज़ुर्गों की मदद करते हैं, खोए हुए बच्चों को उनके ख़ानदानों से मिलाते हैं और ज़रूरतमंदों को रहनुमाई फ़राहम करते हैं।
0 टिप्पणियाँ