शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
जो चीज़ सबसे ज़्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी, वह ख़ौफ-ए-खुदा और हुस्न अखलाक है।
- तिर्मिज़ी
दारुल कजा भिलाई-दुर्ग ने सालाना इजलास में दी जानकारी
✅ मुहम्मद जाकिर हुसैन : भिलाईमुस्लिम मआशरे की तंजीम दारुल कजा, भिलाई-दुर्ग के तीन साल पूरे होने पर मुनाकिद इज्लास-ए-आम में अहलकारों ने तंजीम के कामकाज और इससे जुड़ी जानकारियां अवाम के साथ शेयर की।
फरीद नगर मैदान में मुनाकिद इजलास की सदारत कर रहे मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, कन्वीनर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुल्क की आजादी में सभी मजहब और जाति समुदाय के लोगों का किरदार रहा है। मुल्क की बेहतरी और इसकी आजादी में हमारे उलेमा-ए-दीन की कुर्बानियां लगी है इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम मुल्क के भाईचारे को कायम करने में अपना किरदार अदा करें। दारुल कजा भिलाई-दुर्ग के सदर जिल्लू रहमान और सेक्रेटरी मोहम्मद अरशद ने इजलास में मौजूद तंजीमो के नुमाइंदों का इस्तकबाल किया।
खास मेहमान मौलाना वसी अहमद कासमी, काजी-ए-शरिया अमीरते शरिया फुलवारी शरीफ, पटना ने अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद ﷺ वाली पाकीजा जिंदगी अपनाने के साथ सभी के साथ भाईचारा, मोहब्बत और रिश्ते को मजबूत बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अपने ईमान, माल और जान की जिम्मेदारी आपकी है। इसकी हिफाजत करें और किसी की हक तल्फी ना हो।
खास मेहमान मौलाना तबरेज आलम कासमी, आर्गेनाइजर काजी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस दौरान बताया कि सभी मआशरे में अपने घरेलू और निजी मामले आपसी रजामंदी से हल करने की पहल की जाती है, इसी मकसद से मुस्लिम मआशरे के भीतर दारुल कजा कायम किया जाता है।
नायब सदर मोहम्मद नासिर ने दारूल कजा भिलाई-दुर्ग के मकसद की जानकारी दी। दारूल कजा के काजी शहर मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि इसके जरिए पारिवारिक मामलों के 50 केस आपसी बातचीत से हल किया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम मआशरे के पारिवारिक व सामाजिक मसलों को हल करने के लिए लोगों को अल्लाह का डर रखना चाहिए और प्यारे नबी हजरत मोहम्मद ﷺ की तालीम पर अमल करना चाहिए।
जलसे के आखिर में मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने मुल्क के अमन चैन और खुशहाली के लिए दुआ करते हुए कहा कि आपसी भाईचारा कायम करना हमारी जिम्मेदारी है। इस मौके पर मआशरे के बुजुर्ग, डाक्टर्स, इंजीनियर, एडवोकेट, नौकरी पेशा और खवातीन समेत मौलाना शकील, मोहम्मद युसूफ, नैय्यर इकबाल, सैय्यद असलम, हाजी अब्दुल हमीद, हाफ़िज़ सिराज, मौलाना दिलशाद, हाफ़िज़ शाह आलम, मोहम्मद इरफान, शरीफ खान, हबीबुर्रहमान, मेहबूब भाई, जहांगीर भाई, सुलेमान, मोहम्मद, अनवर पाशा, हाफिज मकसूद, मौलाना फैसल अमीन, गुलजार भाई, रज़ा सिद्दीकी और फ़ज़ल हक समेत कसीर तादाद में कौम के लोग मौजूद थे।
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